पांच वर्षों से गौरैया सरंक्षण की लगातार मुहिम
दुधवा लाइव के द्वारा मनाए गए गौरैया दिवस व् गौरैया वर्ष
पक्षी सरंक्षण में भारत की तराई से खीरी जनपद सबसे अग्रणी
सन २०१० में दुधवा लाइव द्वारा शुरू किए गए गौरैया बचाओ अभियान ने तराई जनपदों के अतिरिक्त पूरे भारत व् दुनिया में अपना जागरूकता सन्देश पहुंचाया, विगत पांच वर्षों के सतत प्रयासों ने मानव सवेंद्नाओं को प्रभावित किया पशु पक्षियों के सरंक्षण के लिये, नतीजतन अब खीरी जनपद में ही नहीं अन्य जगहों में गौरैया की संख्या में इजाफा हुआ है, इस वर्ष मार्च में गौरैया दिवस के साथ गौरैया सरंक्षण की मुहिम दुधवा लाइव द्वारा फिर शुरू की जा रही है, जिसमे जनपद की वन्य जीवन से जुड़ी संस्थाओं व् लोगों से साथ आने की अपील है की विगत पांच वर्षों में जिस तरह खीरी जनपद के लोगों ने हमारे इस अभियान को पूरी दुनिया में पहुंचाने में मदद की है इस बार भी यह सन्देश दूर दूर तक जाए और हमारे घरों का यह खूबसूरत चिड़िया फिर से घर वापसी कर सके.
दुधवा लाइव द्वारा गौरैया वर्ष एवं गौरैया दिवस की जो शुरूवात की गयी उसने पक्षियों के सरंक्षण में अभूतपूर्व योगदान मिला, लोग घरों में इस चिड़िया के लिए पानी दाना रखते है और संवेदनाएं भी.
सन २०१५ की इस शुरूवात में जर्मनी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार व् उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित दुधवा लाइव प्रोजेक्ट ने जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में गौरैया सरंक्षण के लिए लोगों के साथ बैठके प्रारम्भ कर दी है, आज मोहम्मदी तहसील के बेलहा फ़ार्म में वन्य जीव प्रेमियों व् समाज के विभिन्न वर्गों के साथ दुधवा लाइव के संस्थापक ने एक बैठक का आयोजन किया जिसमे मोहम्मद रईस अहमद सतपाल सिंह, तारिक, विक्रम तिवारी, पुष्पेन्द्र वर्मा, शौकत अली, ने भाग लिया, और मोहम्मदी तहसील में गौरैया बचाओ अभियान की रूपरेखा तैयार की गयी.
आने वाले समय में जिले भर में ये गोष्ठियां आयोजित की जायेंगी और गौरैया की घर वापसी के वो सारे प्रयास किए जायेंगे ताकि हमारे घरों के पारिस्थितिकी तंत्र का यह टाइगर जो हमारे घरों के आसपास की जैव विविधता के स्वस्थ्य होने का संकेत है को दुबारा बुलाया जा सके अपने गाँव व् घरों में (कृष्ण कुमार मिश्र, संस्थापक दुधवा लाइव)
दुधवा लाइव कराएगा पक्षियों की गणना
दुधवा लाइव इस बार मोहम्मदी बर्ड काउंट के सह-आयोजक के तौर पर गोमती नदी के किनारों पर मौजूद जैव विविधता का अध्ययन कराएगा, नदियों के प्रदूषण व् नदियों के किनारों पर हो रहे अतिक्रमण के कारणों का अध्ययन होगा ताकि भविष्य में खीरी की नदियों और उनमे मौजूद जलीय जैव विवधिता का सरंक्षण किया जा सके.
दुधवा लाइव डेस्क
आगामी बीस मार्च को बुंदेलखंड के बाँदा में होगा एक विस्तार जलसा .....हरियाली लाओ - ची ची बचाओ l
ReplyDeleteमेरे घर आजकल प्रतिदिन सुबह सुबह चिड़िया आ जाती हैं और पंखे पर बैठ जाती है उनकी चहचहाट बड़ी अच्छी लगती है। लोगो को खुले खुले और रोशनदार मकान बनाना दुबारा शुरू करना चाहिये ये केवल आर्किटेक्ट लोगो की मेहरबानी से ही हो सकता है। आजकल भोपाल में जो कबूतर के दड़वे टाइप के मकान और मल्टीस बन रही हैं जिनमें कि रोशनदान होते ही नही हैं। उनमें चिड़िया नही आ पातीं।
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