अब तराई में भी पानी का संकट, सूख गए ताल तलैया
साल दर साल नीचे खिसकता जा रहा भूगर्भ जलस्तर
इस साल भूजल स्तर में औसतन ५० सेंटीमीटर गिरावट
अशोक निगम
लखीमपुर खीरी। हमेशा पानी और परिंदों से भरी रहने वाली नगरिया झील सूख कर पशुओं का चरागाह बन गई है। मैनहन गांव के कबुलहा ताल की सूखी तलहटी में दरारें पड़ गई हैं। रमियाबेहड़ की झील में पानी की जगह कीचड़ दिख रहा है। मनरेगा के तहत खोदे गए आदर्श तालाब सूख कर बच्चों का खेल मैदान बन गए हैं। सरकारी रिकार्ड में भले ही जिले में २२२३ वेटलैंड हों लेकिन इस बार तराई की धरती से तरावट गायब है।
तराई के खीरी जिले में भी पानी का संकट गहराने लगा है। यह तब है जब इस जिले में १८८ नदी नाले हैं। दो हजार से अधिक छोटे बड़े जलाशय हैं। पिछले साल बरसात और सर्दी के मौसम में बरसात न होने के कारण ऐसी स्थिति आई है। इस बार समय से पहले कड़ी धूप और भीषण गर्मी शुरू होने से अप्रैल माह के अंत तक अधिकांश जलाशय सूख गए हैं। कई ब्लाकों में भूगर्भ जलस्तर काफी नीचे खिसक गया है।
जिले के तालाब पोखर सूख जाने और नदियों का जलस्तर कम हो जाने से पशु पक्षियों के लिए पानी का संकट पैदा हो गया है। भूगर्भ जलस्तर नीचे चले जाने से हैंडपंपों और ट्यूबवेलों की बोरिंग फेल हो रही हैं। फसलों की सिंचाई के लिए किसानों को गहरा गड्ढा खोदकर उसमें इंजन रखना पड़ रहा है। इसके बावजूद इंजन पानी नहीं दे रहे हैं। कई ब्लाकों में तो खतरनाक स्थिति तक भूजल स्तर घट गया है। जिले में भूजल स्तर तीन से चार मीटर नीचे होना चाहिए जबकि यहां जलस्तर सामान्य से काफी नीचे चला गया है जो खतरे का संकेत है।
इंसेट......
जिले में वेटलैंड की स्थिति
जिले में कुल वेटलैंड.........................२२२३
जिले में वेटलैंड का क्षेत्रफल................३८११९ हैक्टेयर
प्राकृतिक वेटलैंड..............................४९३
इनमें नदी नालों की संख्या...................१८८
झीलें..............................................१२
छोटे तालाब.....................................१६७३
सीपेज एरिया....................................४३
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इंसेट.....
ब्लाकवार भूगर्भ जलस्तर की मौजूदा स्थिति और मानसून से पहले और बाद में जलस्तर में गिरावट मीटर में
ब्लाक मौजूदा मई २०१५ प्रीमानसून पोस्ट मानसून
पलिया, ४.५-५.० ४.०-४.५ -०.१५ -०.४८
निघासन... ४.५-५.० ४.०-४.५ +०.४८ -०.१६
ईसानगर.. ३.०-४.० २.५-३.० +०.५३ -०.१
रमियाबेहड़ ५.०-५.५ ४.०-४.५ +०.८५ +०.१२
धौरहरा.... ५.०-५.५ ४.०-४.५ +०.६७ +०.५८
मोहम्मदी ५.५-६.० ५.०-५.५ +०.२६ -०.४
मितौली, ५.५-६.० ५.०-५.५ -०.३८ -०.९
पसगवां......५.५-६.० ५.०-५.५ -०.५६ -०.३३
बेहजम, ५.०-५.५ ४.५-५.० -०.६५ -१.०५
बांकेगंज, ५.०-५.५ ४.५-५.० +०.२४ -०.२५
लखीमपुर ५.०-५.५ ४.५-५.० -०.७ -०.६४
फूलबेहड़ ५.०-५.५ ४.५-५.० +०.०६ +०.५
कुंभी ५.०-५.५ ४.५-५.० +०.०५ -०.९५
बिजुआ.......५.०-४.५ ४.५-५.० +०.४४ +०.०१
नकहा........४.५-४.५ ४.०-४.५ +०.४२ -०.१५
(-) जलस्तर में वृद्धि (+) जलस्तर में कमी
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अप्रैल माह से खीरी जिले के भूजल स्तर में काफी गिरावट दर्ज की है। भूगर्भ जल के अंधाधुंध दोहन और जल सरंक्षण के प्रयास न होने से स्थिति बिगड़ रही है।
रविकांत सिंह, अधिशासी अभियंता, भूजल
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ग्लोबल वार्मिंग, भूगर्भ जल के दोहन से तराई के इस जिले में भी पानी का संकट शुरू हो गया है। भूगर्भ जलस्तर के लगातार नीचे खिसकने से यह संकट और भी ज्यादा गहरा सकता है। भूजल सरंक्षण के प्रयास से इस संकट को टाला जा सकता है।
डॉ. अनिल सिंह, पर्यावरणविद्
समन्वयक जिला विज्ञान क्लब लखीमपुर खीरी।
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अशोक निगम (वरिष्ठ पत्रकार, हिन्दुस्तान लखनऊ एडिशन के जिला खीरी के ब्यूरो प्रमुख रह चुके हैं, इंटैक संस्था के लखीमपुर खीरी के सह-समन्यवक, मौजूदा वक्त में अमर उजाला बरेली से जुड़े हुए हैं. इनसे ashoknigamau@gmail.com संपर्क कर सकते हैं.)
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