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International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Mar 27, 2016

हमारी चिड़िया


घर की गौरैया
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किसे देखती हो तुम गौरैया
कौन तुम्हें बुलायेगा 
गंगा को भागीरथ लाये 
तुम्हें कौन ले आयेगा
आज दुनिया ऑनलाइन है
किसके पास आज टाइम है
चाँद मंगल पर पानी ढू़ढ़ते
घर की गौरैया गायब है |

किसे ढू़ढ़ती हो तुम गौरैया
कौन दाना तुम्हें चुगायेगा
हाथी को ले आये थे भीम
तुम्हें कौन ले आयेगा
            दुनिया आज स्वार्थी है           
तुमसे वो क्या पायेगा
परग्रही पूर्वजों को ढू़ढ़ते
घर की गौरैया गायब है |

किसे सोचती हो तुम गौरैया
कौन तुम्हें पुकारेगा
कामधेनु को ले आये थे मुनि
आज तुम्हें कौन ले आयेगा
दुनिया आज प्रपंची है पर
कुछ बच्चे माँ धरती के चिंतित है
महामशीन से कण ढू़ढ़ते
घर की गौरैया भी लायक है |




 (आकांक्षा सक्सेना, लेखिका उत्तर प्रदेश के एतिहासिक शहर औरैया से ताल्लुक रखती है, हिन्दी भाषा के प्रसार और मानव अभिव्यक्तियों को अपने ब्लॉग "समाज और हम "के माध्यम से प्रसारित और जाहिर करती है.)     

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