बाघों के पुराने कॉरीडोर को चिन्हित कर रही है यह बाघिन
सुरक्षा हेतु अनुश्रवण दलों व दो हांथियों को किया गया तैनात
पन्ना, 10 दिसम्बर -
म.प्र. के पन्ना टाइगर रिजर्व में जन्में बाघ अब पडोसी राज्यों के जंगल में भी दस्तक देने लगे हैं. यहां बाघों का घनत्व अधिक होने के कारण युवा नर व मादा बाघ अपने लिए नये घर की तलाश में बाहर निकल रहे हैं. बीते माह 24 नवम्बर को पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र से बाहर निकली दो वर्ष की युवा बाघिन पन्ना - 213 (22) उत्तर प्रदेश के वन क्षेत्रों में पहुंच गई है, फलस्वरूप बांदा, कर्बी व चित्रकूट वन मण्डल के अधिकारियों को अलर्ट कर दिया गया है.
क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व आलोक कुमार ने बताया कि मौजूदा समय बाघिन पन्ना - 213 (22) उत्तर प्रदेश के वन क्षेत्रों में विचरण कर रही है. इस बाघिन की सुरक्षा हेतु पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन के द्वारा अनुश्रवण दलों के साथ दो प्रशिक्षित हांथियों को तैनात किया गया है. टाइगर रिजर्व के अधिकारी उत्तर प्रदेश वन विभाग के आला अफसरों, वन संरक्षक बांदा, वन मण्डलाधिकारी कर्बी तथा वन मण्डल चित्रकूट के सतत संपर्क में हैं. आलोक कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश वन विभाग एवं जिला प्रशासन से बाघिन की सुरक्षा एवं अनुश्रवण में आवश्यक सहयोग प्राप्त हो रहा है. क्षेत्र संचालक ने बताया कि चूंकि पन्ना टाइगर रिजर्व से पहली बार किसी बाघिन के इस तरह से बाहर लम्बी दूरी पर निकलने की जानकारी हुई है, इसलिए उसके स्वभाव तथा नये भौगोलिक क्षेत्र में विचरण की स्थिति का अध्ययन किया जा रहा है.
दिसम्बर 2013 में जन्मी थी यह बाघिन
पन्ना बाघ पुर्नस्थापना योजना की सफलतम रानी कही जाने वाली कान्हा की बाघिन टी - 2 ने पन्ना - 213 को अक्टूबर 2010 में जन्म दिया था. बाघिन पन्ना - 213 ने नर बाघ पन्ना - 111 से जोड़ा बनाकर दिसम्बर 2013 में चार शावकों को जन्म दिया जिनमें तीन मादा व एक नर शावक हैं. इन्हीं तीन मादा शावकों में से एक बाघिन पन्ना-213 (22) है जो इन दिनों उ.प्र. के जंगलों में विचरण कर रही है. मालुम हो कि विगत 24 नवम्बर को पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र से बाहर निकलकर यह बाघिन उत्तर वन मण्डल पन्ना के परिक्षेत्र विश्रामगंज व देवेन्द्रनगर होते हुए सतना वन मण्डल के सिंहपुर एवं बरौंधा वन परिक्षेत्र में पहुंची. जहां से विचरण करते हुए यह पडोसी राज्य उ.प्र. के जंगल में प्रवेश कर गई है.
अपने पूर्वजों का कर रही है अनुकरण
पन्ना टाइगर रिजर्व से नर बाघों के बाहर निकलने के कई उदाहरण हैं, लेकिन मादा बाघिन के पहली बार बाहर जाने की बात प्रकाश में आई है. यह इसलिए ज्ञात हो सका क्यों कि बाघिन पन्ना - 213 (22) रेडियो कॉलर पहने है. जाहिर है कि पूर्व में नर व मादा बाघ इसी तरह से बाहर जाते रहे होंगे, लेकिन रेडियो कॉलर न होने के कारण उनके बाहर निकलने की जानकारी नहीं हो पाती थी. अब इस बाघिन ने लम्बी दूरी तय करते हुए यह बताने का प्रयास किया है कि उनके पूर्वज इस मार्ग का उपयोग करते रहे हैं. बाघों का यह पुराना कॉरीडोर है जिससे होकर यहां के बाघ उ.प्र. तथा वहां के बाघ यहां आते - जाते रहे हैं. इससे यह भी पता चलता है कि जंगली बाघों में इन ब्रीडिंग की समस्या कभी नहीं रही.
बाघिन की सुरक्षा में जुटे हैं दो प्रान्त
पन्ना टाइगर रिजर्व की इस युवा बाघिन की सुरक्षा में म.प्र. के साथ - साथ उत्तर प्रदेश का वन विभाग भी जुट गया है. क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व आलोक कुमार ने यूनीवार्ता को बताया कि इस बाघिन के संबंध में मुख्यालय से मार्गदर्शन मिलने पर उसे पन्ना टाइगर रिजर्व में वापस लाने का कार्यक्रम बनाया जायेगा. आपने कहा कि आगे की कार्यवाही राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली, वन विभाग म.प्र. एवं उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर की जावेगी. श्री कुमार ने सभी आम और खास से आग्रह किया है कि जन समर्थन से बाघ संरक्षण की दिशा में बाघिन पन्ना - 213 (22) की सुरक्षा में आवश्यक सहयोग प्रदान करें.
अरुण सिंह
पन्ना, मध्य प्रदेश, भारत
aruninfo.singh08@gmail.com
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