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मैं अपने जिस्म के बाहर खड़ा हूँ , इन आँखों के दरीचे से
तो अब , बसें सड़कें मिलों की चिमनियां म्यूंसिपल्टी का वो नल कोढ़ी भिकारी , धनी-मल का बहुत ऊँचा मकाँ , कुछ भी नज़र आता नहीं ||
मशहूर शायर मुसहफ़ इक़बाल तौसिफ़ी की ये लाईने वर्तमान देश के परिपेक्ष में एकदम
सटीक बैठ रही है| हर इंसान चाहे कितनी ही रसूख का
हो कितना ही दीन हीन हो सभी अपने अपने आशियानों में कैद है| बजह सिर्फ एक बेजान सा कोरोना वायरस है| जो कोविड 19 के नाम से पूरे विश्व में मशहूर हो गया है| इंसानों के जिस्म में पेवंद होकर अपने नए शिकार को तलाश रहा
है| हम जिंदगी को मनचाही शक्ल में
नही ढाल सकते है तभी तो ना जाने कोन सा नया पन्ना सामने रख दे जिंदगी और कहे की इसे पढो| कोविड 19 को नियंत्रित होने में शायद अभी वक्त लगे सिर्फ
पब्लिक अवेयरनेस ही इसका सबसे अच्छा इलाज अभी तक निकल कर सामने आया है| सरकार अपना काम अच्छे से कर रही है बस हमे अपने को संतुलित
करके ही चलना है| क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-WHO) ने COVID-19 को एक महामारी के रूप में घोषित कर दिया है।
भारत में भी अभी हाल ही में COVID-19 के प्रभाव को देखते
हुए मंत्रियों के समूह (Group of
Ministers-GoM) की एक उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि सभी राज्यों/केंद्रशासित
प्रदेशों को महामारी अधिनियम, 1897 (Epidemic Disease Act, 1897) की धारा 2 के प्रावधानों
को लागू करना चाहिये ताकि मंत्रालय/राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा समय-समय पर
जारी की जाने वाली सभी सलाहों को उचित रूप से लागू की जा सके।
भारत के प्रयास
भारत में COVID-19 के 60 मामलों की
पुष्टि के बाद केंद्र सरकार द्वारा जारी एक नई यात्रा एडवाइज़री के अनुसार, राजनयिक, आधिकारिक, संयुक्त राष्ट्र/अंतर्राष्ट्रीय संगठन, रोज़गार, परियोजना वीज़ा को
छोड़कर सभी मौजूदा वीज़ा को 15 अप्रैल तक निलंबित कर दिया गया है और यह एडवाइज़री
13 मार्च से लागू होगी। भारत ने अब तक 948 यात्रियों को कोरोनोवायरस प्रभावित
देशों से निकाला है। इनमें से 900 भारतीय नागरिक हैं और 48 विभिन्न राष्ट्रीयताओं
से संबंधित हैं।
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को महामारी रोग अधिनियम, 1897 के प्रावधानों को लागू करने की सलाह दी है।महामारी
अधिनियम 1897 के लागू होने के बाद सरकारी आदेश की अवहेलना अपराध है. इसमें आईपीसी
की धारा-188 के तहत सजा का प्रावधान किया गया है. खास बात यह है कि यह कानून
अधिकारियों की सुरक्षा भी करता है| भारत सरकार ने वीजा को
15 अप्रैल, 2020 तक के लिए निलंबित कर दिया
गया है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय संगठनों, राजनयिकों और अन्य परियोजना यात्राओं के प्रतिनिधियों को
इससे छूट दी गई है।
भारतीय महामारी रोग अधिनियम
1897
भारतीय महामारी रोग अधिनियम साल 1897
में जारी किया गया है। उस दौरान वैश्विक स्तर पर देश में प्लेग का प्रकोप फैला हुआ
है। प्लेग एक महामारी है जिसके कारण लाखों लोगों की जानें गई थीं। प्लेग के बाद
भारत सरकार ने स्वाइन फ्लू, हैजा, मलेरिया और डेंगू जैसे विभिन्न बीमारियों की रोकथाम के लिए
भी ऐतिहासिक रूप से भारतीय महामारी रोग अधिनियम 1897 का इस्तेमाल किया।
भारतीय महामारी रोग अधिनियम 1897 को चार सेक्शन में बांटा गया है।
सेक्शन-1
जब सरकार को इस बात की पुष्टि हो जाती है कि किसी बीमारी के रोकथाम और उपचार
के लिए सभी प्रयास असफल हो रहे हैं और यह एक महामारी का रूप ले रहा है, तो सरकार सेक्शन-1 के तहत किसी व्यक्ति या किसी खास वर्ग के
व्यक्ति को पब्लिक नोटिस जारी करके रोकथाम या बचाव करने के जरूरी निर्देश जारी
करने की शक्ति प्रदान करता है।
सेक्शन-2
सेक्शन-2 के तहत सरकार को रोकथाम करने के लिए जरूरी उपाय करने की पूरी शक्ति
प्रदान होती। इसके तरह केंद्र सरकार अपने संदेह पर किसी भी व्यक्ति की जांच-पड़ताल, संक्रमित व्यक्ति का उपचार, यात्रा पर प्रतिबंध, प्रवास या परिवार से
पीड़ित को अलग रखने संबंधी जैसे कदम उठा सकती है।
सेक्शन-3
सेक्शन-3 के तहत भारतीय महामारी रोग अधिनियन का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों
के खिलाफ जुर्माना या आईपीसी, 1860 की धारा 188 के
तहत उसे दंड दिया जा सकता है।
सेक्शन-4
सेक्शन-4 के तहत कानून लागू कराने वाले व्यक्ति को सरकार संरक्षण प्रदान करती
है यानी उसके खिलाफ वाद दाखिल या कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
कब लागू किया जाता है भारतीय महामारी रोग अधिनियम 1897?
