सिंगरौली। 5 जून 2015। विश्व पर्यावरण दिवस के
अवसर पर आज अमिलिया और बुधेर में महान संघर्ष समिति ने हाथों में बैनर लेकर
ग्रीनपीस के समर्थन में प्रदर्शन किया। बैनर पर पर्यावरण संरक्षण, अभिव्यक्ति की आजादी, आंदोलन का
अधिकार की मांग जैसे नारे लिखे हुए थे। कार्यकर्ताओं ने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र
में असहमति के अधिकार का दमन नहीं किया जा सकता है।
महान
संघर्ष समिति के कार्यकर्ता व अमिलिया निवासी उजराज सिंह खैरवार ने कहा, “हमने अपने महान जंगल को बचाने
के लिये आवाज उठायी है। ग्रीनपीस ने हमें सिखाया है कि जंगल पर हमारा अधिकार इस
देश के संविधना द्वारा मिला है। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर हम अपने जंगल को
बचाने का आंदोलन जारी रखने का संकल्प लेते हैं। लोकतांत्रिक सरकार से असहमत होने
का हमें अधिकार है। हम जंगल की आवाज हैं और अपनी जीविका को बचाने के लिये संघर्षरत
रहेंगे”।
यह प्रदर्शन उस राष्ट्रीय गतिविधि का हिस्सा था जिसके तहत विश्व पर्यावरण दिवस
के अवसर पर दिल्ली, जयपुर, पुणे, मुंबई, हैदराबाद, बंगलोर, कोलकाता, चेन्नई और
कोचिन सहित 148 शहरों में ग्रीनपीस के समर्थन में लोग एकजुट हुए। यह राष्ट्रव्यापी
एकजुटता गतिविधि दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले के एक हफ्ते बाद आयोजित हुआ है
जिसमें कोर्ट ने ग्रीनपीस को अंतरिम राहत देते हुए दो राष्ट्रीय बैंक खातों को
खोलने की इजाजत दी थी। इससे पहले 9 अप्रैल को ग्रीनपीस का एफसीआरए पंजीकरण 6 महीने
के लिये निलंबित कर दिया गया था और गृह मंत्रालय ने ग्रीनपीस के सारे खातों को बंद
कर दिया था।
. बुधेर निवासी व महान संघर्ष समिति की कार्यकर्ता
अनिता कुशवाहा ने कहा,
“अगर
सरकार विकास के प्रति गंभीर है तो उसे ग्रीनपीस जैसे संगठन के साथ मिलकर काम करना
चाहिए, न कि ग्रीनपीस पर फंदा कसना चाहिए। नहीं तो सबका साथ, सबका विकास सिर्फ एक
नारा भर बनकर रह जाएगा”।
पिछले
एक साल से ग्रीनपीस को लगातार गृह मंत्रालय से दमन का सामना करना पड़ रहा है।
हालांकि ग्रीनपीस को दो बार दिल्ली हाईकोर्ट से वैधता मिली है, जब कोर्ट ने
लोकतंत्र में असहमति के स्वर को नहीं दबाने की घोषणा की थी।
ग्रीनपीस
इंडिया ने पहले गृह मंत्रालय के साथ कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन उसे मनमाने
कार्रवाई के अलावा कोई उत्तर नहीं मिला। पिछले हफ्ते हाईकोर्ट द्वारा अंतरिम राहत
देने के बाद, ग्रीनपीस के कार्यकारी निदेशक समित आईच ने कहा था कि वो गृहमंत्री से
मिलकर इस बात की चर्चा करना चाहते हैं कि कैसे ग्रीनपीस भारत के समावेशी विकास में
अपना योगदान दे सकता है।
दूसरे सिविल सोसाइटी संगठनों के साथ मिलकर ग्रीनपीस
सभी राजनीतिक पार्टियों के साथ सिविल सोसाइटी पर किये जा रहे दमन को लेकर चर्चा कर
रही है। 2 जून को इन संगठनों के एक प्रतिनिधि मंडल ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल
गाँधी से मिलकर इस मुद्दे पर चर्चा की।
ग्रीनपीस
की सीनियर कैंपेनर प्रिया पिल्लई ने कहा, “सीविल सोसाइटी का लोकतंत्र में
अहम भूमिका है। हम राजनीतिक पार्टियों से संविधान में दिये मूल अधिकारों की रक्षा
करने के लिये कहेंगे। हम सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से भारतीय लोकतंत्र और
बोलने की आजादी के पक्ष में खड़े होने की अपील करते हैं”।
अविनाश कुमार
avinash.kumar@greenpeace.org
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