१८५७ में अंग्रजों ने किया था ध्वस्त अब हमारी ही सरकार जमींदोज करने पर उतारू है मितौली गढ़ी को-
लखीमपुर-खीरी: उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र में राजा लोने सिंह की गढ़ी मितौली जो जनपद में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम १८५७ का एक मात्र प्रतीक चिन्ह है, उसे जमींदोज करने की कोशिश की जा रही है, जनपद खीरी के मितौली विकास क्षेत्र में मितौली ग्राम सभा के अंतर्गत यह गढ़ी सैकड़ों वर्षों से स्थानीय जनमानस के लिए पूज्यनीय रही है, इस गढ़ी पर सात प्राचीन कुँए और एक शिव मंदिर के साथ ही सैकड़ों वर्ष पुरानी मजार स्थित है, यही वो चिन्ह है जो जंग ए आजादी की याद दिलाते है, मजार और मंदिर पर हजारों लोग बड़े श्रद्धा भाव से आते है, किन्तु २३ सितम्बर सन २०१५ को अचानक एक जे सी बी लाकर गढ़ी पर खुदाई शुरू कर दी गयी, लोग बाग़ भौचक्के थे, बाद में पता चला की खीरी जनपद की नवगठित तहसील के अधिकारियों व् कर्मचारियों के आवास बनाए जाने के लिए यहाँ भूमि का समतली करण किया जा रहा है. स्थानीय जनमानस ने यह जानकारी पाकर सैकड़ों की तादाद में राजा लोने सिंह की गढ़ी पर इकट्ठा हो गए.
जब स्थानीय विधायक ने विरासत बचाने की पहल-
स्थानीय विधायक सुनील कुमार भार्गव "लाला" ग्रामीणों के बुलावे पर गढ़ी पहुंचे और खुदाई के कार्य को फ़ौरन रुकवा दिया ताकि यह राष्ट्रीय धरोहर हमारे बीच बनी रहे, अभी कुछ दिन पूर्व गढ़ी पर मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ साथ विधायक की अध्यक्षता में जनपद के तमाम गढ़मान्य व्यक्तियों ने यहाँ पौधरोपण किया.
विगत दिनों में प्राथमिक शिक्षक संघ मितौली, अधिवक्ता संघ तहसील मितौली, उत्तर प्रदेश राजस्व संग्रह संघ तहसील मितौली, युवा व्यापार मंडल मितौली, दुधवा लाइव संगठन के सहयोग से यहाँ विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम कराये गए साथ ही विभिन्न प्रजातियों के पौधे रोपकर उनकी सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड लगाए गए. स्थानीय लोगों का यह प्रयास रहा है कि सरकार इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करे एवं पुरातत्व विभाग इसे राष्ट्रीय धरोहर के तौर पर सरंक्षण प्रदान करे.
सभी संगठनों और ग्रामवासियों की उत्तर प्रदेश और भारत सरकार से यही मांग है की तहसील आवास कहीं अन्यंत्र बनाए जाए ताकि यह विरासत बची रहे और साथ में ही दो धर्मों के यह प्राचीन स्थल भी.
दुधवा लाइव डेस्क
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