अदरक का पौधा|फ़ोटो स्रोत: अंग्रेजी विकिपीडिया |
लाभ के लिए अदरक के उत्पाद
डा0 मो0 सुहेल, वैज्ञानिक (उद्यान)
कृषि विज्ञान केन्द्र, जमुनाबाद, लखीमपुर-खीरी (चन्देशेखर आजाद कृषि एवं प्रौ0 विश्वविद्यालय, कानपुर)
विशेष गुण के कारण अदरक का प्रयोग मसाले के साथ-साथ औषधि के रूप में भी किया जाता है। भारतीय अदरक दुनिया की सबसे उत्तम अदरक मानी जाती है। इसका मुख्य उत्पादन केरल, उड़ीसा, आन्ध्रप्रदेश, हिमांचल प्रदेश, मेघालय, प0 बंगाल में होता है। मनुष्यों के अतिरिक्त पशुओं के भी अनेक रोगों में अचूक औषधि का काम करती है।
उन्नतशील प्रजातियांः- सुरभि, सुप्रभा, सुरूचि, महिमा आदि उन्नतशील किस्में हैं।
अदरक प्रसंस्करण क्रियाः-
अदरक की गांठें (राइजोम)
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धुलाई
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छिलाई
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सुखाना (11-14ः)
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पालिशिंग
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पिसाई (पाऊडर बनाना)
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पैकेजिंग एवं विक्रय
धुलाईः- अदरक की गांठों की उपयुक्त सफाई पानी में भिगोकर, मसलकर या पानी के फव्वारे द्वारा की जाती है।
छिलाईः- अदरक की छिलाई हेतु रगड़ आधारित मशीन से या हाथों द्वारा किया जाता है। छिले हुये तथा साफ प्रकंद को अलग कर लेते हेैं।
सुखानाः- अदरक की गांठों को 10 प्रतिशत नमी तक सुखाया जाता है। सुखाने हेतु धूप का या सुखाई उपकरण का प्रयोग किया जाता है। गांठों पर मिट्टी, धूल व छिलकों के अवशेष हटाने के लिये सुखाने के पश्चात अदरक को छः घण्टों के लिये 2 प्रतिशत चूने के घोल में भिगोया तथा उसके पश्चात पुनः सुखाया जाता है।
पालिश करनाः- सुखाने के पश्चात गांठों की सतह पर सिलवटें आ जाती हैं जिससे वह देखने में खराब लगती है। अतः सूखी गांठों की सतह को रगड़कर चिकना एवं चमकदार बनाया जाता है। जिससे अच्छा मूल्य प्राप्त होता है।
फ़ोटो साभार: विकिपीडिया |
अदरक के उत्पाद-
अदरक पेस्टः-
ताजा, पकी हुई व स्वस्थ अदरक के प्रकंदो को रात भर पानी में भिगोकर रख दें। सावधानीपूर्वक छिलका हटाकर प्रकंदों को 1-1 इंच के टुकड़ों में काट लें। टुकड़ों को साफ पानी में धोएं ताकि प्रकंदों से छिलका हट जाये। कटे हुये टुकड़ों को 15 मिनट तक उबलते हुये पानी में उबालें। प्रकन्दों को उलबते पानी से निकालकर ठण्डा कर लें। इन टुकड़ों को मिक्सी में पीस कर पेस्ट बनायें तथा छिली अदरक के वजन के हिसाब से 10 प्रतिशत सिरका मिलायें। छलनी से पेस्ट को छान लें ताकि बिना पीसे टुकड़े अलग हो जायें। पेस्ट में 0.06 प्रतिशत सोडियम बेंजोयट रासायनिक परिरक्षक और 2 प्रतिशत सोडियम क्लोराइड (नमक) मिलायें। पेस्ट को ग्लास जार में भरने से पूर्व साफ पानी में उबाल लें तथा 1 सेमी0 भाग खाली छोड़कर बोतल में भर दें। जार के ढक्कन लगाकर सेलो टेप से बंद कर दें। जार के ऊपर लेबल में बनाने की तिथि, शुद्ध वजन, निर्माता का पता, बोतल खोलने के बाद प्रशीतन भण्डारण के निर्देश लिख दें। 1 किलोग्राम बिना छिली अदरक से लगभग 650 ग्राम पेस्ट प्राप्त किया जा सकता है।
