' हमारा प्रयास - गौरेया प्रवास ' !
आओ करे सब एक जतन - ची- ची फुदके घर-आंगन !
चिड़िया- चिरुआ को नाम दिया ' ननकी संग प्यारेलाल।
"बुंदेलखंड में गौरैया गौरौआ के ब्याह की जो परंपरा आशीष सागर ने विगत वर्ष से शुरू की उसके लिए उन्हें बधाई और इस परम्परा को हम आगे ले जाए जनमानस में ताकि पशु पक्षियों से संवेदनात्मक तौर पर जुड़ सके हमारा मानव समाज जो कथित विकास में अपना प्राकृतिक वजूद खोता जा रहा है, परम्पराएँ हमें जोड़ती है बुनियादी मसलों से और प्रोत्साहित करती हैं सृजन और सरंक्षण को..... कृष्ण " (संपादक की कलम से )
(6 मार्च ,बाँदा / बुंदेलखंड-) बुंदेलखंड के बाँदा जिले की नरैनी तहसील के ग्राम पंचायत खलारी- मोहनपुर में गौरैया का ब्याह हुआ ! वर पक्ष से यशवंत पटेल ( अध्यापक) और प्रधान सुमनलता पटेल, कन्या पक्ष से रामप्रसाद और अनीता ने चिड़िया- चिरुआ को ' ननकी संग प्यारेलाल 'नाम दिया ! गत वर्ष विश्व गौरया दिवस बीस मार्च को इसी ग्राम में गौरेया ब्याह का उत्सव हुआ था लेकिन अबकी बरस यहाँ बीस मार्च को गौरया चौपाल लगाई जाएगी ! लोक रस्मों के बीच यह अनोखा विवाह एक बार फिर वैसे ही उतसाह से बाँदा प्रभागीय वन अधिकारी प्रमोद गुप्ता, वनरेंजर जेके जयसवाल, उप जिला अधिकारी महेंद्र सिंह, एसो नरैनी, वन दरोगा आफ़ताब खान, सीबी सिंह कार्ययोजना प्रभारी, अन्नदाता की आखत से शैलेन्द्र मोहन श्रीवास्तव नवीन, सामाजिक कार्यकर्ता दिनेशपाल सिंह राघवेन्द्र मिश्र सहित तमाम गाँव वालो की साक्षी बेला में आयोजित किया गया है !
गौरतलब है आज ग्रामीण लोगो को ' गौरेया घर' / भी वितरित किये गए है ! वर्षो से प्रकृति की सुन्दरता की सहभागी रही ची- ची जब घर,मुंडेर,छप्पर या बखरी,खेत - खलिहान और पेड़ों में बसर करती थी तब यह किसने सोचा था कि एक दिन इसी के लिए ' विश्व गौरेया दिवस' मनाया जायेगा ? विकास के अंधे कैनवास ने धरती को बदरंग कर दिया है ! तितली,जुगनू,बुन्देली सोन चिरैया और अन्य अब दिवस के लिए ही जाने जायेंगे ! इस अद्भुत ब्याह का मकसद यह था कि जैसे हमने बचपन में गुड्डा- गुडिया के ब्याह, माँ और नाना- नानी की कहानी के साथ रिश्तों को जिया,उसके ताने- बाने को समझा वैसे ही इस ननकी( गौरेया चिड़िया ) के संवेदना जनक पहलु को भी समझे !
इसको बचाए इसलिए नही कि यह अब विलुप्त होकर 'लाल सूची ' में जा चुकी है बल्कि इसलिए भी की अगर यह कुदरत के परिंदे, पक्षी नही बचे तो हमारे विकास के उजाले में ही सबकी हत्या करने का दाग लग चूका होगा ! ....क्या धरती में सिर्फ मानव ( जो अब आदमी से बद्दतर है ) वही मात्र रहने का हकदारी है ! ...खेतो में दिन -रात पड़ते कैमिकल खाद ने इस मासूम चिड़िया की सांसे कम करने का काम किया !
आपके मोबाइल टावर, बिजली के तार और अन्य से निकली रेडियेशन किरणें आज इसकी कातिल बन गई है ! आपने अपना विकास किया लेकिन औरों का प्रवास जमीदोज कर दिया ! कंकरीट सोपान पर खड़ी आपकी विकसित मर्यादाएं आज देशभक्ति और देशद्रोही का विलाप कर रही है लेकिन यह पक्षी तो आपसे कोई जाति,मजहब, इर्ष्या नही करते न तब आपने इनको आज दिवस में क्यों समेट दिया !
...एक पक्षी के प्रवास को छीनते हाइवे पेड़ों की कटान से गवाह है ! उपस्थित अधिकारीयों ने गाँव के बच्चो,महिला- पुरुष को अपने संबोधन से गौरेया को सुरक्षित-सुन्दर घर देने की बात कही और संकल्प लिया कि अपने घर के एक कोने में इसको भी माकूल जगह देंगे ! ...मित्रों अगर ऐसा होता है तो शायद ये प्रकृति आपका,सबका कुछ धन्यवाद करे क्योकि खाली आदमी के रहने से दुनिया में रक्त,जंग,नफरत और उजाड़ ही बचेगा सुन्दरता नही ! ची- ची का फुदकना मानव के लिए हमेशा हितकारी ही रहेगा ! गौरेया के ब्याह में घोड़े भी नाचे,गाँव के बच्चे अपने अंदाज में थिरके और ब्याह में गाये जाने वाली लोकगीत महिला ने इस चिड़िया के लिए बिंदास गाये !
- आशीष सागर,प्रवास
ashish.sagar@bundelkhand.in
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