कभी खीरी जिला मशहूर था तोतों की भारी तादाद में
बाग़ बगीचों के कटान और फसलों में आई तब्दीली ने संकट उत्पन्न किया इस प्रजाति पर
हमारे आस-पास आमतौर पर दिखने वाले तोतों में रोज रिंग्ड पेराकीट आसानी से मिल जाता था । यहाँ तक कि हर सुबह-शाम ये आस-पास के पेडों पर शोर मचाते, मस्ती करते दिख जाते थे। तोता पक्षियों के सिटैसी (Psittaci) गण के सिटैसिडी (Psittacidae) कुल का पक्षी है, जो गरम देशों का निवासी है। तोता! इसका प्रचलित नाम है लेकिन इसका अंग्रेजी नाम रोज रिंग्ड पेराकीट है और वैज्ञानिक नाम सिटाक्यूला क्रेमरी है।
आज अधाधुंध वनो की कटाई और इनके घटते शरण स्थलों की कमी के चलते इनकी संख्या प्रभावित हुई है .....कई हफ्तों से लखीमपुर खीरी शहर इन बेजुबानों की खरीद फरोख्त का गढ़ बनता चला जा रहा है .....शहर की मुख्य रेलवे क्रासिंग पर उपर्गामी सेतु के नीचे और बाजपेयी कालोनी का मुख्य द्वार इसका प्रमुख अड्डा बन चुका है सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि बाजपेयी कालोनी का यह खरीद फरोख्त स्थल नगर पालिका परिषद से महज चंद क़दमों की दूरी पर है
.......समझ नहीं आता की शहर के वन्य जीव प्रमियों/ वन्य जीव संरक्षकों/ दुधवा नेशनल पार्क के अधिकारियों को यह दिखता नहीं या अधिकारीगण अपने कार्य को सिर्फ कागजों पर ही अंजाम देते है .......साथ ही मुझे लगता है की आपने आप को शहर के वन्य जीव प्रमी / वन्य जीव संरक्षक कहलाने वाले गणमान्य व्यक्ति सिर्फ सस्ती लोकप्रियता बटोरने के कारण ही इस मुहीम से जुड़ने का दम भरते है वास्तविकता से दूर दूर तक इनका कोई सम्बन्ध नहीं है !!!
अमित वर्मा
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