वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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बीती सदी में बापू ने कहा था

"किसी राष्ट्र की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से मापा जाता है कि वह अपने यहां जानवरों से किस तरह का सलूक करता है"- मोहनदास करमचन्द गाँधी

ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Sep 25, 2019

जानवरों को ग़ुलामी से मुक्त करो...

#आज़ादी

हर साल 15 अगस्त को हम पिछले 72 वर्षों से स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं पर क्या स्वतंत्रता सिर्फ हमें ही चाहिए ?

चित्र में इस गाय को इसका मालिक कहे जाने वाले लोग खींच रहे हैं। वे इस गाय को सुबह खोल देते हैं और शाम को बांध लेते हैं। आज शाम को ये सड़क पर खड़ी थी तो इसके मालिक रस्सी लेकर इसे पकड़ने आए, इसके गले में रस्सी बांध दी और खींचने की कोशिश करने लगे पर गाय अपनी पूरी ताकत से खींचे जाने का विरोध करती रही। फिर दो और लोग आ गए और पीछे से उसे धकेलने की कोशिश करने लगे पर विफल रहे। उन्होंने गाय को मारा, धकेला, खींचा पर गाय अहिंसक ढंग से पूरी ताकत से खुद को बंधक बनाए जाने का विरोध करती रही और इस दौरान सड़क पर जाम लग गया तो अंततः उन लोगों को गाय के गले से रस्सी वापस निकाल लेना पड़ा और रस्सी हटते ही गाय उछलती हुई झाड़ियों के पार भाग गई और बंधन से आज़ादी को पुनः प्राप्त कर लिया। हालांकि स्वतंत्रतापूर्वक विचरण करने के लिए घास के मैदान, बैठने के लिए बगीचा, पानी के लिए तालाब आदि पर इंसानों के कब्जे के वजह से उनकी आज़ादी अभी भी अधूरी है।

धरती पर जीव-जंतुओं की 80 लाख से ज्यादा प्रजातियां और उनके असंख्य जीव हैं पर आज पूरी धरती पर हमारी प्रजाति अर्थात इंसानों का कब्जा है। माउंट एवरेस्ट से समुद्र की गहराई तक, रेगिस्तान से ध्रुवीय प्रदेशों तक इंसान हर जगह अपने हिसाब से धरती का इस्तेमाल कर रहा है और इस वजह से लाखों जीव-जंतुओं को पर्यावास, भोजन, पानी, आज़ादी आदि के अभाव में किसी तरह रिफ्यूजी की भांति जीवन गुजारना पड़ रहा है और इस वजह बहुत सी प्रजातियां रोज़ विलुप्त हो जा रही हैं और धरती पर 6वां बड़ा विलुप्तीकरण शुरू हो गया है। कई जंगलों को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है परंतु फिर भी वहां पयर्टक, शिकारी, सरकारी अधिकारी आदि जीवन विरोधी गतिविधियां करते हैं और सरकारें विकास के नाम पर उन जंगलों के बीच से सड़क, रेलमार्ग और खनिज पदार्थों को निकालने के लिए खनन जैसी विनाशकारी गतिविधियां चला रही हैं। ऐसे में अपने घर, भोजन, पानी से महरूम कर दिए गए जानवर अक्सर इंसानों द्वारा कब्जा किए गए इलाकों अर्थात मानव बस्तियों में आते हैं और लालची मानव से उनका संघर्ष होता है। इंसानों द्वारा दूध की लालच की बड़ी संख्या में पैदा करवाकर छोड़े गए गौवंश पर्यवास, भोजन और पानी के अभाव में अपना पेट भरने जब जंगलों को काटकर अथवा चारागाह पर बने खेतों में जाते हैं तो भी लालची मानव से उनका संघर्ष होता है और इन संघर्षों के परिणामस्वरूप वे जानवर बुरी मौत मरते हैं व इंसानों द्वारा नफरत भरी दृष्टि से देखे जाते हैं। अरबों वर्ष पूर्व जब धरती पर जीवन शुरू हुआ था तब से इन जीव-जंतुओं ने साथ रहकर धरती पर जीवन को फलने-फूलने में मदद किया पर पिछले 10 हज़ार साल पहले अस्तित्व में आया वर्तमान मानव अर्थात होमो सैपियन्स सैपियन्स धीरे-धीरे धरती पर अपना कब्जा जमाने लगा और कुछ जानवारों को अपना गुलाम बनाने लगा और 300 वर्ष पूर्व औद्योगिक क्रांति के बाद से प्राकृतिक संसाधनों को निकालने के लिए जीव-जंतुओं के पर्यवास को नष्ट करके चारों ओर धरती को लूटना शुरू कर दिया।

तो इस तरह हमने इन जीव-जंतुओं के पर्यावास, भोजन और पानी पर कब्जा करके तथा कई जानवरों को बांध कर/ पिंजरे में बंद करके अपना गुलाम बनाया है और कई जानवरों के साथ हम आतंकवादियों जैसा बर्ताव भी कर रहे हैं। आईए, इस स्वतंत्रता दिवस पर हम प्रण लें कि हम इस धरती पर मौजूद सभी जीव-जंतुओं के अस्तित्व का सम्मान करेंगे, उनके प्रति दयावान बनेंगे, उनको उनकी आज़ादी व अधिकार दिलाने की यथासंभव पूरी कोशिश करेंगे, उनके ऊपर हो रही क्रूरता को भी रोकेंगे तथा एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की तरह लोगों को जागरूक कर जीव-जंतुओं की आज़ादी व अधिकार उन्हें वापस दिलाएंगे।



~ रुषी एवं अभिषेक दूबे, नेचर क्लब जनपद गोण्डा उत्तर प्रदेश 

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