रवीन्द्र व्यास
पन्ना। /M.P./ टाइगर रिजर्व के बाघों पर वाइरस के संभावित खतरा को देखते हुए यहां के बाघों का रक्त परीक्षण किया जा रहा है । पार्क प्रबंधन को बाघों पर वाइरस की जानकारी तब लगी जब एक बाघ की मौत हो गई , जब उसकी ऍफ़ एस एल रिपोर्ट आई तो उसमे मौत का कारण सीडीए ब्रेन वायरस को बताया गया। इस रिपोर्ट के बाद सकते में आया टाइगर रिजर्व का स्टाफ अब बाघों के रक्त परीक्षण में जुट गया है । यह वाइरस कुत्तों में पाया जाता है ।
दो माह पूर्व टाइगर रिजर्व में पी-233 बाघिन की मौत हुई थी। प्रारंभिक जांच में मौत का कारणबाघों के आपसी संघर्ष को बताया गया था । एफएसएलरिपोर्ट में खुलाशा हुआ की बाघिन की मौत सीडीए ब्रेन वायरस के कारण हुई है । यहां के फील्ड डायरेक्टर आलोक कुमार बताते हैं की वायरस की जानकारी लगते ही हमने इससे निपटने की कार्य योजना बना ली है। दिसम्बर से आसपासके गांवों में कुत्तों का टी काकरण अभियान चलाया जायेगा। इन जानवरों से ही यह वायरस पनपता है। जहां तक नये बाघ की सिफ्टिंगकी बात है तो उसमें कोई समस्या नहीं है वे भरोषा दिलाते हैं की पार्क सुरक्षित है। 7 बाघों के सेंपल में कोई वायरस नहीं मिला है ।
जिन 7 बाघों के रक्त परीक्षण किया गया उसमे किसी में भीवायरस नहीं पाया गया है । अब टाइगर रिजर्व के सभी बाघों का रक्त परीक्षण किया जा रहाहै । जिनके रक्त नमूमों को जांच के लिये ब रेली के रिसर्च सेंटर भेजा गया है । पन्ना के टाइगर रिजर्व में भोपाल से आये बाघ टी-7 को मि लाकर 34 बाघ हैं, पन्ना टाइगर रिजर्व का अधिकांश इलाका आसपास के गाँवों से घिरा है । सीडीए ब्रेन वायरस आवारा कुत्तों और मवेशियों में होता है । इन जानवरों के शिकार से यह वा यरस एक्टिव होकर बाघ तक पहुंच जाता है। जिससे बाघ के ब्रेन में संक्रमण के कारण उसकी मौत हो जा ती है।
बाघ को सुरक्षित रखने और सीडीए वासरस से निपटनेके लि ये पार्क प्रबंधन ने पार्क के कोर जोन से लगे 15 गांवों के पालतू जानवरो , कुत्तों काटीकाकारण कराया जाएगा। दिसम्बर से टीकाकारण का विशेष अभियान प्रारंभ होगा। यह कोई पहला मौका नहीं है जब पार्क को कुत्तो से बाघ को बचाने के लिए यह जातां करना पद रहा हो , इसका पहले भी एक बार इस तरह की स्थिति बनी थी ।
रवीन्द्र व्यास
पन्ना टाइगर रिजर्व, मध्य प्रदेश
भारत
vyasmedia@gmail.com
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