शाकाहार ही मानवता का चरम बिंदु है
आओ हम सब विगन बने ताकि वसुंधरा हरी भरी बनी रह सके. पशुओं का मांस और उससे बने उत्पादों का बहिष्कार करे, क्योंकि जिस क्रूरता से छोटे छोटे दबड़ों में इन पशुओं को पाला जाता है वह सब देखकर परतंत्रता की पराकाष्ठा का अनुमान लगाया जा सकता, प्रकृति में उत्पन्न ये जीव जो खुले आसमान में उड़ते है, हरी भरी धरती में कुलांचें भरते है, सरोवरों में तैरते है अपने अपने कुटुंब के साथ, उनकी खरीद फरोक्त कर एक छोटी व् गंदी जगह पर रखना और दवाओं के साथ उन्हें भोजन देना जिससे उनमे मांस में बढ़ोत्तरी हो सके, कितना नैतिक है, इसे जरूर महसूस करिएगा, जीव ह्त्या न करे इस बात के लिए हम संवेदनशील है किन्तु मांस खाने के लिए जो जीव क़त्ल किए जा रहे है उनके लिए नहीं..आखिर ऐसा क्यों?
धरती सबकी है सबका इस पर बराबर का अख्तियार है, और प्रकृति में संतुलन भी तभी बरकरार रहेगा जब प्रकृति में मौजूद हर जीव को उसकी प्राकृतिक जगह पर प्राकृतिक तौर पर रहने दिया जाएगा, हर जीव की पारिस्थितिकी तंत्र में अपनी अपनी सह्भाकिता है जो संतुलन के लिए आवश्यक है.
ह्रदय के भावों को स्वछंद छोड़ दे ताकि वे सवेद्नाओं को आपके भीतर आने दे और स्थिर रहने में मदद करे, यकीन मानिए इन लाखों करोड़ों जीवों को बंधक बनाकर जो क़त्ल किया जा रहा है उनकी चीत्कार आप को झकझोर देगी और आप फिर कभी इन बेजुबान जानवरों की लाशों की कब्रगाह अपने पेट में नहीं बनायेंगे...
सिर्फ अनुरोध है की शाकाहार ही मानवता का चरम बिंदु है आइये चले उस और कुछ कदम राह खूबसूरत लगेगी....
कृष्ण कुमार मिश्र
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इस वीडियो को अवश्य देखिये थोड़ा वक्त निकाल कर....
वीडियो साभार: मीटफ्रीइंडिया.काम
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