घर के आंगन मे लगी बेल के नीचे खड़ी मां |
यादों मे बची थी चिरैय्या,.... अब फिर घर आई गौरैया,
इस आंगन के अंगूर की बेल बनी चिडिय़ों का बसेरा
गौरेया का बसेरा |
बिजुआ (लखीमपुर खीरी)। आठ साल पहले की बात होगी। मां ने घर के बगीचे मे एक अंगूर का पेंड़ (बेल) लगाया था। एक छोटी सी अंगूर की बेल कुछ ही दिनों मे आंगन मे छाने लगी। एक- दो साल मे अंगूर के गुच्छे आ गए। लेकिन उनमे मिठास नही थी साथ ही अंगूर में बीज भी थे। घर मे कुछ लोग नाराज हो गए, बोले ऐसे पेंड़ से क्या फायदा, न फल मिलेंगे और न ही काम की लकड़ी। कुछ ने तो तर्क दिया अंागन छोटा पड़ जाएगा इस बेल से कीड़े-मकौड़े आंगन तक आ जांएगे। तभी छोटा भाई खुद ही कुल्हाड़ी लेकर बेल को काटने दौड़ पड़ा। मां बोली कि पेंड़ नही कटेगा, सब कुछ फल व लकड़ी नही होती, कहा देखना एक दिन ये पेंड़ किसी का बसेरा भी बनेगा। आज सोंचता हूं कि मां की बात कितनी सही थी, आज आठ सालों के लंबे समय में ये पेंड़ हमें भले मीठे फल न दे रहा हो लेकिन न जाने कितने परिंदों का बसेरा बना है।
मैं इधर हूं या उधर : शीशे मे खुद को देखकर जैसे पूछती हो गौरेया |
आज भी ये बातें मुझे अच्छी तरह याद हैं। आज वही आंगन है और वही अंगूर की बेल। तेजी से गायब हुई आंगन की चिरैय्या- गौरैय्या अब इसी बेल पर बसेरा किए है। इस चिडिय़ा के एक जोड़े ने यहां घोसला बनाकर अपने अंडों को रखे हुए है। वहीं इस बेल पर फ़ाख्ता चिडिय़ा का बसेरा भी बना है। कई साल से यहां रह रहे फाख्ता ने अपने घोसले मे अंडे रखे हैं, कुछ दिन मे इन अंडों से बच्चे निकलने वाले हैं। और शायद गौरैय्या के अंडों से भी बच्चे निकलने वाले होंगे। गौरैय्या बचाने की मुहिम के बाद नजर आ रही कुछ ऐसी तस्वीरे हमे ठंडे हवा के झोंके सा अहसास कराती हैं।
-बेटी और गौरैय्या.....जैसे एक दूसरे से हो रहे मुखातिब |
आंगन मे लगे वॉश बेसिन और उसके शीसे के सामने रोज आकर बैठने वाली ये गौरैय्या अब घर वालों से इतना घुल मिल गई है कि किसी की आहट से भी भागती तक नही। कुछ तस्वीरों हमने खींची हैं, और उन्हें साझा कर रहा हूं।
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अब्दुल सलीम खान, लेखक प्रतिष्ठित दैनिक अखबार अमरउजाला के युवा पत्रकार हैं, जंगल एवं वन्यजीवों समेत जमीनी मसलों पर तीक्ष्ण लेखन, और खीरी जनपद के गुलरिया (खीरी) में निवास करते हैं, इनसे salimreporter.lmp@gmail.com व मो.९८३८६४३७१६ पर सम्पर्क कर सकते हैं।
itni achchi soch aur lines sirf Abdul Salim ki kalam se hi nikal skti hai.
ReplyDeleteMaa Tujhe salam
आपकी माँ को सलाम क्योंकि ज्यादातर लोग केवल अपना स्वार्थ देखते है और माँ ने पंछियों के बारे में सोचा और आप सभी को बधाई कि इतने सुखद वातावरण में रहने का मौका मिल रहा है
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