जिले की हरदोई, शाहजहांपुर सीमा पर दिखे कई झुंड
पिछले दस साल में संख्या बढ़कर करीब ५०० पहुंची
अशोक निगम
लखीमपुर खीरी। जिले में काले हिरन का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। आम तौर से शुष्क जलवायु में पाए जाने वाले काले हिरनों को खीरी जिले की नम जलवायु रास आने लगी है। दस साल पहले यहां इक्का-दुक्का दिखने वाले काले हिरनों की संख्या अब बढ़कर ५०० के करीब पहुंच गई है। इससे वन्यजीव प्रेमी काफी उत्साहित हैं।
जिले के उचौलिया क्षेत्र में जहां लखीमपुर खीरी जिले की सीमा हरदोई और शाहजहांपुर से मिलती है वहां सहजना, पनाहपुर और रंजीतपुर गांवों के आस पास ७० से ८० काले हिरनों के कई झाुंड इन दिनों आसानी से देखे जा सकते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि यहां काले हिरनों की आबादी पिछले दस साल के अंदर काफी बढ़ी है।
डीएफओ साउथ नीरज कुमार ने बताया मंगलवार को उचौलिया क्षेत्र में भ्रमण के दौरान उन्हें अलग-अलग जगहों पर काले हिरन के दो झाुंड दिखाई दिए। दोनों झाुंडों में ७० से ८० तक हिरन थे। ग्रामीणों के मुताबिक इतने ही बड़े यहां करीब पांच झाुंड हैं। उन्होंने बताया कि खीरी कस्बे और लगुचा के आस पास भी काले हिरन अक्सर मिल जाते हैं लेकिन वहां इनकी संख्या कम है।
ग्रामीणों ने डीएफओ को बताया खीरी जिले की सीमा पर हरदोई जिले के एक किसान ने करीब दस साल पहले हिरनों का एक जोड़ा पाल रखा था। उससे करीब आधा दर्जन बच्चे हुए जिन्हें किसान ने खुला छोड़ दिया। उनसे यहां काले हिरनों की आबादी बढऩा शुरू हुई। अनुकूल प्राकृतिक जलवायु, प्राकृतिक आवास, भोजन मिलने से अब तक इनकी आबादी बढ़कर करीब ५०० हो गई है।
किशनपुर में सांभर की आबादी बढ़ी
किशनपुर में हिरन की सांभर प्रजाति की संख्या में भी इजाफा दर्ज किया गया है। पिछले दिनों प्रदेश के वनमंत्री महफूज किदवई को किशनपुर सेक्चुरी में भ्रमण के दौरान बड़ी संख्या में सांभर दिखाई दिए। दुधवा नेशनल पार्क के उपनिदेशक वीके सिंह ने भी सांभर की आबादी बढऩे की पुष्टि की है। सांभर बाघ का पसंदीदा भोजन है। वयस्क सांभर का वजन करीब ढाई सौ किलो होता है।
काला हिरन (ब्लेक बक) शेड्यूल-एक का प्राणी है। यह जंगलों के बजाय मैदानों और शुष्क जलवायु में रहना पसंद करता है। दक्षिण खीरी वन प्रभाग में इनकी आबादी में उत्साहजनक बढ़ोत्तरी हुई है। वन विभाग ने इनकी सुरक्षा के लिए निगरानी बढ़ा दी है।
नीरज कुमार, डीएफओ साउथ खीरी।
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अशोक निगम (वरिष्ठ पत्रकार, नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान, अमरउजाला जैसे पत्रों से जुड़े रहें है, कई दशकों से खीरी जनपद की एतिहासिक धरोहरों, पर्यावरण और जंगलों पर लेखन, इन्टेक संस्था के सह-सयोंजक, लखीमपुर में निवास, इनसे ashoknigamau@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं )
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