बुंदेलखंड की धरती पर नदियों तालाबों को बचाने के नाम पर ठगी का जो व्यापार चल रहा है उसका एक ये भी मजमून है ज़रा देख लीजिए....................
सेवा में ,
दिनांक – 14.08.2014
आदरणीय राजेंद्र सिंह राणा ( जल पुरुष ) तरुण भारत संघ जी /
श्रीमान श्री प्रकाश सिंह जी ( सचिव नगर विकास विभाग उत्तर प्रदेश शासन ) लखनऊ ,
श्रीमान श्री प्रकाश सिंह जी ( सचिव नगर विकास विभाग उत्तर प्रदेश शासन ) लखनऊ ,
विषय - आगामी 30 अगस्त 2014 को बुंदेलखंड के जनपद महोबा में होने वाली बैठक के बावत l
महोदय ,
आप सभी को सादर प्रणाम कर रहा हूँ l आशा है आप सभी प्रबुद्ध जन स्वाथ्य लाभ से सकुशल होंगे l
उपरोक्त विषयक अवगत कराना है कि आज 13 अगस्त को मैंने महोबा दैनिक जागरण समाचार की स्थानीय संलग्न खबर पढ़ी है l जिसमे आदरणीय श्री राजेंद्र सिंह राणा जी एवं प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास , अन्य सभी आला अधिकारी के सानिध्य में एक बैठक महोबा की चन्द्रावल और झाँसी की पहुंज नदी के पुनर्जागरण को लेकर की जा रही है l इसके लिए साधुवाद है लेकिन कुछ संदर्भित आवश्यक समीचीन प्रश्न भी आपके समक्ष छोड़ रहा हूँ जिनका उत्तर और समाधान बुंदेलखंड के पानीदार भविष्य के लिए जनहित में , समाजहित में है l इन पे ध्यान केन्द्रित करे -
दैनिक जागरण महोबा 13 अगस्त की खबर देखी मैंने लेकिन सवाल यह भी है अपना कि -
उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार के मुख्यमंत्री श्रीमान अखिलेश यादव जी के ही सानिध्य में गत 7 फरवरी 2013 और 22 मार्च 2013 को " बुंदेलखंड जल पैकेज 223.91 करोड़ - 16 तालाब के पुनर्निर्माण " को लेकर आहूत की गई थी जिसमे एक की अध्यक्षता माननीय आज़म खान , शिवपाल सिंह यादव जी के साथ झाँसी में और दूसरी स्वयं माननीय मुख्यमंत्री जी के साथ हुई थी l
इसमे बुंदेलखंड के 16 तालाबो को सहेजने और उनके माध्यम से यहाँ के जल संकट के समाधान खोजने की पहल पर विस्तार से चर्चा की गई थी l मगर उन 16 तालाबो को हम नही सहेज पाए आज तक l
1 - 16 प्रस्तावित तालाबो को बचा नही पाए माननीय मुख्यमंत्री जी तो क्या अब दो इन नदियों की बारी !
2 - तो क्या फिर छला जायेगा बुंदेलखंड का पानी ?
3 - तो क्या अबकी बार चन्द्रावल और पहुंज नदी का बहाना है पुनर्निर्माण के नाम पर ?
4 – बुंदेलखंड के
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश वाले इलाके में प्रस्तावित प्रकृति विनाशक केन –
बेतवा नदी गठजोड़ परियोजना पर आपका क्या मंतव्य है ?
इस पुरे
प्रस्ताव में महोबा के 5 तालाब , बाँदा 4 और झाँसी के 6 तालाब थे l जिनमे महोबा के बेला सागर , कीरत सागर ( राष्ट्रीय पुरातत्व विभाग
के संरक्षण में है )
, मदन सागर,रैपुरा तालाब, कुरवारा तालाब , कुलपहाड़ तालाब के साथ बाँदा के छाबी तालाब , प्रागी तालाब , , बाबू साहेब तालाब ,गोसाई तालाब , नवाब टैंक , झाँसी के लक्ष्मी तालाब , पचवारा तालाब , बंगरा लठवारा , गुरसराय बड़ागांव और मौउरानीपुर तालाब शामिल थे l जल पैकेज था 223.91 करोड़ रुपया प्रस्तावित हुआ जिसमे 19 करोड़ महोबा और झाँसी से रुपया वापस हुआ जिला प्रसाशन की बदोलत ? ये कार्य " राष्ट्रीय झील संरक्षण कार्यक्रम " के तहत होने थे जिसमे आधा रुपया पैकेज का केंद्र सरकार ( आर.आर. योजना से देना था ) को देना था l गत 7 फरवरी 2013 और 22 मार्च 2013 को दो बैठक हुई एक में झाँसी आयुक्त सभागार में माननीय आजम खान मंत्री नगर विकास विभाग , श्रीमान शिवपाल सिंह यादव मंत्री शिचाई / लोकनिर्माण विभाग , सातो जिलो के जिलाधिकारी , चित्रकूट - बाँदा और झाँसी के मंडल आयुक्त , जलनिगम महा प्रबंधक , जल संस्थान अधिकारी , और दुसरे में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद शामिल थे शिवपाल सिंह यादव , श्री आज़म खान के साथ हुई थी l इसकी तीसरी बैठक में भाई पियूष बबेले i इंडिया टुडे पत्रकार सदस्य एक्सपर्ट समिति ) )और श्री सुधीर जैन ( जनसत्ता ) रहे बुंदेलखंड की तरफ से बाकि पहली दो बैठको में मै खुद ( सदस्य एक्सपर्ट समिति ) शामिल रहा था l
मगर प्रदेश सरकार ने कुछ
नही किया इस सपने का महज हम सबने सब्जबाग ही देखा अभी तक l 16 तालाब आज भी अपने पुनर्निर्माण का रास्ता देख रहे है l बुंदेलखंड क्या हर बार बस वादों के पिटारे के साथ छला जायेगा ? बुंदेलखंड को सिवाय छलने के सरकारे करती क्या है और उनके लिए इसका मोहरा बनते है सामाजिक कार्यकर्ता , पर्यावरण कार्यकर्ता जिसका समाज में नितांत गलत सन्देश जा रहा है l आप से निवेदन है कि एक बार पुनः इस पर चिंतन और मंथन की महती आवश्यकता है कि हमसे गलतियाँ कहाँ पे हुई है या हो रही है ?
क्या हर मर्तबा बुंदेलखंड के हिस्से केंद्र और प्रदेश की सरकारे , जन सामाजिक कार्यकर्ता आवाम के सामने प्राकृतिक सम्पदा को सुरक्षित रखने के नाम पर मात्र अपना प्रसिद्धी का उच्च सोपान ही प्राप्त करती रहेंगी और ये कब तक चलना है ?
आगामी तीस अगस्त का जनपद महोबा में मै आपकी सेवा में एक ज्ञापन पात्र इस सन्दर्भ में प्रस्तुत करूँगा l
जो कटु बोल लिखे है उनके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ लेकिन ये समय की मांग है जनहितार्थ l समुदाय और समाज के साथ भ्रान्ति उतनी ही घातक है जितना की राज्य और स्वराज्य में मनभेद होना l
सादर समर्पित - प्रणाम
आप का अनुज – आशीष सागर , बाँदा - बुंदेलखंड
ashishdixit01@gmail.com
कुछ अखबारों की कतराने बुंदेलखंड में हो रहे पानी के व्यापार की-
दुधवा लाइव डेस्क*
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