photo courtesy: Greenpeace India |
वायु प्रदूषण से निपटने के लिये 102 शहरों में से सिर्फ 36 शहरों की कार्ययोजना तैयार
नई दिल्ली। 12 अक्टूबर 2018। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 8 अक्टूबर 2018 को केन्द्र के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) को अधिसूचित करने की प्रस्तावना पर आयी एक अखबार की रिपोर्ट के बाद आत्म संज्ञान लेते हुए केन्द्र और राज्य सरकारों को मिलकर तय समय-सीमा के भीतर योजना बनाकर पूरे देश में वायु प्रदूषण को राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक के अंदर लाने के लिये कहा है। ग्रीनपीस इंडिया उम्मीद करती है कि एनजीटी के इस आदेश के बाद जल्द ही एनसीएपी को अधिसूचित किया जायेगा।
ग्रीनपीस इंडिया के सीनियर कैंपेनर सुनील दहिया कहते हैं, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अदालत को योजना बनाने से लेकर उसे लागू करने तक हर कदम पर हस्तक्षेप करके यह सुनिश्चित करना पड़ रहा है कि लोगों के हितों की रक्षा हो। क्या यह सरकार की जिम्मेदारी नहीं है कि वह बिना कोर्ट के हस्तक्षेप के नीतियों को लागू करे?”
सुनील आगे कहते हैं, “हम लोग देख रहे हैं कि सरकार लगातार पर्यावरण से जुड़े कानून कमजोर करके और प्रदूषण फैलाने वाले कंपनियों के हित में नीतियों में बदलाव कर रही है।”
आम लोगों और मीडिया के काफी दबाव के बाद पर्यावरण मंत्रालय ने अप्रैल में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के ड्राफ्ट को लोगों की प्रतिक्रिया के लिये अपने बेवसाइट पर सार्वजनिक किया था। लेकिन पांच महीने बीत जाने के बावजूद अभी तक कार्यक्रम को लागू नहीं किया जा सका है। वायु प्रदूषण की खराब स्थिति पर सवाल उठाने पर राज्य और केन्द्र सरकार एक-दूसरे पर उंगली उठाने लगते हैं। दूसरी तरफ पर्यावरण मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय दोनों ही प्रदूषण फैलाने वाले औद्योगिक ईकाईयों और थर्मल पावर प्लांट के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। दोनों ने मिलकर थर्मल पावर प्लांट के लिये जारी उत्सर्जन मानकों को लागू करने की समय सीमा को पांच साल और बढ़ाने की अनुमति दे दी।
एनजीटी ने 8 अक्टूबर 2018 को अपने आदेश में कहा है कि एनसीएपी को अंतिम प्रारुप देने में थोड़ी प्रगति हुई है, लेकिन अभी भी वर्तमान वायु प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए इस कार्यक्रम को लागू करने की गति बेहद धीमी है। एनजीटी ने ऑब्जर्व किया है कि 102 शहरों में से सिर्फ 73 शहरों की कार्ययोजना ही जमा हो सकी है। इसमें से भी 36 शहरों की ही कार्ययोजना तैयार है, 37 शहरों की योजना अभी भी अपूर्ण है और 29 शहरों ने अभी तक अपना कार्ययोजना जमा ही नहीं किया है। (सितंबर 2018 तक)। एनजीटी ने आदेश में इस बात को साफ-साफ कहा गया है कि वाहनों की संख्या को, औद्योगिक ईकाईयों के प्रदूषण को नियंत्रित करने और वायु गुणवत्ता को मानकों के भीतर लाने की तत्काल जरुरत है।
सुनील कहते हैं, “यह जानना सुखद है कि पर्यावरण मंत्री वायु प्रदूषण की वजह से देश की अंतर्राष्ट्रीय छवि खराब होने को लेकर चिंतित हैं लेकिन यह चिंता तब तक ठोस नहीं मानी जायेगी जब तक कि एनसीएपी को योजनाबद्ध तरीके से तत्काल लागू नहीं किया जाए । यह निराशाजनक है कि पर्यावरण मंत्री आराम से अपनी जिम्मेदारी राज्य सरकार पर डाल दे रहे हैं और राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम को लागू करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। उनके दावों के हिसाब से एनसीएपी को बहुत पहले लागू हो जाना चाहिए था। बहुत सारे खबरों के हिसाब से इसकी समय सीमा 5 जून और 15 अगस्त 2018 ही तय था।”
अब केन्द्र सरकार को एनसीएपी में सारे राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों द्वारा तैयार कार्ययोजना को मिलाकर उसे लागू करना होगा। इसके लिये पर्याप्त बजट भी आंवटित करना होगा। ग्रीनपीस इंडिया उम्मीद करती है कि एनजीटी के हस्तक्षेप के बाद जल्द ही केन्द्र सरकार इस कार्यक्रम को लागू करने की दिशा में पहल करेगी और देशभर में वायु प्रदूषण की वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर उतपन्न खतरा कम होगा।
Avinash Kumar, Senior Media Specialist, avinash.kumar@greenpeace.org
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