बहुफसली खेती को बढ़ाया देने में जुटे हैं शाहजहांपुर के शिक्षक आदित्य
अल्हागंज के चिल्लौआ ग्में प्रयोग के तौर पर उगाया थाईलैंड का ड्रैगन फ्रूट
पहली बार में ही हुई बंपर पैदावार, 250 रुपये प्रति किलो बेच रहे मंडियों में
शाहजहांपुर जिले के अल्हागंज क्षेत्र के चिल्लौआ गांव में शिक्षक आदित्य मिश्रा के खेत में पैदा ड्रैगन फ्रूट
शाहजहांपुर जिले के अल्हागंज क्षेत्र के चिल्लौआ गांव में शिक्षक आदित्य मिश्रा अपने खेत की फसल को दिखाते हुए
गुरुजी अब किसान बन गए हैं। वह थाईलैंड का ड्रैगन फ्रूट हिन्दी में कहें तो अजगर फल पैदा कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने दो साल से तैयारी की थी। 18 महीने लगे, तब अब फल आने शुरू हो गए हैं। उनके अजगर फल को देखने, उसका स्वाद लेने के लिए बहुत लोग खेत पर पहुंच रहे हैं। बेहद महंगे इस फल को फिलहाल गुरुजी स्थानीय बाजार में ही बेच पा रहे हैं, क्योंकि दिल्ली, नोएड, चंड़ीगढ़ में इस ड्रैगन फ्रूट बेचने में कोरोना आड़े आ गया है।
शाहजहांपुर जिले के अल्हागंज को लोग बेहद पिछड़े क्षेत्र के रूप में जानते हैं। उसी अल्हागंज क्षेत्र में थाईलैंड का बेहद लोकप्रिय ड्रैगन फ्रूट की चिल्लौआ गांव के रहने वाले शिक्षक आदित्य मिश्रा खेती कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर ड्रैगन फ्रूट के बारे में जानकारी होने के बाद आदित्य मिश्रा को एक धुन ही लग गई और इसकी खेती अल्हागंज में करने की ठान ली। ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले सोलापुर के एक किसान को आदित्य ने खोजा, उससे मिले, वहां जानकारी लेकर आए। इसके बाद आदित्य ने अपने खेत में ड्रैगन फ्रूट लगाने की तैयारी की। शुरू में बहुत ही जटिल लगा, लेकिन इसके बाद पौध बड़ी हुई, फूल आए, फिर फल निकले, तब से आदित्य बहुत उत्साहित हुए। अब उनकी ड्रैगन फ्रूट का स्वाद शाहजहांपुर वाले ले रहे हैं। 250 रुपये किलो बिक रहा है। मेट्रो सिटी में ड्रैगन फ्रूट कोरोना के कारण नहीं बेच पाए, लेकिन स्थानीय स्तर पर यह फल बहुत लोकप्रिय हो रहा है। ऐसा कोई दिन नहीं होता है, जब उनके खेत में ड्रैगन फ्रूट की फसल देखने के लिए दस से बीस लोग न आते हों। इनमें वह लोग भी होते हैं जो ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के इच्छुक होते हैं।
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एक एकड़ से बढ़ाकर फसल की पांच एकड़
=पहली बार एक एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले आदित्य मिश्रा को जब अच्छा रिस्पांस मिला तो उन्होंने इस साल चार एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की फसल और लगाने का फैसला कर लिया। आदित्य मिश्रा ने बताया कि फसल से जुलाई से लेकर दिसंबर तक फल आते हैं। एक सीजन में एक पौधे से सात बार फल निकलते हैं। उन्होंने बताया कि एक एकड़ में लगभग 10 क्विंटल ड्रेगन फल निकलता है, जो बाजार में 250 रुपये किलो विक्रय किया जा रहा है।
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औषधीय फल, कोरोना काल में बढ़ी मांग
=आदित्य मिश्रा बताते हैं कि वर्तमान में कोरोना वायरस के दौर में जिले और आस पास के क्षेत्रों में ड्रैगन फ्रूट की मांग तेजी से बढ़ गई है। ड्रैगन फ्रूट नाम से तो डरावना है, परन्तु औषधीय गुणों से भरपूर ड्रैगन फ्रूट स्वास्थ्य के लिए रामबाण की तरह कार्य करता है। कैंसर की रोकथाम में भी इस फल की अहम भूमिका होती है। वही शुगर और ह्रदय सम्बंधित रोगों के लिए ड्रेगन फ्रूट बहुत फायदेमंद है। ड्रैगन फ्रूट में एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। कम वर्षा क्षेत्र में पैदा होने वाले ड्रैगन फल की खेती होती है। यह फल कोलेस्ट्रोल को कम करता है। अस्थमा में भी लाभप्रद होता है। एक ड्रैगन फ्रूट में 60 कैलोरी होती है।
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=18 से 24 माह में ड्रेगन फ्रूट की पैदावार होने लगती है।
=एक एकड़ करीब दस क्विंटल ड्रेगन फ्रूट की पैदा होता है।
=ड्रेगन फ्रूट 400 ग्राम से एक किलो ग्राम तक वजन का होता है।
=एकड़ क्षेत्रफल में लगभग 700 पौधे लगाए जाते हैं।
=पौधों के बड़े होने पर पाइप के सहारे रोका जाता है।
=गर्मी में प्रति पौधा एक लीटर पानी की आवश्यकता होती है।
=मई महीने में फूल आने लगते हैं, जुलाई से दिसम्बर तक फल
विवेक सेंगर: अन्वेषणकर्ता पत्रकार, जमीन से जुड़े लोगों की खबरों को दुनिया के सामने ज़ाहिर करना, संवेदनशील व खोजी पत्रकारिता में माहिर मौजूदा वक्त में शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश में हिंदुस्तान अखबार के ब्यूरो।
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