केंद्र सरकार भारतीय महामारी रोग अधिनियम 1897 कानून को उस वक्तण लागू करती है
जब उसे लगता है कि महामारी को रोकने के लिए उठाए जा रहे सभी अन्य कदम नाकाफी साबित
हो रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार भारतीय महामारी रोग अधिनियम 1897 का सहारा लेती
है। भारतीय महामारी रोग अधिनियम 1897 केंद्र सरकार की मर्जी और जरूरत के मुताबिक
एक साथ पूरे देश या सिर्फ किसी राज्य या किसी एक छोटे क्षेत्र में लागू किया जा
सकता है। भारतीय महामारी रोग अधिनियम के तहत सरकार के पास कुछ तरह के खास अधिकार
होते हैं, जिनका वे इस्तेमाल इसे लागू
करने के दौरान कर सकती हैं, जिसमें शामिल हैंः
सरकार रेलवे या किसी अन्य माध्यम से
यात्रा करने वाले यात्रियों की जांच-पड़ताल कर सकती है।
किसी भी वायरस संदिग्ध व्यक्ति को
कब्जे में ले सकती है या बल पूर्वक उसे अस्पताल में भर्ती भी कर सकती है।
इसके अलावा उचित निर्देश और सलाह के
बाद भी अगर कोई व्यक्ति भारतीय महामारी रोग अधिनियम का उल्लंघन करता है, तो केंद्र सरकार उसे हिरासत में लेने का भी अधिकार रखती है।
ऐसा करने पर व्यक्ति पर आईपीसी की धारा 188 के तहत एक अपराध का केस दायर किया जा
सकता है।
भारत में कब कब उपयोग हुआ भारतीय महामारी रोग अधिनियम 1897
साल 2018 में गुजरात के एक गांव में
फैले हैजा की रोकथाम के लिए भारतीय महामारी रोग अधिनियम 1897 को लागू किया गया था।
इससे पहले साल 2015 में चंडीगढ़ में
डेंगू और मलेरिया पर काबू करने के लिए केंद्र सरकार ने राज्य में भारतीय महामारी
रोग अधिनियम लागू किया था।
इससे पहले, साल 2009 में पुणे में स्वाइन फ्लू को नियंत्रित करने के
लिए भी सरकार ने इसी एक्ट को लागू किया था।
अन्य विधिक प्रावधान
महामारी रोग अधिनियम 1897 के साथ साथ भारतीय दंड संहिता भी इस महामारी की
रोकथाम के लिए बनया गया है| भारतीय दंड संहिता की
धारा 269 और 270 के अधीन संक्रमण को फैलाना एक दंडनीय अपराध है तथा यह संज्ञेय
अपराध है। पुलिस इस अपराध पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 के अंतर्गत एफ आई
आर दर्ज करने का अधिकार रखती है। धारा के अंतर्गत अपराधी को 2 वर्ष तक का कारावास
दिया सकता है।
सरकार द्वारा प्रयास के सुझाव
अभी तक COVID -19 के विरुद्ध कोई निश्चित
इलाज या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इसलिये सरकार की प्रतिक्रिया रणनीति निस्संदेह
जोखिम के संचार, स्वास्थ्य शिक्षा, सामाजिक गड़बड़ी और घर के अलगाव जैसे बुनियादी उपायों पर
निर्भर करती है। प्राकृतिक या मानवजनित बड़ी आपदाओं से निपटने के लिये बनाए गए
राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (National
Crisis Management Committee-NCMC) के माध्यम से सामाजिक संगठनों, विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में समन्वय स्थापित किया
जाना चाहिये। सरकार को अधिक-से-अधिक अत्याधुनिक उपकरणों से लैस प्रयोगशालाओं को
