अंतरराष्ट्रीय शख्सियतों की मौजूदगी में दुधवा लाइव इंटरनेशनल जर्नल व शिव कुमारी देवी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित इंटरनेशनल वेबिनार 10 मई 2020 को दोपहर 2 बजे से शुरू होकर 4:30 पर सम्पन्न हुआ, वेबिनार के मुख्य विषय "लॉकडाउन बनाम मानवता एवं मानवीय सम्बन्ध" पर सबसे पहले अपना वक्तव्य मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित व प्रख्यात समाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडेय ने दिया, लॉकडाउन में मजदूरों की बात, रिवर्स माइग्रेशन में गांवों में उनकी रोजी रोटी के प्रबंध के लिए राशनकार्ड की स्थिति व अनाज वितरण के जमीनी हालात क्या हैं और कैसे होने चाहिए, सामाजिक कार्यकर्ता बॉबी रमाकांत ने कोविड19 के दौर के लॉकडाउन में तंबाकू व एल्कोहल के इस्तेमाल से समाज पर इस बीमारी का क्या असर होगा विषय पर अपनी बात कही, हिन्दी के प्रोफ़ेसर व कथाकार डॉ देवेंद्र रहे, उन्होंने कोरोना काल में सभ्यताओं के चीथड़े उड़ते हुए देख रही मानवता को अब ये समझ लेना चाहिए कि हमारी सभ्यताएं प्रकृति में कितनी महत्वहीन व कमज़ोर हैं, प्रकृति हमारी बेजा हरकतों का जवाब ले रही है, दुधवा लाइव के वेबिनार में तीसरे स्पीकर एशोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सटीज के जॉइंट सेक्रेटरी डॉ आलोक कुमार मिश्रा ने ब्रेन मैपिंग, ब्रेन स्कैनिंग के मुद्दों पर बेहतरीन परिचर्चा की
इस इंटरनेशनल वेबिनार को होस्ट किया शिव कुमारी देवी मेमिरियल ट्रस्ट के संस्थापक व दुधवा लाइव जर्नल के सम्पादक कृष्ण कुमार मिश्र ने, वेबिनार में सहयोगी संस्थाओं में डिकोड एक्ज़ाम, बेस्ट बायो क्लासेज़ व शाहजहांपुर के रोटरी क्लब की अहम भूमिका रही, वेबिनार में एंकरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर अंजली दीक्षित ने की।
*दुधवालाइव डेस्क
दुधवा लाइव इंटरनेशनल जर्नल और शिवकुमारी देवी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेबनार अपने उद्देश्यों में पूर्ण सफल रहा है। कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय विषय विशेषज्ञों द्वारा कोरोला काल में मानवता एवं मानवीय संबंधों पर जो व्याख्यान दिए गए और श्रोताओं के सवाल-जवाब दिए गए, वह सभी प्रतिभागियों के लिए न केवल नवल जानकारियों से युक्त थे बल्कि हमारे दृष्टिकोण को व्यापक बनाने में सिद्ध भी हुए हैं। वास्तव में कोरोना के चलते मानवता संकट में है। जरूरत है, मानवीय मूल्यों की रक्षा करते हुए हम प्रकृति के साथ सह अस्तित्व की भावना को प्रकाढ करते हुए अपनी जीवन यात्रा को अविराम बढ़ाएं और सुखी रहे। केवल यही मार्ग है जिससे परस्पर पूरकता के साथ प्राणी मात्र एवं प्रकृति के अन्य उपादानों के साथ अपनेपन के भाव को विकसित कर मानवता को गरिमा में वितान दे सकते हैं। एक सहभागी के रूप में मैं अपने आप को बहुत समृद्ध महसूस कर रहा हूं।
ReplyDeleteधन्यवाद
प्रमोद दीक्षित मलय
शिक्षक एवं साहित्यकार
बांदा, उत्तर प्रदेश