अदरक की कैण्डीः-
इसके लिये बिना रेशे वाली बड़े आकार की अदरक लेकर अच्छी तरह से धोकर, स्टेनलेश स्टील के चाकू से छीलकर 1/3 से.मी. मोटाई के चिप्स काट लें। चिप्स को प्रेशर कुकर में रखकर पानी से ढक दें तथा पानी की मात्रा के अनुसार 5 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से साइट्रिक अम्ल डाल दें। साइट्रिक अम्ल चिप्स का रंग साफ करने के अतिरिक्त चिप्स को मुलायम करता है। कुकर का ढक्कन बन्द करके 15 से 20 सीटियाँ लगा लें। अच्छी तरह से मुलायम होने पर चिप्स को प्रेशर कुकर से निकाल कर ठंडा करके, स्टेनलेश स्टील के फोर्क से गोद लें।
एक किलो अदरक के चिप्स की कैंडी बनाने में 1.25 कि.ग्रा. तक चीनी उपयोग मे आती है। एक किलो चिप्स के लिये 300 ग्राम चीनी, 700 मि.ली. पानी तथा 1 ग्राम साइट्रिक अम्ल डालकर गर्म करके घोल बनाये तथा घोल को कपड़े से छान लें। चीनी के घोल में अदरक के चिप्स डालकर लगभग 10 मिनट तक उबाल कर, घोल को 24 घण्टे के लिये ऐसे ही छोड़ दें। दूसरे दिन चीनी के घोल की ब्रिक्स नाप लें तथा चिप्स को घोल से निकालकर घोल को गर्म तथा लगभग 250 ग्राम चीनी डालकर घोल की ब्रिक्स 100 गढ़ा लें, इस घोल में चिप्स को पुनः डालकर तथा 5 मिनट उबालकर चिप्स को घोल पहले की भांति 24 घण्टे के लिए छोड़ दें। तीसरे चैथे दिन इसी प्रकार चीनी का गाढ़ापन 100 बढ़ाते हुए चीनी का गाढ़ापन 600 ब्रिक्स तक ले आये तदुपरान्त चीनी का गाढ़ापन 50 ब्रिक्स बढ़ाते हुए 720 ब्रिक्स (चार तार की चाशनी) तक ले आयें। इस घोल में चिप्स को एक सप्ताह तक पड़ा रहने दें। यदि ब्रिक्स में कोई गिरावट आती है तो घोल को उबाल कर ब्रिक्स बढ़ा दें अन्यथा घोल के साथ चिप्स को एक हल्का उबाल देकर चिप्स को छलनी में छानकर ठंडा होने दें। अब चिप्स को पिसी चीनी में रोल कर लें जिससे चिप्स आपस में चिपकें नहीं। तैयार कैंडी को पोलीथीन बैग्स या चैड़े मुँह की ढक्कनदार बोतलों में उपयोग हेतु पैक करके रख लें। बचा हुआ चीनी का घोल अदरक के पेय के रूप में या इसको पतला करके फिर से कैंडी बनाने के कार्य में आ सकता है।
अदरक का आर.टी.एस. पेयः-
इसके लिए एक किलो अदरक को अच्छी तरह से धोकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर जूसर से जूस निकाल लेते हं। एक किलो चीनी में एक लीटर पानी तथा 20 ग्राम साइट्रिक अम्ल डालकर गर्म करके एक उबाल आने तक चीनी को घोल लेते हैं तथा घोल को महीन कपड़े से छान कर चीनी की गन्दगी हटा देते हैं। घोल के ठंडा होने पर इसमें अदरक का जूस मिला देते हैं तथा अब इसमें इतना पानी मिला देते हैं कि घोल का गाढ़ापन 150 ब्रिस्क हो जायें (एक किलो चीनी हेतु लगभग 5.5 ली0 पानी)। अब इस पेय को कपड़े से ढक कर 2-3 दिन के लिये ऐसे ही छोड़ देते हैं, जिससे अदरक के जूस के कण आदि तलहटी में बैठ जायें। पेय को रबर की ट्यूब की सहायता से साइफन कर लेते हैं तथा एक उबाल देकर बोतल में भर कर क्राउन कार्क से बन्द कर देते हैं। इन बोतलों को 20 मिनट उबलते पानी में रखकर ठंडा करके उपयोग हेतु रख लेते हैं। गर्मी में इस पेय का सेवन पेट विकारों को दूर करता है।
