वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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बीती सदी में बापू ने कहा था

"किसी राष्ट्र की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से मापा जाता है कि वह अपने यहां जानवरों से किस तरह का सलूक करता है"- मोहनदास करमचन्द गाँधी

ये जंगल तो हमारे मायका हैं

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Jul 22, 2014

Aug 25, 2012

Oct 11, 2010

बाढ़ में जानवर हुए बेहाल

October 11, 2010 1
देवेन्द्र प्रकाश मिश्र* बाढ़ ने चौपट किया पशुपालन कारोबार  उत्तर प्रदेश की उफनाई नदियों ने अपनी बाढ़ के कहर का आतंक उन जिलों में फैलाया जहां ...
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Aug 26, 2010

बाढ़ में इन्सान ही नही, साँप भी मुसीबत में हैं

August 26, 2010 1
मसला लखीमपुर खीरी का है, जहाँ जंगल आबाद हैं और नदियां उफ़नाती हैं, जाहिर हैं, जल में रहने वाले जीवों की भी भरमार होगी, और वो भी प्रभावित होते...
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Aug 23, 2010

खतरे में सुहेली (सरयू) नदी: जो जीवन रेखा है, दुधवा की वन्य संपदा की!

August 23, 2010 4
दुधवा की लाइफ़ लाइन ही खतरे में:  पलियाकलां (खीरी)। दुधवा नेशनल पार्क के मध्य तथा किनारे प्रवाहित होने वाली सुहेली नदी कभी अपने समीपवर्ती व...
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जर्मनी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार "द बॉब्स" से सम्मानित पत्रिका "दुधवा लाइव"

हस्तियां

पदम भूषण बिली अर्जन सिंह
दुधवा लाइव डेस्क* नव-वर्ष के पहले दिन बाघ संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभाने वाले महा-पुरूष पदमभूषण बिली अर्जन सिंह

एक ब्राजीलियन महिला की यादों में टाइगरमैन बिली अर्जन सिंह
टाइगरमैन पदमभूषण स्व० बिली अर्जन सिंह और मैरी मुलर की बातचीत पर आधारित इंटरव्यू:

मुद्दा

क्या खत्म हो जायेगा भारतीय बाघ
कृष्ण कुमार मिश्र* धरती पर बाघों के उत्थान व पतन की करूण कथा:

दुधवा में गैडों का जीवन नहीं रहा सुरक्षित
देवेन्द्र प्रकाश मिश्र* पूर्वजों की धरती पर से एक सदी पूर्व विलुप्त हो चुके एक सींग वाले भारतीय गैंडा

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