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International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Jul 1, 2022

बाघ तेंदुओं के लिए कुश-कांस के घास के मैदान और गन्ने के खेतों में कोई फ़र्क नही जैसे परिंदे देशों की सीमाएं नही मानते-एक धरती बस!

एक मां तेंदुआ अपने शावकों के संग जंगल से सटे गन्ने के खेत में, इंसान क्यों नही समझता सहजीविता सभी के साथ? -सम्पादक


मंझरा के बाद सिंगाही देहात में बाघ/तेंदुआ? व दो शावक देखे जाने से हड़कंप।

बेलरायां खीरी--उत्तर निघासन रेंज के मंझरा व खैरटिया जैसी घटना साउथ निघासन रेंज में न हो इसलिए बाघ से बचाने की ग्रामीणों ने वन विभाग से गुहार लगाई है -मंझरा के बाद दक्षिण निघासन रेंज के  अयोध्यापुरवा,बगलहा तकिया व करदहिया में बाघ व उसके दो शावकों को देखे जाने के बाद इलाके में हड़कंप मचा हुआ है। जबकि वन विभाग बाघ नहीं लेपर्ड होने की संभावना जता रहा है। इलाके में उस वक्त हड़कंप मच गया जब सुबह खेतों की तरफ़ करदहिया निवासी राजाराम,बलराम,अनिल,हरिओम कमलेश,मेवालाल आदि गए तो देखा कि गन्ने के किनारे खेत में एक बाघ और उसके दो बच्चे आपस में खेल रहे हैं ये नजारा देखकर उन लोगों की सांसें थम गई वापस आकर गांव वालों को आंखों देखा हाल बताया खबर आग की तरह इलाके में फैल गई देखते ही देखते सैकड़ों ग्रामीण मौके पर पहुंचे पंजों के निशान देखे तो लोगों को उत्तर निघासन रेंज के मंझरा पूरब में बाघ द्वारा हुई घटनाओं की यादें ताजा हो गई अभी मंझरा पूरब में बाघों का आतंक कम नहीं हुआ था कि अयोध्यापुरवा व करदहिया बंगलहा तकिया में बाघ की आमद हो गई ग्रामीणों का मानना है कि बाघ व उसके शावक किसी घटना को अंजाम दें उससे पहले वन विभाग अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए बाघ व उसके बच्चों को सुरक्षित ठिकाने जंगल में भेजने का इंतजाम करे जिससे मानव जिंदगी पर मंडरा रहा खतरा दूर हो।



इस सम्बन्ध में दक्षिण निघासन रेंज के क्षेत्रिय वनाधिकारी अनिल कुमार ने बताया पंजो के निशान बाघ के नही लेपर्ड के हो सकते हैं वन विभाग की टीम को एलर्ट कर दिया गया है और गांव वालों से भी कहा गया है कि रात या अंधेरे में खेतों की तरफ अकेले न जाए सतर्क रहें बाघ है या लेपर्ड वो भी बाघ की प्रजाति है उसके साथ दो बच्चे हैं वन विभाग की टीम मॉनिटरिंग कर रही है।गन्ने के खेतों में बने मुर्गी फार्म स्वामियों से उन्होंने अपील की है कि मरी हुई मुर्गियों को गन्ने के खेतों में न फेंके उनको जमीन में गढ्ढा खोदकर गढ़वा दें।

शकील अहमद, वरिष्ठ पत्रकार

बेलरायां-खीरी

@दुधवा लाइव डेस्क

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