अदरक-नीबू स्कवैशः-
इसके लिये अदरक को छीलकर तथा बारीक काट कर जूस निकालने वाली मशीन से अरक का जूस निकाल लें। नीबू को भी दो हिस्सों में काट कर नींबू का जूस मिश्रण के लिये 2 किलो चीनी एक लीटर पानी में गर्म करके घोल लें तथा इस घोल में 2 चम्मच नींबू का जूस डाल दें जिससे चीनी साफ हो जायें। नीबू के घोल को महीन कपड़े से छान कर ठंडा होने के लिये रख दें। घोर ठंडा होने पर अदरक-नीबू के रस के मिश्रण तथा 2 ग्राम पोटेशियम मेटा बाईसल्फाइट 10 मि.ली. पानी में घोल कर इसमें मिला दें। स्कवैश को प्लास्टिक या काँच की ढक्कनदार बोतलों में पैक करके रख लें। एक भाग स्कवैश में तीन भाग ठंडा पानी मिलाकर स्वादिष्ट व स्वास्थ्यवर्धन पेय का सेवन करें।
अदरक का पाउडरः-
जब अदरक अहुतायत में व कम कीमत पर उपलब्ध हो, इसको पाउडर बनाकर संरक्षित कर पूरे वर्ष मसाले के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। पाउडर बनाने हेतु अदरक को अच्छी तरह पानी से किसी खुरदरी वस्तु से रगड़कर साफ कर लें तथा क्षतिग्रस्त हिस्से को काटकर हटा दें। अदरक को बारीक चिप्स (2मि.मी.) मोटाई से काटकर धूप में सुखा लें। पूरी तरह से सूखने पर खरल या मिक्सी में कूट कर पाउडर बना लें। पाउडर को पालीथीन की थैलियों या टीन के ढक्कन वाले जैम जार में भर कर रखें।
अदरक अचारः-
अदरक अचार के प्रकंदों केा बु्रश की सहायता से अच्छी तरह धोये ताकि मिट्टी साफ हो जाये। अदरक को छीलकर दुबारा साफ पानी से धोयें। अदरक को लम्बाई में 2 सेमी0 मोटे टुकड़ों में काट लें। टुकड़ों को गर्म पानी में 15 मिनट तक ब्लांच करें व गर्म पानी को फेंक दें। यह प्रक्रिया चार बार दोहरायें। इसके बाद अदरक के टुकड़ों में एक प्रतिशत नमक मिलायें। जार में ारें व नींबू का रस डालें जब तक अदरक के टुकड़े डूब न जायें। एक सप्ताह तक खट्टा होने तक रखें जब तक अदरक का रंग गुलाबी न हो जाये।
सूखी अदरक/सोंठः-
सूखी अदरक पीसने के बाद मसाले के रूप में उपयोग में ली जाती है। इसके अलावा इसे वाष्पशील तेल और ओलियोरेसिन निकालने के लिये भी उपयोग में लाया जाता है। अदरक के पके हुये व स्वस्थ प्रकंद लेकर साफ पानी से धोयें। प्रकंदों को छील लें व साफ पानी से धो लें। प्रकंदों को साफ सुथरी जगह पर सोलर शुष्क या सूर्य की रोशनी में सुखा लें। जब प्रकंदों के टुकड़ों में 10 प्रतिशत नमी रह जाये, सुखाना बंद कर दें। सूखे अदरक के टुकड़ों को प्लास्टिक कन्टेनर में सील पैक करके कमरे के तापमान पर 1 वर्ष तक भण्डारित किया जा सकता है। सोंठ बनाने हेतु साबुत प्रकंदों को सुखा लें। सूखने के बाद गांटों को चमकाने हेतु पालिशिंग की जाती है, जिससे उसकी विपणन मूल्य बढ़ जाता है।
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