शहरी युवा एकजुट होकर सिंगरौली के महान जंगल को बचाने के लिए समर्थन में आए
22 अप्रैल,2014, नई दिल्ली। अर्थ डे के अवसर पर नई दिल्ली, मुंबई और बंगलोर के युवा स्वंयसेवक महान जंगल को बचाने के लिए एक साथ आए। ये स्वंयसेवक सिंगरौली, मध्यप्रदेश में स्थित महान जंगल को बचाने के लिए ग्रीनपीस इंडिया की तरफ से आयोजित एकजुटता कार्यक्रम का हिस्सा बने। दिल्ली में यह कार्यक्रम प्रेस इनक्लेव साकेत में आय़ोजित किया गया। अर्थडे के अवसर पर ग्रीनपीस ने बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार में एक विज्ञापन देकर राजनीतिक दलों से नये सरकार में सत्ता में आने के बाद महान जंगल को दिए गए अंतिम चरण के पर्यावरण मंजूरी को वापस लेने की मांग की। इस कार्यक्रम में मुंबई में प्रहल्लाद कक्कर और किटु गिडवानी ने तथा बंगलोर में मनोविराज खोसला, सुरेश हेबीलकर और प्रकाश बेलवाडी जैसे सितारों ने हिस्सा लिया।
इस साल फरवरी में पर्यावरण और वन मंत्री वीरप्पा मोईली ने 50,000 वनवासियों की आशा और आकांक्षाओं को कुचलते हुए महान को मंजूरी दिया था। सदियों से इन वनवासियों की जीविका महान जंगल पर निर्भर है, जिसे महान कोल ब्लॉक को कोयला खदान के लिए देना प्रस्तावित है। ग्रीनपीस की सीनियर कैंपेनर प्रिया पिल्लई ने कहा कि, “अभी हाल ही में रत्ना फील्ड मामले में सामने आये सबूतों ने मोईली की एस्सार के साथ दोस्ती को साबित किया है। इसी क्रम में महान कोल ब्लॉक को मिले स्पीडी क्लियरेंस को भी समझा जा सकता है जबकि मोईली के पूर्ववर्ती दो मंत्रियों ने मंजूरी के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। यह एक सरकारी कॉर्पोरेट गठजोड़ को इंगित करता है”।
युवाओं की आवाज
‘ग्रीन सिटी’ के थीम पर तीन शहर के युवाओं ने मांग किया कि उन्हें वनवासियों की जीविका को नष्ट करके और जैवविविधता को खत्म करके विकास नहीं चाहिए।
महुआ चुनना
अप्रैल के महीने में शहरी युवाओं ने महान को बचाने के लिए आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। 11 अप्रैल को पूरे देश से 26 स्वंयसेवकों ने महान पहुंच कर 15 दिनों तक वनवासियों के साथ जंगल में महुआ चुनने में हिस्सा लिया। मार्च और अप्रैल के महीने में महुआ का फल चुना जाता है जिसका उपयोग कई तरह की दवाईयों के लिए होता है। ग्रामीणों की कमाई का बड़ा हिस्सा महुआ फल को बेचकर आता है।
महान संघर्ष समिति की कार्यकर्ता और बुधेर गांव की निवासी अनिता कुशवाहा कहती हैं, “हम शहर से महुआ चुनने आए इन स्वंयसेवकों का आभारी हैं। जो हर रोज सुबह उठकर हमारे साथ महुआ चुनने जंगल जाते हैं। यह एक आसान काम नहीं है लेकिन स्वयंसेवकों का समर्पण बहुत उत्साहजनक है। यह हमें हम महन को बचाने के लिए लड़ाई में अकेले नहीं हैं कि उम्मीद और आश्वासनदेता है”।
ग्रीनपीस का अखबार में विज्ञापन
अर्थडे के दिन लोगों के चंदे से जमा किए गए पैसे से बिजनेस स्टैंडर्ड में विज्ञापन दिया गया लेकिन पिछले सप्ताह एस्सार ने ग्रीनपीस इंडिया को कानूनी नोटिस भेजकर इसे रोकने का प्रयास किया था। प्रिया पिल्लई ने कहा कि, “निषेधाज्ञा के बावजूद, ग्रीनपीस इंडिया विज्ञापन के साथ आगे जा रहा है और महान संघर्ष समिति का समर्थन करने के लिए शहरों में और महान जंगल मेंएकजुटता का प्रदर्शन करके साहसिक कदम उठाया है”।
ग्रीनपीस इंडिया पर एस्सार लगातार गलत आरोप लगा रहा है। एस्सार के मुंबई स्थित मुख्यालय पर प्रस्तावित कोयला खदान के विरोध में प्रदर्शन करने पर कंपनी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में ग्रीनपीस इंडिया और गांव के लोगों पर 500 करोड़ की मानहानि और चुप रहने का मुकदमा किया है।
ग्रीनपीस इंडिया मांग करती है कि पर्यावरण मंजूरी पर फिर से विचार करके एक स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्णय आना चाहिए और तबतक के लिए मंजूरी को अमान्य माना चाहिए।
साभार: अविनाश कुमार
ग्रीनपीस इण्डिया
avinash.kumar@greanpeace.org
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