क्या ये विशाल बरगद ख़त्म हो जायेंगे? अगर ऐसा होगा तो वे परिंदे और वे जानवर जो आसरा लेते है इस विशाल वृक्ष में, उनकी मौजूदगी पर भी सवाल खडा हो जाएगा, साथ ही वो संस्कृति भी विलुप्त हो जायेगी जो बताती है हमें दरख्तों और परिंदों से हमारा रिश्ता, दरअसल ये सब एक दूसरे के पूरक है ,एक पर आया संकट सबके लिए मुश्किलात लेकर आयेगा....चलो फिर किसी पौधे को जमीन दी जाय ताकि एक दिन वह विशाल वृक्ष बन सके और उसके तले लग सकें ये हमारे सांस्कृतिक मेले और चौपाले, बसेरा कर सके वो जीव जिनके ये घर है...बरगद जैसे दरख़्त....कृष्ण (माडरेटर)
कुछ दशक पहले की बात है, जब महिलायें बैलगाड़ियों पर सवार होकर कोसो दूर दो गावों के मध्य लगे किसी विशाल बरगद के वृक्ष की पूजा करने जाती थी, यह एक तरह का सांस्कृतिक मेला था, और आस-पास की महिलाओं का आपस में संपर्क का एक मौक़ा भी, दरअसल वट सावित्री पूजा में हर एक बरगद को नहीं पूजा सकता, उस बरगद का विधि-विधान से जनेऊ हुआ हो और फिर किसी बगीचे या कुएं से विवाह कराया गया हो तभी वह बरगद पूजने योग्य माना जाता है वट सावित्री की पूजा में. किन्तु अब बदलाव और आधुनिक शैली के जीवनचर्या में महिलाओं ने बोनसाई बरगद को विकल्प मानकर पूजना शुरू कर दिया. इसके कई कारण है ख़त्म होते बरगद और जो मौजूद है उनका हिन्दू रीति से उन वृक्षों का संस्कार न होना. बरगद की डाल पूजने से बोनसाई की पूजा करने के इस चलन में वे विशाल बरगद के वृक्ष जिन पर सैकड़ों पक्षी व् जीव जंतु अपना बसेरा करते थे, आप्रसंगिक हो गए है.
क्या इन बोनसाई बरगदों को जमीन मयस्सर होगी! हम इसी इंतज़ार में है. (DudhwaLive Desk)
शादाब रज़ा हिन्दुस्तान दैनिक में प्रेस फोटोग्राफर हैं. पत्रकारिता से गहरा नाता, लखीमपुर खीरी की संस्कृतियों, पर्यावरण और जंगलों की बेहतरीन तस्वीरनिगारी, लखीमपुर में निवास, इनसे shadabrazarepoter@gmail.com संपर्क किया जा सकता है.
(सभी तस्वीरें: शादाब रज़ा)
अच्छा प्रश्न उठाया है ... रीति रिवाज, धर्म,आस्था से परे ....
ReplyDeleteशादाब जी के फोटो अच्छे हैं ....
शुक्रिया
shadaab bhai jitne smart hai usse jyada unki soch smart hai, hakiki maslo par unse ghanto baat karke lagta hai ki jahan me abhi animals nd bird ke baare me fikramand log hai, to chinta kam ho jati hai
ReplyDelete..............welldone shadaab bhai
photo achhe hai....sawal bhi sahi hai.jab bargad lagane ki jagah nahi hogi to yahi hoga...
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