गन्ना उपज एवम् चीनी परता में उत्तरोत्तर वृद्धि प्राप्त करने हेतु शीघ्र पकने वाली प्रजाति को0शा0 08272
सूर्य की किरणों से प्राप्त ऊर्जा तथा वायु मण्डल में व्याप्त हानिकारक कार्बन डाई ऑक्साइड गैस को चीनी एवम् ऊर्जा में परिवर्तित करने की अपार क्षमता गन्ने की खेती में विद्यमान है। वर्तमान वैज्ञानिक युग में गन्ना खेती से प्राप्त गन्ना व इसके विभिन्न उत्पादों जैसे-अगौला आदि का उपयोग, चीनी, गुड़, एल्कोहल आधारित विभिन्न रसायनों के उत्पादन के साथ-साथ पशुओं हेतु हरा चारा, जीवन रक्षक एन्टीबायोटिक्स, प्लाईवूड, कागज, बायोफर्टिलाइजर एवम् विद्युत उत्पादन में किया जा रहा है। ब्राजील की तरह भारत सरकार द्वारा गन्ने से इथेनॉल उत्पादित करने वाली मिलों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, फलस्वरूप वाहन व विभिन्न उद्योगों आदि से उत्सर्जित हो रही हानि कारक कार्बन डाईऑक्साइड गैस का सर्वाधिक उपयोग (कार्बन सिक्वेस्ट्रेषन) गन्ना फसल द्वारा प्रकाष संश्लेषण में किये जाने से प्रदूषणमुक्त वातावरण निर्मित करने में सहायता मिल रही है।
गन्ना भारत वर्श की व्यवसायिक व एक प्रमुख नकदी फसल है जिसका चीनी उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान है। उ0प्र0 में अधिकांशत: पुरानी व अस्वीकृत प्रजातियाँ 25.38 प्रतिशत क्षेत्रफल में अभी भी आच्छादित हैं साथ ही अगेती प्रजातियों का क्षेत्रफल तीव्र गति से बढ़ रहा है जिसका प्रभाव गन्ने की औसत उपज व चीनी परता पर स्वतः परिलक्षित है। फलस्वरूप वर्श 2012-13 में 9.26 प्रतिशत अगेती प्रजातियों के क्षेत्रफल से औसत उपज 61.6 टन/हे0 तथा चीनी परता 9.18 प्रतिशत प्राप्त हुआ था जो वर्श 2015-16 में तीव्र गति से बढ़कर अगेती प्रजातियों का क्षेंत्रफल 34.47 प्रतिशत तथा प्रदेश की औसत उपज 66.46 टन/हे0 व चीनी परता 10.61 प्रतिशत पाया गया। अतः जल्दी पकने वाली प्रजातियों से गन्ना क्षेत्रफल आच्छादित करने से औसत उपज तथा चीनी परता में सार्थक वृद्धि प्राप्त हो रही है।
राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश की औसत गन्ना उपज के साथ चीनी परता में उत्तरोत्तर वृद्धि प्राप्त करने हेतु अगेती गन्ना प्रजातियों से 50 प्रतिषत क्षेत्रफल को आच्छादित करना आवष्यक है। पूर्व में विकसित शीघ्र पकने वाली प्रजातियाँं अधिक गन्ना उपज के साथ बहुपेड़ीय क्षमता विद्यमान न होने के कारण किसानों में लोकप्रिय नहीें हो सकीं। उ0प्र0 गन्ना शोध परिषद द्वारा गुणवत्ता प्रजनन पर विशेष बल देने के फलस्वरूप वर्तमान में विकसित की गयी जल्दी पकने वाली प्रजाति को0शा0 08272 में बहुपेड़ीय क्षमता के साथ गन्ना उपज एवम् चीनी परता में उत्तरोत्तर वृद्धि प्रदान करने के साथ ही रोग एवम् कीटों के आपतन के प्रति रोगरोधिता का गुण होने के कारण वर्ष 2011 में इस प्रजाति को सामान्य खेती हेतु सम्पूर्ण उ0प्र0 हेतु अवमुक्त किया गया। इस प्रकार जल्द पकने वाली प्रजातियों की शरद्कालीन बुवाई से प्राप्त उपज में बसन्तकालीन बुवाई की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत