15 अप्रैल, 2014। सिंगरौली। एस्सार द्वारा बड़े पैमाने पर लापरवाही का एक और उदाहरण सामने आया है। खैराही स्थित एस्सार पावर प्लांट के फ्लाई एश डेम के मिट्टी की दीवार टूटने से राखयुक्त पानी गांव में फैल गया है। ग्रीनपीस ने मांग किया है कि एस्सार को तुंरत इसकी जिम्मेवारी लेकर अपने प्लांट को बंद करना चाहिए।
कुछ ही महीनों में यह दूसरा उदाहरण है। पिछले साल सिंतम्बर में, मध्यप्रेदश प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रिय कार्यालय (सिंगरौली) ने फ्लाई एश की एक बड़ी मात्रा पास के नदी और आसपास के क्षेत्र में फैलने की सूचना दी थी। इस साल जनवरी में प्रदुषण बोर्ड ने इस ओवरफ्लो की वजह से प्लांट को बंद करने का आदेश दिया था लेकिन कंपनी किसी सुरक्षा उपायों को पूरा किए बिना प्लांट को चालू करने में कामयाब रही थी।
ग्रीनपीस की अभियानकर्ता ऐश्वर्या मदिनेनी ने बताया कि, “कोयला विद्युत संयंत्रों से फ्लाई ऐश सिंगरौली के निवासियों के लिए एक बारहमासी समस्या हो गई है और हाल ही में एस्सार पावर प्लांट से विषाक्त फ्लाई एश का रिसाव स्वीकार नहीं किया जा सकता है। फ्लाई एश में भारी धातु जैसे आर्सेनिक, पारा होते हैं जिससे लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण को सीधा नुकसान पहुंच सकता है”।
वह आगे कहती हैं कि, “सिंगरौली के निवासी अस्थमा, तपेदिक, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस जैसी बिमारियों से नियमित रुप से पीड़ित हैं। स्थानीय डाक्टर इसकी वजह सीधे तौर पर औद्योगिक प्रदुषण को मानते हैं। अब समय आ गया है कि सरकार इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए कदम उठाये”।
कोयले के जलने से फ्लाई एश उत्पादित होता है और इसके वातावरण में जाने से यह पानी और वायु दोनों को दूषित करता है। बीच गांव में फ्लाई एश के लिए तालाब होने से वहां के लोगों पर बिमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
मंथन अध्य्यन केन्द्र के संस्थापक श्रीपद धर्माधिकारी के अनुसार, “फ्लाई एश का पानी के साथ मिलना जल प्रदुषण का सबसे बुरा रुप है। फ्लाई एश डैम के टूटने से वहां के भूमिगत जल स्रोत भी प्रभावित हो सकते हैं। यह प्रदुषित पानी कुएँ और दूसरे जल स्रोतों में मिलकर खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर सकता है”।
हाल ही में आयी रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में जहरीले पारा के बढ़ने के संकेत मिल चुके हैं। आदमी और मछली दोनों के खून जांच में उच्च स्तर का पारा पाया गया था। पारा नियुरोओक्सिसिटी के साथ जुड़ा एक भारी धातु है और यह फ्लाई ऐश के गठन की प्रमुख घटकों में से एक है।
जहां एस्सार का नया एश पॉण्ड अभी निर्माणाधीन है। धर्माधिकारी बताते हैं कि, “इस तरह की घटना से बचने के लिए फ्लाई एश पॉण्ड को लेकर दिशा-निर्देश बनाये गए हैं लेकिन दुर्भाग्य से शायद ही, पावर प्लांट्स इस नियम का पालन करते हैं”।
भारी धातु के अलावा फ्लाई एश में रेडियोएक्टिव गुणों के होने का भी संदेह होता है जो आनुवांशिक परिवर्तन पैदा कर सकता है। फ्लाई एश के इस अनिश्चित निपटान से आसपास के लोगों की जिन्दगी और जीविका खतरे में है। धर्माधिकारी के अनुसार “पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (एमओईएफ) के विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (ईएसी) ने भारी धातुओं और रेडियोधर्मी तत्वों की वजह से फ्लाई ऐश के उपयोग के खिलाफ मजबूत तर्क व्यक्त किया है”।
सिंगरौली में, स्थानीय लोगों और स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा फ्लाई एश प्रदुषण के खिलाफ शिकायत के बावजूद सरकार और कंपनी इस मुद्दे को हल करने में कोई रुचि नहीं दिखाती। ग्रीनपीस की मांग है कि एस्सार इस पूरे घटना की जिम्मेवारी लेते हुए अपने सभी कार्यों को बंद करे जबतक कि प्रदुषण नियंत्रण संबंधी सभी नियमों को पूरा नहीं कर लिया जाता।
साभार: अविनाश कुमार ग्रीनपीस इंडिया
avinash.kumar@greenpeace.org
Notes to the Editor:
A Case study on Mercury Poisoning in Singrauli:
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Aiswarya Madineni: Campaigner, Greenpeace India; +91 8884875744; aishwarya.madineni@greenpeace. org
Avinash Chanchal: +91 8359826363; avkumar@greenpeace.org
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