इस ख़ूबसूरत फूल की तासीर में है मलेरिया को ख़त्म करने की क़ूवत
उत्तराखण्ड के नैनीताल रोड पर ख़िल आए इन पुष्पों को देखकर मन आकर्षित हुआ की चलो तस्वीर निगारी कर ली जाए वैसे इस फूल से पहले भी राब्ता हुआ हमारा, हमारे घर के पास उग आए थे ये फूल, इनकी पीली, नारंगी आभा ने इसकी तस्वीर भी खिंचवा ली थी हमसे पर पुख्ता तौर पर इस फूल से वाकिफ़ न हो पाया था, दूसरी मुलाकात में इस ऐस्ट्रेसी कुल के पौधे से परिचित हुआ, इस एस्ट्रेसी कुल की यही खासियत है कि यह अपना प्रसार पूरी धरती पर बहुत तीव्रता से कर लेते हैं, और साल दर साल अपने ही बीजों से उगते रहते हैं, नतीजतन इनकी समष्टि विशाल होती जाती है।
इस पुष्प वाली वनस्पति को वैज्ञानिक भाषा में Cosmos sulphureus कहते है, हम इसे अभी तक इसे कोई नाम न दे पाए, इस वनस्पति की वास्तविक जमीन मैक्सिको है, पर अब यह पूरी दुनिया में फैल गया है और बिखेर रहा है अपने रंगों की रौशनाई इस कायनात में। इसकी कई प्रजातियां विकसित की गई जिनमें रंगों की छटा भिन्न भिन्न है, किन्तु यूनाइटेड स्टेट में इसे इन्वेशिव स्पेशिज की श्रेणी में रखा है क्योंकि यह बहुत जलड़ी हर जगह उग आती है और इनके फूलों पर जो कीट पतंगे निर्भर होते है वह वहां की कृषि क्षेत्र में हानिकारक माने गए, नज़रिया है जुदा जुदा किन्तु धरती पर सब महत्वपूर्ण है मनुष्य स्वयं अपने तात्कालिक फायदे नुकसान के मुताबिक बना लेता है ये बेहूदा नियम।
इस वनस्पति को इंडोनेशिया में इसकी जडों/राइजोम को सब्जी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, जिसे वहां ललब या गुड़ंग कहते है, कई देशों में इनके रंग बिरंगे फूलों से डाई भी तैयार की जाती है।
इस फूल पर बहुत सी तितलियां व चिड़ियां इसके पराग रस के कारण आकर्षित होती है।
हालिया शोध के मुताबिक पाकिस्तान के वैज्ञानिकों ने चूहों पर प्रयोग किए, जिसमें अत्यधिक पैरासिटामॉल देने पर चूहों के लिवर पर जो दुष्प्रभाव पड़े वह इस वनस्पति के रस से ठीक हुए।
इस वनस्पति में मलेरिया परजीवी प्लाज्मोडियम को नष्ट करने की भी ताकत है, और सूजन आदि में भी यह फायदेमंद हैं। और न जाने कितने गुण होंगे प्रकृति की इस सौगात में जिन्हें हम अभी तक नही जान पाए।
कृष्ण कुमार मिश्र
मैनहन
खीरी
भारत वर्ष
#Cosmossulphureus
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