नदी घाटी सभ्यता को पुनर्जीवन दे सकती है भद्रशीला
महाराष्ट्र से आए पेशवाओं ने तब नदी किनारे बनवाए थे कुएं, लगवाए थे बरगद
अब लोकभारती कर रही है नदी के पुनर्जीवन का प्रयास, किया जा रहा है सर्वे
भद्रशीला का सत्यनारायण भगवान की कथा में भी किया जाता है कई जगह जिक्र
ग्रामीणों की जनजागरूकता को पहले कथा कराती है लोकभारती, फिर जागरुक करती
नदी घाटी सभ्यता...इसके बारे में हम सबने कक्षा पांच की किताबों में बहुत कुछ पढ़ा है। एक बार फिर से नदी घाटी सभ्यता के बारे में जिक्र करने का मकसद आपकों को अपडेट करने का है। नदियों के किनारे जो सभ्यता जन्मी थी, उसके अवशेष अब तक मिलते हैं। उसी नदी घाटी सभ्यता में एक भद्रशीला की भी कहानी है। शाहजहांपुर जिले के खुदागंज के निर्जन स्थान से जलालाबाद में रामगंगा नदी के संगम के बीच ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जो बेहद रोचक हैं। मसलन नदी किनारे विशालकाय बरगद के पेड़ों की बड़ी श्रृंखला, नौ विशालकाय कुएं भी हैं। अब इस नदी के पुनर्जीवन के लिए लोकभारती संस्था ने पहले गांव-गांव जनजागण अभियान शुरू किया है। चूंकि नदी और उससे जुड़े गांवों, अन्य बातों का जिक्र भगवान सत्यनारायण की कथा में मिलता है, इसलिए संस्था गांवों में पहले सत्यनारायण भगवान की कथा का आयोजन करती है, इसके बाद संस्था के लोग भद्रशीला नदी के पुर्न उद्धार को लेकर जागरुक करते हैं।
----------
महाराष्ट्र के पेशवाओं का व्यापार शाहजहांपुर के कटरा इलाके तक फैला हुआ था, वह एक बार माल लेकर आकर आते थे, फिर उसकी वसूली करने आते थे। माना जा रहा है कि भद्रशीला के किनारे जो भी कुछ आज भी अवशेष देखने को मिलते हैं, उसका विकास पेशवाओं ने ही कराया था। जैसे यहां बड़े बड़े नौ कुएं हैं, जो आज भी मौजूद हैं। इनमें से तीन कुओं को लोकभारती ने पुनर्जीवित कराए हैं। इन कुओं का पानी बहुत ही निर्मल और पीने लायक है। इसी तरह से नदी किनारे बगरद के विशालकाय वृक्ष हैं। इन वृक्षों आकार एक एक एकड़ में बताया जाता है। अन्य पेड़ों की भी श्रृंखलाएं हैं।
---------
नदी की मौजूदा हालत बेहद दयनीय
=भद्रशीला नदी का अस्तित्व अब बस कहने भर को बचा है। कह सकते हैं कि इस वक्त यह नदी एक नाले के रूप में है। लोकभारती ने बिना किसी सरकारी सहायता के इस नदी के पुनुरोद्धार के लिए पौधारोपण शुरू किया। कुछ स्थानों पर सामूहिक सहभागिता के तहत नदी की खुदाई भी की गई। पर अभी इस नदी का उदगम स्पष्ट नहीं हो सकता है। लोगों ने जिस तरह से इस नदी के उदगम स्थान को खुदागंज बताया था, लोकभारती के स्वयंसेवी अभी उस स्थान से संतुष्ट नहीं हैं। इसलिए लोकभारती इस पूरी नदी का डिजीटल मैप करा रही है। डिजीटल मैप से पूरी स्थिति क्लीयिर होने पर ही आगे काम बढ़ाया जाएगा।
---------
=लोकभारती संस्था के वरिष्ठ पदाधिकारी संजय उपाध्याय बताते हैं कि अभी तक जो सर्वे किया गया है, उससे माना जा रहा है कि नदी की कुल लंबाई तीस किलोमीटर के आसपास है। खुदागंज, कटरा, तिलहर, मदनापुर, कांट, ददरौल से होते हुए यह नदी जलालाबाद से होकर बह रही रामगंगा और बहगुल के संगम में त्रिवेणी बनाती है। मौजूदा समय में यह भद्रशीला नदी सरकारी रिकार्ड में भरगूंदा नाला नाम से दर्ज पाई गई है, जिसकी कागजों पर पिछले एक दो साल में 24 किलोमीटर खुदाई भी हो चुकी है, लेकिन यह खुदाई कहां से कहां तक हुई है, यह कोई नहीं जानता है।
विवेक सेंगर (वरिष्ठ पत्रकार )
viveksainger1@gmail.com
Bahut sundar prayas.Bhagwan satyanarayan apka prayas safal karen.
ReplyDelete