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International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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Apr 13, 2016

प्राकृतिक संसाधन पर सामुदायिक मालिकयत का उत्तराखण्ड सम्मेलन


तिथि: 15-16 अप्रैल, 2016
स्थान: अनाशक्ति आश्रम, कौसानी (उत्तराखण्ड)
आयोजक: आज़ादी बचाओ आंदोलन

हालांकि यह सच है कि शासन, प्रशासन और भामाशाह वर्ग ही अपने दायित्व से नहीं गिरे, बल्कि समुदाय भी अपने दायित्व निर्वाह में लापरवाह हुआ है। इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं, किंतु धीरे-धीरे यह धारणा पुख्ता होती जा रही है कि जब तक स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों के मालिकाना, समुदाय के हाथों में नहीं सौंप दिया जाता, न तो इनकी व्यावसायिक लूट को रोकना संभव होगा और न ही इनके प्रति समुदाय को जवाबदेह बनाना संभव होगा। नवगठित राज्य झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखण्ड में राज्य बनने के बाद प्राकृतिक संसाधनों की लूट की जो तेजी सामने आई है, इसने जहां एक ओर राज्यों को छोटा कर बेहतर विकास के दावे को समग्र विकास के आइने में खारिज किया है, वहीं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में समाज का स्वावलंबन देखने वालों को मजबूर किया है कि अब वे स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों पर सामुदाियक मालिकाना सुनिश्चित करने रास्ता खोजें।

आज़ादी बचाओ आंदोलन ने सभवतः इसी दृष्टि से दो दिवसीय उत्तराखण्ड सम्मेलन आयोजित करना तय किया है। आज़ादी बचाओ आंदोलन, मूल रूप से विदेशी उत्पादों के भारतीय बाज़ार में प्रवेश के खिलाफ आंदोलन करने वाला संगठन रहा है। संभवतः उसने भारतीय प्राकृतिक संसाधनों पर विदेशी बाज़ार की लगी गिद्ध दृष्टि को पहचान कर ऐसा करना तय किया है। प्राप्त आमंत्रण में भवदीय के रूप में चार नाम है: उत्तराखण्ड लोक वाहिनी के अध्यक्ष डाॅ. शमशेर सिंह बिष्ट के अलावा आज़ादी बचाओ आंदोलन की राष्ट्रीय संयोजन समिति के तीन सदस्य क्रमशः डाॅ, मनोज त्यागी, श्री राजीव लोचन साह और डाॅ. स्वप्निल श्रीवास्तव के नाम है।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क : azadi.bachao.andolan@gmail.com
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