खीरी के जंगलों में दो दो मुहां साँपों के साथ दो तस्कर हिरासत में
मैलानी-खीरी: शाहजहांपुर से मैलानी पहुँचाने वाली जंगल सड़क पर दो व्यक्तियों को दो मुहा सापों के साथ हिरासत में लिया गया. सूत्रों के मुताबिक़ ये दोनों व्यक्ति शाहजहांपुर जनपद के रहने वाले है, मैलानी पुलिस को कछुए की तस्करी की मुखबरी थी जबकि पकड़ में आये हुए व्यक्तियों को आल्टो कार में एक टिन के डिब्बे में दो मुहा सांप के साथ हिरासत में लिया.
खीरी जनपद के रिजर्व फारेस्ट तथा दुधवा टाइगर रिजर्व में साँपों की तमाम प्रजातियाँ मौजूद है, खीरी के जंगलों में जैव विविधिता की समृद्धता का कारण है यहाँ के वन व् नदियाँ, हर प्रकार की मिट्टी व् विविध जलवायु, नतीजतन यहाँ मौजूद वनस्पति व् वन्य जीवों की सुरक्षा के क़ानून व् प्रबंधन वन्य जीव सरंक्षण अधिनियम के तहत खीरी वन प्रभाग व् दुधवा नेशनल पार्क के जिम्मे है, इतने इंतजाम के बावजूद वन्य संपदा की तस्करी लगातार जारी है. पिछले वर्षों में भी कुछ लोग दो मुहां सांप के साथ पकडे गए थे. जिसकी खबर दुधवा लाइव पर "खीरी जनपद में दो मुहां सांप की तस्करी" शीर्षक के साथ प्रकाशित की गयी थी
दरअसल दो मुहां सांप भुरभुरी दोमट व् बलुई जमीनों में पाया जाता है, हिमालयन तराई में भी इसकों इस तरह का पर्यावरण मिलता है, इसलिए यह राजस्थान के अतिरिक्त बलुई व् दोमट मिट्टी में भी पाया जाता है, यह रात्रिचर सांप है और चूहों की बिलों व् भुरभुरी मिट्टी में अपना निवास बनाता है,
दोमुहां सांप को अंगरेजी में "इन्डियन रेड सैंड बोआ" इसे एक जर्मन मिशनरी जनाब क्रिस्टोफर सैमुअल जान ने भारत में अठारवी सड़ी में खोजा था सो इसका वैज्ञानिक नाम इनके नाम पर पडा, इसे "एरिक्स जाह्नी" नाम दिया गया.
दो मुहां सांप के दरअसल दो मुहं नहीं होते यह भारतीय जनजीवन में एक भ्रामक तथ्य है, प्रकृति ने प्रत्येक जीव को अपनी सुरक्षा करने के हुनर दिए है और उसी के मुताबिक़ जीव व्यवहार करते है, इस शर्मीले व् बिना जहर वाले सांप को अपने बचाव के लिए यह हुनर हासिल है. जब कोइ ख़तरा भांपता है ये सांप तो यह कुण्डली मार लेता है और अपने मुहं को छिपा कर पूंछ को फेन की तरह ऊपर उठाता है ताकि दुश्मन इसके मुहं के भ्रम में पूंछ पर वार करे और इसका सर सुरक्षित रहे.
पूंछ और सर की बनावट में भी समानता होने और इसके इस सुरक्षात्मक व्यवहार के चलते लोग बाग़ इसे दो मुहां कहने लगे.
दो मुहां की तस्करी का भी कारण हास्यापद व् बेवकूफाना है, एड्स के इलाज़ में उपयोगी, सेक्स वर्धक दवाओं एवं धन की वृद्धि जैसी भ्रामक बातों के चलते इसकी तस्करी की जाती है.
दो मुहां सांप यानी इन्डियन सैंड बोआ भारतीय वन्य जीव सरंक्षण अधिनियम के तहत सरंक्षित श्रेणी के अंतर्गत आता है.
खीरी जनपद के वन्य जीव सरंक्षण में लगी सरकारी व् गैर सरकारी संस्थाओं की यह बड़ी नाकामी है की वे अतुल्य वन्य संपदा का सरंक्षण करने में नाकामयाब है, बस कागजी खाना पूर्ती पर जंगल जंगल खेला जा रहा है ...अफ़सोस
दुधवा लाइव डेस्क
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