स्थापित करना चाहिये, ताकि व्यक्ति में
संक्रमण की पूरी तरह से पुष्टि हो सके। सरकार को आइसोलेशन वार्ड की सुविधा के साथ
सेपरेशन किट, मास्क इत्यादि की व्यवस्था करनी
चाहिये। सरकार द्वारा सभी हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर विदेश से आने वाले सभी
व्यक्तियों की गहन जाँच की व्यवस्था की जानी चाहिये। कोरोना वायरस से बचाव न केवल
सरकार का उत्तरदायित्व है बल्कि सभी संस्थानों, संगठनों, निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों, यहाँ तक कि सभी व्यक्तियों को इससे बचाव हेतु आकस्मिक और
अग्रिम तैयारी की योजनाएँ बनानी चाहिये।
नागरिको के लिए सुझाव
भारत में हर दिन वे लोग सामने आ रहे हैं जिन्होंने अपनी ट्रैवल हिस्ट्री छिपाई
और अब ये सभी को पैनिक कर रहे। वैसे ये पेंडेमिक " वेक अप कॉल" है सभी
के लिये। इसलिए हर व्यक्ति कोरेन्टीन का अनुशासन पूर्वक पालन करें| क्योंकि ये एक लम्बा युद्ध है जो कई महीनो तक चल सकता है| कोविड 19 ज्यादा खतरनाक है क्यूंकि ये संक्रमित जगहों पर
लम्बे समय तक ज़िंदा रह सकता है जैसे दरवाजे के हैंडल ,लिफ्ट के बटन ,अस्पताल का फर्श। और
इसका इन्क्यूबेशन पीरियड १४ से २१ दिनों का है यानी ये हो सकता है के लक्षण बाद
में आये। ये घातक इसलिए है क्यूंकि फेफड़ो में पानी भर जाता है और आप साँस लेने में
असक्षम होते है केवल वेंटिलेटर की सपोर्ट ही आपको उस अवस्था में बचा सकती है।
इसमें एक अजीब बात है के 18 साल से कम उम्र के लोगो में ये कम घातक है कारण
क्या है ये स्पष्ट नहीं है पर ये भी एक सच है पीड़ित व्यक्ति में जितने ज्यादा
लक्षण होंगे वो उतना ही अधिक दूसरो के लिए संक्रमित होगा। अत ये भी हो सकता है
बच्चे इससे पीड़ित होकर भी लक्षण ना दिखाए पर परिवार के बुजुर्गो या ऐसे लोगो के
लिए जिनकी इम्यूनिटी किसी दूसरे करने से खराब है ,चाहे वो कैंसर की किसी दवा के कारण या आर्थर्टिस में चलती अन्य दवाओं या लम्बे
डायबीटीज़ और ब्लड प्रेशर के कारण उनमे ये वायरस नुकसान कर सकता है। पहले से फेफड़ो
की किसी बीमारी से पीड़ित लोग ,टी बी की दवा लेते लोग।
ये एक नावेल वायरस है ,R N A और जल्दी म्यूटेट करता
है, इसे इसका वेक्सीन बनना इतना आसान नहीं है ,उसमे महीनो और वर्षो लग सकते है। इसलिए ये भी कहा जा रहा है जब तक एक बड़ी
आबादी इससे पीड़ित नहीं होगी ,इम्यूनिटी डेवलप नहीं
होगी। केवल सोशल डिस्टेंसिंग और कोरेन्टाइन से ही आप इस बढ़ते ग्राफ्स को फ्लेट कर
सकते है जो की इसके मेनेजमेंट की एक सट्रटेजी है ताकि उससे लड़ने का ब्रेथिंग टाइम
मिल सके वरना ये इतनी तेजी से क्लस्टर बनाएगा आप इमेजिन नहीं कर सकते।
लेखक
अंजली दीक्षित
असिस्टेंट प्रोफेसर
फैकल्टी ऑफ़ जुरिडिकल साइंसेज
रामा यूनिवर्सिटी, कानपुर
email: anjalidixitlexamicus@gmail.com
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