ग्रामीणों ने बाघ को हांका लगाकर दूर किया आबादी से
अब्दुल सलीम खान
डिमरौल गांव-बिजुआ से। जिस बाघ ने रात को एक इंसान को अपना निवाला बनाया था। वन विभाग की लापरवाही से आजिज आकर ग्रामीणों ने खुद ही मोर्चा संभालने का फैसला कर लिया। बाघ शिकार करने वाले गन्ने के खेत से बाहर नही गया था। ग्रामीणों ने जब गन्ने में आग लगाई तो वह एक खेत से दूसरे खेत दौड़ता रहा। ग्रामीणों ने धीरे-धीरे चार गन्ने के खेतों को आग के हवाले कर दिया। आखिरकार गांव वाले बाघ को अपने गांव की हद से बाहर करने में कामयाब रहे। दो घंटे तक चले इस पूरी कवायद में वनमहकमे व प्रशासन महज तमाशबीन बना रहा।
डिमरौल गांव के लोग वाकई शेरदिल निकले, वन महकमा सुबह नौ बजे मौके पर पहुंचने के बाद से गांव वालों से दावा करता रहा कि अब बाघ यहां नही है। दोपहर एक बजे गांव वालों के दबाव में जब कांबिंग की गई, तो छैलबिहारी का शव मिल गया। लेकिन बाघ खेत से बाहर नही निकला। महकमे ने दावा किया कि बाघ अब चला गया है लेकिन गांव वालों का सब्र टूटा,खेत को आग के हवाले कर दिया। इसी बीच बाघ खेत से ही निकला तो महकमा मुंह ताकता रह गया। गांव वाले अब बाघ के पीछे थे, बाघ भाग रहा था। धीरे-धीरे गांव के करीब सौ से ज्यादा लोग एक खेत से दूसरे खेत तक बाघ को दौड़ाते रहे। आखिरकार बरौंछा के नजदीक गांव की हद के आखिरी खेत से भी दौड़ाकर भगा दिया। बाघ यहां से निकलकर सेमरिया गांव की हद में चला गया। इस पूरे आपरेशन में वन विभाग व पुलिस महकमे के अफसर महज तमाश देखते रहे।
अब्दुल सलीम खान अमरउजाला में पत्रकार है, हिंदुस्तान अखबार में कई वर्षों तक पत्रकारिता कर चुके है , वन्य जीवन एवं सामाजिक मुद्दों पर पैनी नज़र, गुलरिया खीरी में निवास, इनसे salimreporter.lmp@gmail.com पर संपर्क कर सकते है.
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