अधिक गन्ना उत्पादन प्राप्त होने के साथ ही 0.5 प्रतिशत अधिक चीनी परता भी प्राप्त किया जा सकता है। विपरीत परिस्थितियों (जल भराव, सूखा, पाला आदि) में शरद्कालीन गन्ना उत्तम सिद्ध हुआ है। सूखे की स्थिति प्रायः मई-जून के महीने में रहती है। इस समय तक शरद्कालीन गन्ने की जड़ें काफी गहराई तक पहुँच जाती हैं और अधिक पोषक तत्वों को अवशोषित कर सूखे से ज्यादा हानि नहीं होती है। बाढ़ की स्थिति प्रायः अगस्त-सितम्बर महीने में होती है तब तक गन्ने की फसल की अत्यधिक जड़ें जकणी होती हैं जिससे बाढ़ का कुप्रभाव कम पड़ता है।
अतः शरद्कालीन बुवाई में को0शा0 08272 की खेती गहरे ट्रेन्च विधि द्वारा करने से किसान भाइयों को सवा गुना अधिक उत्पादन मिलने के साथ ही चीनी परता में वृद्धि प्राप्त होने से चीनी उत्पादन की लागत भी कम आयेगी।
कृषकोपयोगी गुण
को0शा0 08272 में अगेती प्रजातियों के साथ ही मध्य देर से पकने वाली प्रजातियों की तरह माह अप्रैल तक पशुओं के चारे हेतु अत्यधिक हरा अगोला बना रहने के साथ ही चीनी परता में उत्तरोत्तर वृद्धि प्राप्त होती है। उत्तर प्रदेश/उत्तर भारत की जलवायु के अनुसार व्यापक अनुकूलनशीलता विद्यमान होने के कारण प्रति गन्ना वजन के साथ-साथ चारे हेतु स्वादिष्ट व पौष्टिक अगोला माह अक्टूबर से अप्रैल तक बना रहता है। अतः किसान भाइयों को को0शा0 08272 द्वारा अधिकाधिक क्षेत्रफल में बुवाई करने से आम के आम गुठलियों के दाम अर्थात् पशुओं हेतु सुपाच्य हरा चारा (अगोला) मिलने के साथ ही प्रति गन्ना वजन में वृद्धि होते रहने के कारण गन्ना उपज में पेराई सत्र से प्रारम्भ (अक्टूबर) से ही अन्तिम सत्र तक (अप्रैल) गन्ना व चीनी उत्पादन में वृद्धि प्राप्त होती है (चि़त्र 1)। जमाव, ब्याँत एवम् मिल योग्य गन्नों की संख्या अच्छी रहने के साथ ही गन्ना मोटा एवम् ठोस रहता है। इस प्रकार अन्य प्रजातियों की तुलना में को0शा0 08272 प्रजाति के ब्याँत में एकरूपता पाये जाने के फलस्वरूप सभी मिल योग्य गन्ने लगभग एक समान मोटाई, लम्बाई व वजन के होते हैं। गन्ना मध्यम कड़ा होने के कारण गिरता नहीं है (चि़त्र 1)।
प्रदेश की विभिन्न जलवायु में स्थित 14 चीनी मिलों में पोल प्रतिषत इन केन के विश्लेषणोपरांत प्राप्त मुक्त आँकड़ों से स्पष्ट परिलक्षित हो रहा है कि जल्दी पकने वाली प्रजाति को0शा0 08272 में को0जे0 64 की तुलना में 3.03 प्रतिशत अधिक चीनी परता (पोल प्रतिशत इन केन) होने के साथ ही चीनी परते में उत्तरोत्तर वृद्धि प्रदान करने की आनुवंशकीय क्षमता विद्यमान है। फलस्वरूप चीनी मिलों में पेराई सत्र के प्रारम्भ (अक्टूबर 9.60 प्रतिशत पोल इन केन) से अन्त (मार्च 13.60 पोल प्रतिशत इन केन) तक उत्तरोत्तर चीनी परते में वृद्धि प्राप्त हो रही है।
जल्द पकने वाली प्रजाति को0शा0 08272 के साथ प्रमाप को0जे0 64 का प्रदेश की विभिन्न चीनी मिलों के जोनल परीक्षण से प्राप्त दो वर्षों के औसत पोल प्रतिशत इन केन के आंकड़ों का तुलनात्मक विवरण में कोशा ०८२७२ एक बेहतर प्रजाति साबित हुई.
