महान (सिंगरौली) के ग्रामीणों को मिला शहरी नौजवानों का साथ। प्रस्तावित कोयला खदान को रद्द करने की मांग की।
स्पीडी क्लियरेंस दे रहे पर्यावरण मंत्री मोईली को हटाने का किया मांग
22 जनवरी, मुंबई। ग्रीनपीस कार्यकर्ताओं ने एस्सार के महालक्ष्मी स्थित 180 फीट लंबे इमारत को 36 * 72 फीट लंबे बैनर से ढक दिया। बैनर पर लिखा था- वी किल फॉरेस्टः एस्सार। बैनर पर पर्यावरण व वन मंत्रालय के मंत्री वीरप्पा मोईली तथा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तस्वीर भी थी। महान जंगल के प्रस्तावित विनाश को दर्शाते हुए 12 कार्यकर्ताओं ने बाघ की पोशाक में इमारत को घेर लिया। उन लोगों ने मांग किया कि एस्सार महान जंगल को बर्बाद करने के लिए प्रस्तावित कोयला खदान को रद्द करे। साथ ही, प्रधानमंत्री नवनियुक्त वन व पर्यावरण मंत्री वीरप्पा मोईली को हटाएं, जो लगातार पर्यावरण की चिंताओं और लोगों के वनाधिकारों को दरकिनार कर बिग टिकट प्रोजेक्ट को पर्यावरण क्लियरेंस दे रहे हैं।
ग्रीनपीस कार्यकर्ता प्रिया पिल्लई ने सवाल उठाते हुए कहा कि “हमारे नये पर्यावरण मंत्री ने सिर्फ बीस दिनों में करीब 1.5 लाख करोड़ के 70 प्रोजेक्टों को क्लियरेंस दिया है। इसका मतलब है कि उन्होंने एक प्रस्ताव पर बहुत कम समय खर्च किया। क्या मोईली को धनी कॉरपोरेट कंपनियों जैसे एस्सार जो महान जंगल को खत्म करने पर तुली है के जेब को भरने के लिए नियुक्त किया गया है। या फिर देश के पर्यावरण अधिकारों और वनजीवन को बचाने के लिए नियुक्त किया गया है”। प्रिया ने विस्तार से बताया कि महान को जिस तरीके से एस्सार को आवंटित किया गया वो सवालों के घेरे में है। सबसे पहले जयराम रमेश ने इस प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया था लेकिन कंपनी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए पहले चरण का क्लियरेंस हासिल कर लिया। वनाधिकार कानून को लागू किए बिना खदान की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना हमारे संविधान का उल्लंघन है।
मुंबई के नौजवानों ने महान जंगल से आए आदिवासियों और अन्य समुदाय के लोगों के साथ कंधा से कंधा मिलाते हुए लिव आवर फॉरेस्ट अलोन (हमारे जंगल को अकेला छोड़ दो) लिखे बैनर को लहराया। सभी ग्रामीण महान संघर्ष समिति के सदस्य हैं। यह संगठन उनलोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया है जो महान जंगल में अपनी जीविका के लिए निर्भर हैं। ग्रामीणों और शहरी नौजवानों के बीच यह अनूठा मिलन एक पहल है, जिसके माध्यम से विकास के नाम पर जंगलों के विनाश की तरफ ध्यान दिलाने की कोशिश की गई है।
महान जंगल को महान कोल लिमिटेड को आवंटित किया गया है। इससे एस्सार पावर और हिंडाल्को इंडस्ट्री के पावर प्लांट को ईंधन सप्लाई किया जाएगा। यह उन कोल ब्लॉक में से एक है जिसे कोयला मंत्रालय ने कोयला घोटाले के दौरान औने-पौने दाम में कंपनियों को दे दिया था और अब वे सभी सीबीआई की जांच के दायरे में है। 14 हजार लोगों की जीविका, 160 तरह के पौधों और कई सारे जानवरों तथा पक्षियों के अलावा महान जंगल को इसलिए भी बचाना जरुरी हैक्योंकि यह मध्यभारत के सघन जंगलों का आखरी टूकड़ा ही बचा हुआ है।
महान संघर्ष समिति के सदस्य और अमिलिया, सिंगरौली (मध्यप्रदेश) के ग्रामीण कृपानाथ ने कहा कि यह हमारे लिए ऐतिहासिक दिन है। एस्सार महान जंगल से हमारे घरों को नष्ट करने के लिए तथा खुद पैसा बनाने के लिए हमारी जीविका छीनने को प्रयासरत है। आज हमलोग करीब 2000 किलोमीटर की दूरी का सफर तय करके एस्सार के मुख्यालय पर आए हैं ताकि उन्हें यह संदेश चला जाय कि हमारी आवाज मौन नहीं हो सकती।
मुंबई के नौजवानों ने ग्रामीणों को मजबूत समर्थन दिया। अपनी चिंताओं को दोहराते हुए जंगलिस्तान के सदस्य बृकेश सिंह ने कहा कि भले हमलोग शहरों में रहते हों लेकिन हमारा महान के लोगों से मजबूत लगाव है। हमलोग जोखिम उठाते हुए इस इमारत को घेर रहे हैं ताकि कॉरपोरेट कंपनियों और वन व पर्यावरण मंत्रालय का घिनौना चेहरा लोगों के सामने आ सके। प्रस्वावित महान खदान को बंद करना ही पड़ेगा। हमलोग भारत के जंगलों को भ्रष्टाचार तथा लालच की भेंट नहीं चढ़ने देंगे।
जंगलिस्तान ग्रीनपीस इंडिया का सबसे ज्यादा दिनों तक चलने वाला अभियान है जिसके तहत शहरी नौजवान एकत्रित होकर जंगल बचाने के लिए खड़े हो रहे हैं।
ग्रीनपीस कार्यकर्ताओं ने लंदन में एस्सार पावर के मुख्यालय के सामने भी प्रदर्शन किया। उन्होंने महान के लोगों और शहरी युवाओं के साथ आवाज मिलाते हुए नारा लगया- एस्सार स्टे आउट ऑफ महान (एस्सार महान से बाहर रहो)। एस्सार कंपनी लंदन स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड है। ग्रीनपीस लंदन के कार्यकर्ता पॉल मोरजुओ ने कहा कि “भौगोलिक रुप से भले ही हम महान से हजारों किलोमीटर दूर हैं लेकिन हम महान के समुदाय के साथ मजबूती से खड़े हैं जो अपने घर को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। भारत सरकार को अपने नागरिकों की इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए तथा अपने महत्वपूर्ण पर्यावरण को बचाना चाहिए न कि कुछ निजी उद्योगपतियों के हित में काम करना चाहिए”।
एस्सार पावर और हिंडाल्को उन 61 निजी कंपनियों में है जिनको फरवरी 2014 तक पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अंतिम चरण का क्लियरेंस लेना है नहीं तो उनकाआवंटन रद्द किया जा सकता है।
साभार: अविनाश कुमार, ग्रीनपीस
avinash.kumar@greenpeace.org
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