Dudhwa Live International Journal of Environment & Agriculture
ISSN 3295-5791
Vol.6 no.2 2016
Lakkhimpur-Kheri
India
फरवरी 2016
दुधवा लाइव के इस अंक में हमने हमेशा की तरह पर्यावरण व् वन्यजीवों से सम्बंधित मुद्दों पर आधारित लेखों व् चित्रों को प्रस्तुत किया है, दुधवा लाइव अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ने हमेशा उन मसलों को आप सभी तक पहुंचाने की कोशिश की है जो मानव सभ्यता में कभी संस्कृति, परम्परा के तौर पर हमारे बीच जिन्दा थे, लेकिन आधुनिकता और अनियोजित विकास में या तो हम उन प्राकृतिक विचारों को भूल चुके हैं या फिर याद नही करना चाहते.
जल जंगल जमीन की लड़ाई दुनिया में बहुत लोग लड़ रहे हैं पर असल मायने में ज्यादातर लोग सिर्फ अपने अधिकारों की बात करते हैं, और यकीन मानिए जहां मानव अधिकार की बात करता हैं तो उसके इस अधिकार के पीछे प्रकृति के विनाश का एक अध्याय और जुड़ जाता है, क्योंकि असल में तो हम प्राकृतिक संसाधनों पर ही जिन्दा है इस ग्रह पर, और हम ही क्यों सभी प्राणियों की निर्भरता प्राकृतिक संसाधनों पर है, और जब हम अपने हकों की आवाज बुलंद करते हैं तो जाहिर है की हम प्रकृति के शरीर की एक और बोटी नोचकर खा जाना चाहते हैं, पर विचारिएगा की अपनी जरूरतों से ज्यादा का हक़ ले लेने पर हम धरती के न जाने कितने जीव जंतुओं को उनके हक़ से वंचित कर देते हैं.
हमने हमेशा खेत खलिहान, ग्रामीण परम्परा की बात की है इस पत्रिका के माध्यम से, सिकुड़ती नदियों, सूखते तालाबों और कटते बाग़ बगीचों के साथ जमींदोज होती हमारी जैवविविधता, जिसके साथ साथ प्रभावित हो रही है मानव सभ्यता और उसका जीवन, प्रकृति के वास्तविक स्वरूप को हम जिस तरह से बेडौल कर रहे हैं वह कुरूपता कहीं न कहीं अनगिनत लाइलाज बीमारियों के तौर पर मानव समाज में परिलक्षित हो रही हैं, किन्तु हम अपनी कथित विकास की दौड़ की रफ़्तार कतई धीमी नहीं करना चाहते.
गौरतलब बात तो यह है की शिक्षा के नाम पर पर बड़े बड़े विश्वविद्यालय और उनसे प्राप्त होने वाली डिग्रियां तो हम सभी प्राप्त करते जा रहे हैं, और भूलते जा रहे है अपनी बुनियादी तालीम, जो सिखाती है प्रकृति के साथ रहना, जरुरत भर लेना और समिष्टि में सभी जीवों के प्रति आदर रखना, इससे भी एक बड़ी बात है जिस पर कभी कभी सोचता हूँ की सदियों के अनुभव से सीखता आया इंसान इस प्रकृति में खुद को ढालता हुआ, उन हजारों वर्षों के अनुभवों को हम दरकिनार कर रहें है जिन अनुभवों को हमारे पूर्वजों ने पीढी दर पीढी साझा किया, जो अनुभव विचार में तब्दील हुए की किस तरह सहज व् सरल ढंग से वसुंधरा पर हम रहें की वह हमेशा शस्य श्यामला बनी रहे और बना रहे सुखमय हमारा मानव समाज भी.
उपरोक्त सब बातों पर विमर्श और उससे निकले विचारों को हम यथार्थ में लाने की कोशिश में हैं, वैचारिक संवेदनाओं के बजाए परिणति ज्यादा जरुरी है, इस अंक में हमने यमुना की दुर्दशा, बसंत के आगमन, सूखते तालाबों औद्योगीकरण और उसके परिणाम, दुधवा के जंगलों के बाघों, महात्मा गांधी के विचारों से लेकर हमारे घरों की नन्ही गौरैया की बात की है.
विगत 6 वर्षों से दुधवा लाइव द्वारा सिर्फ विचारों का ही प्रवाह नही किया बल्कि दुधवा लाइव बैनर तले कई आन्दोलनों का जन्म हुआ जो हमारे पर्यावरण, जंगल, और पुरातात्विक स्थलों से सम्बंधित हैं, इनमे गौरैया सरंक्षण के लिए किए गए आन्दोलन ने अन्तराष्ट्रीय ख्याति ही नहीं अर्जित की बल्कि लोगों को प्रेरित किया अपनी छतों और दरवाजों पर इस नन्हे परिंदे के लिए दाना-पानी रखने के लिए, नतीजतन लखीमपुर खीरी सहित उत्तर भारत के तराई जनपदों में गौरैया बचाओं जनाभियान ने अपने सफलतम 6 वर्ष पुरे कर लिए. पर्यावरण जागरूकता के लिए दुधवा लाइव को दुनिया के बड़े ब्राडकास्टर्स में से एक डायचे वेले जर्मनी ने सन 2013 में पुरुस्कृत किया और सन 2014 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित किया गया, हम इस प्रोत्साहन और दुनिया तथा देश प्रदेश के लोगों की अपेक्षाओं पर खरे उतरने की कोशिश में हैं की हमेशा जन सहभागिता से हम बुनियादी मसलों पर अच्छे कार्य कर सकें.
मार्च के अंक में हम गौरैया की बात करेंगे, आगामी 20 मार्च को दुधवा लाइव सामुदायिक संगठन प्रत्येक वर्ष की तरह गौरैया दिवस का आयोजन करेगा, जिसमें आप सभी की भागीदारी प्रार्थनीय है, ताकि हमारे घरों की यह चिड़िया फिर से लौट सके.
दुधवा लाइव की तरफ से गौरैया के घरौंदों का निर्माण कराया गया है, जिसे समाज के विभिन्न वर्गों, और स्कूलों में वितरित किया जाएगा, साथ ही उन लकड़ी के घोसलों को कैसे लगाना है और गौरैया के भोजन व् सुरक्षा के क्या क्या इंतजाम करने हैं, इसकी पूरी जानकारी उपलब्ध कराने के भरसक प्रयास किए जायेंगे.
हम आप को आमंत्रित करते है अपनी गौरैया के लिए, क्योंकि यह सिर्फ चिड़िया नहीं है बल्कि हमारी परम्पराओं का एक संवेदनशील हिस्सा है.
कृपया दुधवा लाइव के फरवरी 2016 का प्रिंट एडीशन पी डी ऍफ़ फ़ाइल के रूप में प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करे.
कृष्ण कुमार मिश्र
संस्थापक/संपादक
दुधवा लाइव
www.dudhwalive.com
editor.dudhwalive@gmail.com
House Sparrows
Photo Courtesy: Suresh C. Sharma
शुभ कामना जी ,गत वर्ष बीस मार्च की तरह अबकी 6 मार्च को गौरैया का ब्याह है....बचपन में खेले गए गुड्डा- गुडिया की तर्ज पर और बीस को लगेगी गौरैया संसद ...आइये इस चौपाल के साक्षी बने
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा पत्र है।
ReplyDeleteधन्यवाद।
अब मैं आपका नया नियमित पाठक हूँ।