हाथी की मौत का कारण रेलवे ट्रैक या ग्रामीणों की करतूत कारण अभी तक अज्ञात
शनिवार (खीरी) दुधवा टाइगर रिजर्व क्षेत्र के बफरजोन में उत्तर निघासन रेंज में खैरटिया के निकट एक हाथी को मृत पाया गया, ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी।
सूत्रों के हवाले से रेलवे ट्रैक और खैरटिया गांव के किसान के खेत मे मिले मृत हाथी की दूरी पर्याप्त है, हाथी के नाक कान व आंख से खून निकल रहा था, यह स्थित ट्रेन की टक्कर व हाईटेंशन तारों के करेंट से ही सम्भव है, जबकि डीसी करेंट से हाथी को नुकसान पहुचा ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है।
गौरतलब है कि दुधवा टाइगर रिजर्व से गुजरती रेल लाइन पर कई बार बाघ हाथी और अन्य जानवरों के कटने मरने की घटनाएं अतीत में होती रही है, सवाल यह भी है कि यदि इतना विशाल जानवर ट्रेन से टकराया तो रेलवे के ड्राइवर गार्ड या यात्रियों ने इसकी सूचना वन विभाग या अन्य जगहों पर क्यों नही दी या फिर ऐसी घटना हुई ही नही। ग्रामीण भी जंगली जानवर व मवेशियों के लिए मौत के साजो सामान लगाए रहते है, कटीले तार, करंट और जहर आदि से मरने वाले जानवरों की तादाद बहुत है रोज ही ऐसी घटनाएं सामने आती है, लेकिन सरंक्षित वन क्षेत्र में या उसके आस पास ये घटना होना वन विभाग की मॉनिटरिंग पर सवाल उठाता है, और उन संस्थाओं पर भी जो जंगली जानवरों के सरंक्षण के लिए दुधवा के आस पास जागरूकता कार्यक्रम चलाने की बात कर रही हैं।
मौजूदा समय मे दुधवा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में नेपाली हाथियों के झुंड आते है, दुधवा में वाइल्ड एलिफेंट का कोई स्थाई बसेरा नही, इनका माइग्रेशन रूट इनके समूह की संख्या और इनके व्यवहार व किन वनस्पतियों को भोजन के रूप में उन पसन्द करते हैं दुधवा प्रशासन के पास में इसका कोई माकूल अध्ययन नही है।
पूर्ववत की तरह तीन मवेशी डॉक्टरों के पैनल से इसका भी पोस्ट मार्टम कराकर मृत्यु के कारण की पुष्टि कर दी जाएगी।
दुधवा के जानवरों पर मंडरा रहे मौत के खतरों के प्रति सचेत व उचित कदम उठाने की सख़्त आवश्यकता है।
दुधवा लाइव डेस्क
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