खस की घास |
लोग फसलें उगाते हैं, यह साहब करते हैं घास की खेती
=शाहजहांपुर के अजय शर्मा ने वेटिवर घास की खेती शुरू की है
=वेटिवर घास के तेल से अमरिका में बनती है मिर्गी और ब्रेन की दवाएं
=साबुन, रूम फ्रेशनर में खुशबू के लिए भी घास के अर्क का इस्तेमाल
=एक से लेकर दो साल की होती है फसल, एक एकड़ में लागत 80 हजार
=न जानवरों खाते हैं और न ही घास की इस फसल में लगते हैं कोई रोग
=बेहद महंगा बिकती है यह वेटिवर घास, शाहजहांपुर में हुआ पहला प्रयोग
लोग उन्नतकिस्म की तमाम फसलें उगाने में लगे हैं, कम जमीन में अधिक गेहूं, धान, गन्ने, तिलहन और दलहन की फसलें पैदा कर रहे हैं। पर ऐसे में अगर आपकों यह सुनने को मिले कि कोई घास उगा रहा है या घास की खेती कर रहा है तो हो सकता है कि आपकों अजीबों गरीब लगे। पर इस अजब और गजब काम को अपने शाहजहांपुर में किया जा रहा है। रोटेरियन अजय शर्मा को लोग बाखूबी जानते हैं। उन्होंने रोजा क्षेत्र में एक एकड़ खेत में वेटिवर घास लगा रखी है। एक साल की उम्र यह घास की फसल औषधीय गुणों से युक्त है। साथ ही इस घास के अर्क का इस्तेमाल खुशबू के लिए किया जाता है। यह खुशबू साबुन और रूमफ्रेशनर में इस्तेमाल की जाती है। इस घास के और भी गुण है। इस घास से निकलने वाले तेल का इस्तेमाल मिर्गी की दवा बनाने और दिमाग से संबंधित अन्य बीमारियों के इलाज के लिए बनने वाली दवाओं में किया जाता है। दवा बनाने आदि का काम अमेरिका में किया जाता है, इसीलिए यह वेटिवर घास बेहद महंगी बिकती है। घास की खास बातों में यह है कि इसे कोई भी जानवर नुकसान नहीं पहुंचाता है और न ही इसमें कोई रोग या कीट लगता है। अजय शर्मा ने बताया कि जिले में वेटिवर घास की फसल का वह पहला प्रयोग कर रहे हैं। आगे रिस्पांस देख कर वह अन्य लोगों को भी प्रेरित करेंगे।
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रोटेरियन अजय शर्मा |
वेटिवर घास में इस तरह बढ़ी दिलचस्पी
=रोटेरियन अजय शर्मा बताते हैं कि काफी समय पहले उन्होंने वेटिवर यानी खस घास की खेती के बारे में सुना था। उसमें दिलचस्पी बढ़ी। घास की फसल को लेकर तमाम जानकारी हासिल की। इसके बाद रोजा क्षेत्र में एक एकड़ खेत में एक साल पहले उन्होंने वेटिवर की पौध लगाई। बताया कि इस घास में किसी प्रकार की कोई खाद नहीं डालनी पड़ती है। पूरी फसल में उन्होंने अभी तक तीन बार सिंचाई की है। बताया कि जो भी लागत लगती है वह पौध लगाने, खेत तैयार करने में ही लगती है। बताया कि उन्होंने पहली फसल क्यारी विधि से लगाई थी। बताया कि अब वह दो और एकड़ जमीन में वेटिवर लगाने जा रहे हैं, यह फसल डेढ़ साल की होगी।
मोबाइल नम्बर-9670057005
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घास की कराएंगे लैब टेस्टिंग
=अजय शर्मा ने बताया कि जो कि वेटिवर की यह उनकी पहली फसल है तो वह ज्यादा लाभ की अपेक्षा नहीं कर रहे हैं। बताया कि जमीन में पहले अन्य फसलें होती थीं, जिसमें रसायनिक खादों का इस्तेमाल होता था, लेकिन वह पूरी तरह से वेटिवर को जैविक तरीके से उगाना चाहते हैं, इसमें कम से कम तीन फसलों के बाद ही रसायनिक तत्व खत्म होंगे। बोले कि फसल जब तैयार हो जाएगी तो वह लैब से टेस्टिंग करा कर पता लगवाएंगे कि घास में कितने रसायनिक तत्व हैं, उसी हिसाब से आगे की फसल की तैयारी होगी। बताया कि फसल का कोई भी तत्व बेकार नहीं जाता है। सब इस्तेमाल किया जाता है। बताया कि अभी एक एकड़ फसल की लागत करीब 80 हजार रुपये आती है।
विवेक सेंगर |
यह ख़बर खोज कर लाए हैं उत्तर प्रदेश शाहजहांपुर के हिंदुस्तान अख़बार के ब्यूरो विवेक सेंगर, विवेक मानवीय संवेदनाओं को अक्षरों के जरिए उकेरने में माहिर है, दो दशक से अधिक समय से पत्रकारिता, लखीमपुर खीरी के मूल निवासी है। विवेक दुधवा लाइवअन्तर्राष्ट्रीय पत्रिका/जर्नल के लिए लिखते रहे हैं।
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