वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Jan 10, 2015

कतरनियाघाट वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी में एक तेंदुए की मौत



इस तरह तो विलुप्त हो जाएगा तराई के जंगलों से तेंदुआ 

शिकार और सड़क दुर्घटनाओं के कारण तेंदुए की संख्या बहुत कम हो चुकी है तराई के जंगलों में 


बहराइच-मिहीपुरवा (Katarniaghat Wildlife Sanctuary), सड़क दुर्घटना मे मादा तेदुअा की मौत,कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के मोतीपुर रेन्ज के खपरा वन चोकी के पास एन एच ७३० पर नानपारा लखीमपुर मार्ग पर सुबह ११ बजे अज्ञात वाहन की ठोकर से मादा तेदुए की मोत हो गयी जिसकी आयु लगभग डेढ़ वर्ष है.

 सुबह ११ बजे वन्यजीव प्रतिपालक विनय कुमार श्रीवास्तव बहराइच से लखीमपुर जा रहे थे तभी रास्ते मे भीड़ देखकर गाड़ी देखकर रोका तो देखा कि सड़क पर तेदुए की मौत हो गयी, इसकी सूचना वन क्षेत्राधिकारी खुर्शीद आलम खान मोतीपुर को देकर तत्काल बुलाया गया, मौके पर वनदरोगा रमाशकर सिह,राम व्रक्ष राव,वन रकक्षक शिव कुमार शर्मा ,परिक्रमादीन,पचंमलाल वनदरोगा आदि कर्मियों के साथ खपरा वन चौकी पर पहुंचे, वहां से तेदुए का शव मोतीपुर रेन्ज कैम्पस लाया गया, जहां डाक्टरों का पैनल पोस्टमार्टम करेगा।

इससे पहले भी हो चुकी हैं तमाम मौते इस खूबसूरत जीव तेंदुए की 

 इससे पूर्व सड़क दुर्घटना मे १९ अक्टूबर २०१४ को नर तेदुए की मौत, ६/०७/१३ को नर तेदुए की मौत, ४/१२/०७ को नर टाईगर्स की मौत हो चुकी है. सड़क की दोनो तरफ क्लीर व्यू न होने से सड़क पर चलने वाले वाहनो को जंगल से निकलने वाले जानवर नही दिखाई पड़ते है,यदि सड़क के दोनो तरफ २० मीटर तक झाड़ियो की सफाई करा दी जाये तो दूर से आने वाले वाहनो के ड्राइवर को जनावर दिखाई आसनी से पड़ सकते है और वन क्षेत्र मे वाहन की गति ३० किमी प्रति घन्टा निर्धारित कर रखा है परन्तु इस पर कोई अमल नही करता है, इस वजह असमय जानवरो की मौत हो रही है.

दुधवा लाइव डेस्क 

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