-जल स्तर कम होने से काली हो गई गंगा
-पीने क्या नहाने योग्य भी नहीं रहा गंगाजल
-बीओडी की मात्रा बढ़ने से डॉल्फिन पर संकट
हापुड़। मुलित त्यागी
केंद्रीय मंत्री उमा भारती के दौरे के बाद ही गंगा का जल स्तर इतना कम हो गया कि ब्रजघाट में स्नानघाट के पास गंगाजल बुरी तरह काला हो गया है। गंगा जल में बदूब आने से घाट पर श्रद्धालु नहीं रुक पा रहे है। कम जलस्तर होने से गंगा में पड़ रहे कारखानों व सीवर के पानी की पोल खुलकर सामने आ गई है। गंगाजल काला पड़ने से रामसर साइट में जलीय जीव जंतु के जीवन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
चार दिन पहले भारत सरकार की केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने गढ़-ब्रजघाट में पहुंचकर गंगा को देखने के लिए पूठ तक का दौरा किया। जिसमें उन्होंने तीन हजार गंगा सैनिक बनाने का दावा किया और गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने का आश्वासन दोहराया। परंतु उनके जाने के बाद ही गंगा का जल स्तर इतना कं हुआ कि ब्रजघाट तीर्थनगरी में गंगाजल काला पड़ गया है। यहां तक कि गंगावासी प्रदर्शन कर रहे हैं परंतु शुक्रवार को तो गंगाजल से बदबू आने लगी है। गंगा जल प्रदूषित होने के कारण दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा समेत अन्य प्रदेशों से आ रहे श्रद्धालु गंगे स्नान करने से कतरा रहे हैं।
-आज तक नहीं हुई सफाई--
प्रधानमंत्री ने गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए दावा किया है। जिसमें केन्द्रीय मंत्री उमा भारती भी गंगा के लिए काम कर रही है। इसके अलावा पूर्व की केन्द्र सरकार ने भी गंगा की सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर दिए। परंतु गंगा मंदिर के पुरोहित संतोष कौशिक, पुरोहित देवेन्द्र राय गौतम, चित्रलोकी प्रसाद शर्मा, विनोद शर्मा गुरुजी, लज्जा राम शर्मा आदि का कहना है कि उनकी याद में कभी गंगा में सफाई नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि सीवर का पानी भी गंगा में जा रहा है जबकि बिजनौर से नरौरा के बीच फैक्ट्रियों का पानी गंगा में गिर रहा है।
-पीने नहीं नहाने लायक भी नहीं गंगाजल--
पर्यावरण विद्ध डॉक्टर अब्बास का दावा है कि ब्रजघाट में स्नानघाट के पास गंगाजल बुरी तरह काला हो चुका है। जिसमें बीओडी, सीओडी और टीएसएस काफी बढ़ गया है जबकि पीएच और डीओ घट गया है। उन्होंने दावा किया गंगा किनारे ब्रजघाट में पीने नहीं बल्कि नहाने योग्य भी गंगाजल नहीं है। उन्होंने बताया कि दिन प्रतिदिन गंगा में हरी शैवाल घट रही है परंतु नीली शैवाल बढ़ रही है जो जल प्रदूषण दयोतक है।
-जलीय जीव जंतु समेत डॉल्फिन पर खतरा--
सर्वेयर सचिव श्वाति का कहना है कि गंगा में घड़ियाल, कछुवा छोड़े जा रहे हैं जबकि बिजनौर से नरौरा के बीच डॉल्फिन की संख्या 55 है। उन्होंने कहा कि गंगा किनारे तीन बड़े प्रदूषण हो रहे हैं। जिसमें पालेज से गंगाजल में कैमिकल पहुंच रहा है तो सीवर और कारखानों से गंगा पानी गंगा में जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदूषण ज्यादा बढ़ने से जलीय जीव जंतु के जीवन पर संकट उत्पन्न हो रहा है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ अपना काम कर रही है परंतु सरकार को गंगा को प्रदूषण मुक्त कराना पड़ेगा अन्यथा जलीय जीव जंतु समाप्त हो जाएंगे।
-जल स्तर हो गया कम--
पाहड़ों पर बारिश होने के बाद जहां गंगा में जल स्तर बढ़ा वहीं पिछले चार दिन में काफी जल स्तर घट गया है। बाढ़ नियंत्रण आयोग के सूत्रों को मुताबिक गंगा में वर्तमान में 9 से दस हजार क्यूसेक पानी बह रहा है। जबकि गंगा का जल स्तर कम से कम समुन्द्र तल से 195 मीटर रहना चाहिए।
-डॉल्फिन कैसे करेगी प्रजनन--
डॉक्टर अब्बास का कहना है कि डॉल्फिन 15 से 20 फुट गहरे जल में बच्चे नहीं देती है। इससे कम जलस्तर होने पर बच्चे का पालन पोषण करने में भी मादा डॉल्फिन असफल रहती है। उन्होंने कहा टिहरी बांध से पानी छोड़ देना चाहिए वरना डॉल्फिन के जीवन पर संकट आ जाएगा।
मुलित त्यागी
वरिष्ठ पत्रकार
mulit.tyagi@livehindustan.com
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