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May 17, 2015

बाघिन पन्ना 234 का हुआ रेडियो कॉलर


कितना उचित है जंगली जानवरों के गले में रेडियो कॉलर पहना देना ?....

कॉलरिंग के दौरान बेहोशी के समय की गई कृत्रिम बारिश


दो वर्ष की यह अर्ध वयस्क बाघिन टी - 2 की संतान
पन्ना, 16 मई - 
 
म.प्र. के पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा निरन्तर बढ़ रहा है.  बाघ पुर्नस्थाना योजना के तहत पन्ना लाई गई संस्थापक बाघिनों द्वारा जन्में शावकों में पांच मादा शावक हैं, जिन्होंने पन्ना टाइगर रिजर्व में अपनी जगह बना ली है. इन्ही मादा शावकों में से एक पन्ना - 234 को सफलता पूर्वक रेडियो कॉलर पहनाया गया है. दो वर्ष की यह अर्ध वयस्क बाघिन बाघ पुर्नस्थापना योजना की सफलतम रानी कही जाने वाली बाघिन टी - 2 की संतान है. 

उल्लेखनीय है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ पुर्नस्थापना योजना शुरू होने पर मार्च 2009 में कान्हा टाइगर रिजर्व से बाघिन टी - 2 को पन्ना लाया गया था, जो यहां के लिए वरदान साबित हुई. रानी बनकर आई कान्हा की इस बाघिन ने पन्ना टाइगर रिजर्व को बाघों से आबाद करने में अहम भूमिका का निर्वहन किया. मौजूदा समय पन्ना में जन्मे बाघों का जो कुनबा है, उसका एक तिहाई कुनबा इसी बाघिन टी - 2 का है, यही वजह है कि इस बाघिन को बाघ पुर्नस्थापना योजना की सफलतम रानी कहा जाता है. क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व आर.श्रीनिवास मूर्ति ने बताया कि टी - 2 के तीसरे संतान की चौथी अर्ध वयस्क बाघिन पन्ना - 234 का पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में शुक्रवार को सफलता पूर्वक बेहोश करते हुए रेडिया कॉलर किया गया. रेडिया कॉलर हो जाने से अब इस अर्ध वयस्क बाघिन की गतिविधि व विचरण पर सुगमता से नजर रखी जा सकेगी. 

रेडियो कॉलरिंग के दौरान की जा रही कृत्रिम बारिश का दृश्य तथा कॉलरिंग के बाद विश्राम करती बाघिन


क्षेत्र संचालक श्री मूर्ति ने बताया कि पन्ना बाघ पुर्नस्थापना योजना के द्वितीय चरण में अब सिर्फ बाघिनों का अनुश्रवण किया जाना है. पिछले चरण में नर बाघों का भी अनुश्रवण किया जाता रहा है, लेकिन अब यहां बाघों की संख्या इतनी बढ़ चुकी है कि वे पन्ना टाइगर रिजर्व की सीमा को लांघकर पूरे बुन्देलखण्ड व विन्ध्य क्षेत्र के जंगल में स्वच्छन्द रूप से विचरण कर रहे हैं. वंश वृद्धि के लिए तैयार हो चुकी बाघिन पन्ना - 234 की सतत निगरानी के लिए उसे रेडियो कॉलर किया गया है, यह कार्यक्रम क्षेत्र संचालक के नेतृत्व में पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्रांणी चिकित्सक डा. संजीव कुमार गुप्ता के तकनीकी मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ. गर्मी और तपिश को दृष्टिगत रखते हुए रेडिया कॉलरिंग के दौरान बाघिन के बेहोश होने पर पानी के टैंकर से कृत्रिम बारिश भी की गई ताकि तापमान को नियंत्रित रखा जा सके. मालुम हो कि बाघों की रेडियो कॉलरिंग, अनुश्रवण व प्रबंधन के कार्य में पन्ना टाइगर रिजर्व ने जो मुकाम हासिल किया है उससे यहां की ख्याति पूरी दुनिया में बढ़ी है. पूरी दुनिया से लोग पन्ना टाइगर रिजर्व की कामयाबी को देखने समझने और अध्ययन करने यहां आ रहे हैं. 


अरुण सिंह 
पन्ना टाइगर रिजर्व 
मध्य प्रदेश 
भारत 
aruninfo.singh08@gmail.com

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