जल्द पकने वाली प्रजाति को0शा0 08272 से उत्तर भारत की पूर्व में सर्वोत्तम अगेती प्रजाति को0जे0 64 की तुलना में प्राप्त तीन वर्षीय आंकड़ों से स्पष्ट परिलक्षित होता है कि को0शा0 08272 की बुवाई से किसानों की उपज में 62.94 प्रतिषत की सार्थक वृद्धि प्राप्त होगी
चीनी उद्यमियों को को0शा0 08272 की पेराई के प्रारम्भ में ही लगभग 10 प्रतिशत (नवम्बर) चीनी परता प्राप्त होने के साथ-साथ पेराई के अन्तिम समय (मार्च) में लगभग 12.5 प्रतिषत चीनी परता प्राप्त होने से प्रदेश की औसत उपज तथा चीनी परता में सतत् वृद्धि प्राप्त होने की अपार सम्भावनायें विद्यमान हैं। अतः शरद्कालीन बुवाई में इस प्रजाति के गन्नों से लगभग एक चौथाई अधिक गन्ना उत्पादन के साथ ही चीनी परता में 0.5 यूनिट की अतिरिक्त वृद्धि प्राप्त होगी।
मध्यम रेशा प्रतिशत होने के कारण इस प्रजाति में रोग एवम् कीटों के आपतन के प्रति रोग एवम् कीटरोधिता विद्यमान होने के फलस्वरूप इस प्रजाति से आच्छादित गन्ना के खेतों की मिट्टी (मृदा) स्वस्थ बनी रहती है तथा पर्यावरण के प्रति अनुकूलता भी पायी जाती है। अतः उपरोक्त गुणों के कारण षीघ्र पकने वाली अगेती प्रजाति को0शा0 08272 सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश के किसानों में दिनों दिन लोकप्रिय हो रही है।
को0शा0 08272 में पेड़ी व्यवहार के प्रति श्रेश्ठ आनुवंशीय गुण विद्यमान होने के कारण पूर्व में लोकप्रिय शीघ्र पकने वाली प्रजाति को0जे0 64 की तुलना में 59.96 प्रतिशत अधिक पेड़ी उत्पादन प्राप्त होता है । इसी प्रकार चीनी मिलों को कोशा0 08272 की पेराई करने से माह नवम्बर में लगभग 10.50 प्रतिषत चीनी परता प्राप्त होगा। माह जनवरी तक चीनी परता में इस प्रकार इस प्रजाति की पेड़ी से उत्तरोत्तर वृद्धि प्राप्त होगी
खादीय सुझाव
अगेती प्रजातियों/गन्ने की किन्हीं प्रजातियों से अधिकतम् गन्ना उत्पादन लेने हेतु शरद्काल में 200 कि0ग्रा0 नत्रजन, 80 कि0ग्रा0 फास्फोरस तथा 60 कि0ग्रा0 पोटाश के साथ ही बोरान (बोरेक्स) 10-15 कि0ग्रा0/हे0 की दर से देना आवश्यक है। खेत में हरी खाद अथवा सड़ी प्रेसमड से प्राप्त मैली के साथ-साथ सूक्ष्म तत्वों जैसे- जिंक एवम् सल्फर की आपूर्ति हेतु 25 कि0ग्रा0/हे0 की दर से जिंक सल्फेट बुवाई के समय देना लाभकारी होता है। नत्रजन के अतिरिक्त सभी उर्वरकों (फास्फोरस, पोटाश, बोरान, जिंक, सल्फर) को बुवाई के पूर्व ट्रेन्च अथवा कूँड़ों में बुरकाव करने के उपरान्त पैरों से मिट्टी गिराने के उपरान्त दो-दो ऑँख के साथ पर्याप्त नमी में बुवाई करना लाभदायक होता है। सिंचाई की सुविधा विद्यमान होने पर 1/5 भाग नत्रजन की मात्रा बुवाई के समय तथा