RO का मुर्दा पानी पीनेवालों के लिए एक नसीहत...
आर ओ एक ऐसा यंत्र जो वॉटर प्यूरीफायर के नाम पर बेंचा जा रहा हैं, पर इसकी हक़ीक़त से अनिभिज्ञ लोग, धरती के उस भूभाग पर जहां धरती तमाम फ़ायदेमंद तत्वों से भरपूर जल देती है भी फैशन के दौर में RO यानी रिवर्स ऑस्मोसिस की प्रक्रिया वाला विथ यूवी फिल्टर लगवा लेते हैं, जल जीवन है, आप केवल जल पीकर बिना कुछ खाए 15 दिन जीवित रह सकते है या उससे अधिक किन्तु RO का पानी पीकर 24 घण्टे में ही ईह लीला समाप्त हो सकती है उस पर से अगर RO के पानी का टीडीएस यानी पानी मे कुल घुले हुए ठोस पदार्थ का पैमाना 50 से नीचे है तो तो आपके बाल झड़ जाएंगे, हड्डियां कमजोर हो जाएगी और कैंसर हो जाएगा, और आप हॉर्ट के मरीज हो जायेगें ऐसा मैं नही कह था WHO और भारत सरकार की संस्था कह रही है, आप कल्पना करिए कि ये कम्पनियां आपको बेंच रही है मशीन और आप लगवा भी रहे है आधुनिकता के दौर में, बिना ये जाने की मीठे व न्यूट्रिएंट से भरपूर जल जिसमे मैग्नीशियम पोटैशियम कैल्शियम और न जाने कितने महत्वपूर्ण तत्व है जो इस मशीन के द्वारा नष्ट कर दिए जाते है, अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से जल में मौजूद फायदे मंद माइक्रो आर्गेनिज्म भी नष्ट हो जाते है और आप पीते हो मुर्दा पानी, क़भी कुएं व प्राकृतिक सोतों से व नल से फूटती जलधार को लोग बाग डाल का टूटा पानी कहते थे यानी एकदम ताजा पर अब आप मुर्दा पानी पी रहे हैं।
याद रखिए 900 टीडीएस तक का पानी पीने योग्य होता है, और 300 से 500 तक के टीडीएस वाला पानी बहुत ही बेहतर किन्तु 300 से नीचे के टीडीएस वाले पानी को हाथ भी न लगाए, यकीन न हो तो गांव घर शहर के पानी का टीडीएस 500-600 टीडीएस से ऊपर न होगा केवल औद्योगिक क्षेत्रों वाले महानगरों व जहां जमीन के भीतर उद्योगों ने अपने कचड़े भर दिए, इसलिए RO तभी लगवाएं जब आपके घर का पानी 600 टीडीएस से ऊपर की रीडिंग देता हो।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 300 टीडीएस से नीचे और 100 टीडीएस से ऊपर के मानक को वहां के लिए चिंन्धित किया जहां इंडस्ट्रियल इलाकों महानगरों में भूतल का पानी पूर्ण प्रदूषित है, गांव व अन्य शहरों व कृषि क्षेत्रों के लिए नही, वहां 300 से 500 तक के टीडीएस का पानी ही बेहतर है जो भूतल से यूँ ही मिलेगा बिना आर ओ मशीन के, फिर पैसे व स्वास्थ्य के साथ आधुनिकता के नाम पर ये खिलवाड़ क्यों?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 300 टीडीएस से नीचे और 100 टीडीएस से ऊपर के मानक को वहां के लिए चिंन्धित किया जहां इंडस्ट्रियल इलाकों महानगरों में भूतल का पानी पूर्ण प्रदूषित है, गांव व अन्य शहरों व कृषि क्षेत्रों के लिए नही, वहां 300 से 500 तक के टीडीएस का पानी ही बेहतर है जो भूतल से यूँ ही मिलेगा बिना आर ओ मशीन के, फिर पैसे व स्वास्थ्य के साथ आधुनिकता के नाम पर ये खिलवाड़ क्यों?
और विचारिए जिस जगह RO के पानी के टीडीएस की रीडिंग 9 आ रही हो ? यानी इर कम्पनी वाले और डिस्ट्रीब्यूटर व मैकेनिक (जो कि अप्रशिक्षित व केवल पार्ट्स बदलने के लिए भेजा जाने वाला जिसके मगज़ में रिवर्स ऑस्मोसिस और टीडीएस जैसी बातें बेहूदा हैं) आपको मारने पर तुले है, मुर्दा पानी पिलाकर, बावजूद इसके की ये आपकी कम्प्लेंट पर मिस्त्री भेजकर फिल्टर या अन्य जो बदलना होगा उसे बदल देंगे और थमा देंगे बिल परन्तु ये नही देखेंगे कि टीडीएस का पैमाना क्या कह रहा है।
कुल मिलाकर जिंदगियों से खिलवाड़ करते ये लोग, फिलहाल RO कम्पनी के कस्टमर केयर पर कम्प्लेंट दर्ज करा दीजिए और टीडीएस लगभग 300 तक कि सीमा में सुनिश्चित करें जो ह्रदय के स्वास्थ्य के लिए उत्तम है, कम्पनी को हिदायत भी दे कि टीडीएस का मानक भारतीय मानक ब्यूरो की तय सीमा के मुताबिक हो, यह सुनिश्चित करें कि टीडीएस मौत की सीमा में न रखे इससे बेहतर तो कथित गन्दा पानी पीकर व्यक्ति स्वस्थ्य रह लेगा। और क्या ये RO कम्पनी वाले टीडीएस के अतिरिक्त पानी की पीएच वैल्यू चेक करते हैं क़भी?
एक तकनीकी बात यदि टीडीएस 50 से नीचे है तो ऐसा पानी प्लास्टिक को भी डिजाल्व यानी घोलने की क्षमता रखता है जो शरीर मे कैंसर व ह्रदय की बीमारियों का सबब बनता है। यह डब्ल्यू एच ओ की रिपोर्ट में वर्णित है।
पहले पानी गन्दला करो फिर तकनीक का इस्तेमाल और फिर यह तकनीक आप को यह इत्मीनान दिलाए की पानी गन्दा करते जाइए तकनीक है न! जब पानी ही न रहेगा इस लायक की कोई मशीन साफ कर सके तो क्या करेंगे।
एनजीटी ने फैसला दिया कि जहां के भूभाग में पानी गन्दा न हो उस स्तर तक कि मशीन का इस्तेमाल हो सफाई के लिए, तो वहां आरओ बैन, फिर भी RO कम्पनियों के मालिकान तर्क दे रहे है कि ये सही नही, और वो झुठला रहे हैं, WHO और भारतीय मानक ब्यूरो के मानक को भी कितने टीडीएस का पानी पीने योग्य व स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
बाजार आपकी जिंदगी बेजार न कर दे सो सचेत रहिए, वंसुधरा पानी नही अमृत देती है मिनरल से भरपूर उसे इस मशीन से निकालकर मुर्दा पानी न पिए।
RO वहां जरूरी है जहां आदमी ने गंदगी फैलाकर पानी मे सड़ान्ध व जहरीले रसायनों के स्तर को इतना ज्यादा कर दिया कि वह पानी स्वास्थ्य पर बुरा असर डाले व पी सकने योग्य न हो, वहां जरूरी नही जहां पानी आपको जीवन जीने के पोषक तत्व दे रहा है जो जरूरी है जिंदगी के लिए।
कृष्ण कुमार मिश्र
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