शेष नत्रजन की मात्रा जमाव के उपरान्त (3-4 पत्तियों से युक्त पौधों की अवस्था) सिंचाई के बाद ओट आने पर बुरकाव करना अधिकतम् गन्ना उपज प्राप्त करने में हितकर सिद्ध होगा। गन्ना उपज एवम् चीनी परता में उत्तरोत्तर वृद्धि प्राप्त करने के लिये माह जून तक नत्रजन की टाप ड्रेसिंग करना अति आवश्यक है। जुलाई के प्रथम सप्ताह में शूट/टॉप बोरर का आपतन होने की दशा में कार्बोफ्यूरान 3 जी0 25 से 30 कि0ग्रा0/हे0 की दर से बुरकाव कर कूँड़ों पर मिट्टी चढ़ा देने से अधिकतम् उपज व चीनी परता प्राप्त होगा।
अतः को0शा0 08272 में विद्यमान आनुवंशकीय विशेषता का दोहन प्रदेश के किसानों एवम् चीनी उद्यमियों के हित मेें करने हेतु इस प्रजाति से अधिकतम् गन्ना क्षेत्रफल आच्छादित करना राष्ट्रीय हित में है।
गन्ना शोध संस्थान, शाहजहाँपुर।
(Dr. Ram Kushal Singh
Head, Center for Sugarcane Biotechnology
Sugarcane Research Institute
(U P Council of Sugarcane Research)
SHAHJAHANPUR - 242001, U. P., INDIA
Contact: +91 9415527526
Head, Center for Sugarcane Biotechnology
Sugarcane Research Institute
(U P Council of Sugarcane Research)
SHAHJAHANPUR - 242001, U. P., INDIA
Contact: +91 9415527526
Email: rks.upcsr@gmail.com)
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ReplyDelete9988888854
ReplyDeletekitne kuntal ka bigha nikal jata h
vilage goyla dist muzaffarnagar up
sugarcane seed of (COS 8272) is available in village jograjpur whatsapp me on - 8005374270and also call
ReplyDeletecontact number -7518717040
Jograjpur kha pr h sir
DeleteKis district me hi jograjpur
Deletehttp://sanjeevshuklass.blogspot.in/
ReplyDeleteWe require the seeds of COS 08272 please contact me 8527666677
ReplyDeleteMuzaffarnagar Mein 08272 biz kahan se Lena padega kripya Bataye mera mob no.8126176662
ReplyDeleteDear sir . Muje 20 kuntal ganna chaea ....
ReplyDeleteSir Mujhe 8272Seed 70quntle chaiye please contect-9729701119
ReplyDeleteSir,
ReplyDeleteMujhe COSA-08272 Seed 70 quntle chaiye. please contect-9431093671.
Sir muje bhe ye ganna chaea 6 kuntal
ReplyDeleteSir mujhe 08272 seed change cont-9058335179
ReplyDeleteSir g Kanpur me kaha milega
ReplyDelete8272 Seed k liye contact karein 9729701119 Kuldeep Singh. Haryana , Karnal.
ReplyDeleteShirMujhe13235gannaseedchahiyekahamilegaPleasejanksridedena
ReplyDeleteContectno9956936458
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