वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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बीती सदी में बापू ने कहा था

"किसी राष्ट्र की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से मापा जाता है कि वह अपने यहां जानवरों से किस तरह का सलूक करता है"- मोहनदास करमचन्द गाँधी

ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Dec 3, 2012

ये जज्बात जो हमें इंसान होने का सबूत देते है..

 एक वाकया नाजिर हुआ हमारे सलीम भाई के मार्फ़त जो अक्सर परिंदों और जानवरों के मसलों को सुर्खिया देते है अपनी कलम से ताकि सोये हुए इंसानी जज्बात जाग सके ऐसा ही वाकया परसों मोबाइल से उन्होंने बताया की किसी इंसानी शक्ल वाले हैवान ने एक कुतिया की आंते फाड़ डाली और वह तड़पती  रही, उसके पेट से आंते बाहर निकल आई और मिट्टी में सनती रही, किसी भी इंसानी दिल का पसीजना जाहिर था और उस जगह कुछ जिम्मेदार लोगों ने वो किया जो इंसानियत के ज़िंदा रहने का सिलसिला देती है, एक इंसानों के डाक्टर ने जितनी कुशलता से उस कुतिया का आपरेशन किया और उसे ठीक किया इससे ये जाहिर होता है की इंसानी कूबत कुछ भी करा सकती है, जो अपेक्षाए जानवरों के डाक्टर से की जाती है वह काम वे पशु-चिकित्सक कभी नहीं कर पाए और एक BAMS डाक्टर ने जो सराहनीय कार्य किया उसके जज्बे को दुधवा लाइव का सलाम ....तो पढ़िए ये वाकया  जो हमारे इंसान होने का सबूत देता है ....माडरेटर 

जानवर का दर्द देखकर तडफ़ उठे इंसानी दिल

पड़रिया तुला में एक कुतिया का किसी ने फाड़ डाला था पेट,

पेट से लटकती आंतें देखकर व्यापारियों व डाक्टरों ने रात को ही किया आपरेशन,

दूसरे दिन तेजी से सुधरी कुतिया की हालत, इलाज जारी।
लखीमपुर (खीरी)। जिले के पड़रिया तुला कस्बे में शुक्रवार को रब के बंदों ने जो किया, वह वाकई काबिले तारीफ है। कस्बे में आवारा घूमने वाले एक जानवर(कुतिया) को किसी ने पेट में चाकू मार दिया, जिससे उसके पेट से कई फिट आंत बाहर लटकने लगी। अपने जख्म को लिए ये जानवर बेबस तडफ़ रहा था। जानवर की पीड़ा देखकर यहां के प्राईवेट डाक्टर व व व्यापारियों ने उसके इलाज का संकल्प लिया रात को ही उस आवारा जानवर को अपने मिल गए, कुतिया के जख्मों को साफकर आंतो को सकुशल जोडऩे के बाद २४ घंटे से उस का इलाज कर रहे हैं। 

इंसान व जानवर में भले कोई रिश्ता न हो, लेकिन जानवर का दर्द देखकर इंसानी दिल भी तडफ़ उठते हैं। पड़रिया तुला में किसी ने एक कुतिया के पेट में गहरा चाकू मार दिया, जिससे कुतिया के पेट में चार इंच घाव के साथ पेट की आंते कट गईं और करीब पांच फिट तक आंत पेट से बाहर निकल कर लटकने लगीं। शाम को हुई इस घटना के बाद वह बेजुबान दर्द से तडफ़ता घूम रहा था, तभी कस्बे के व्यापारियों को उसका दर्द न देखा गया, व्यापारी कस्बे के चिकित्सक डा. सतेंद्र कुमार यादव के पास ले गए, इंसानों का इलाज करने वाले डाक्टर भी इस मंजर को देखकर सिहर उठे, उन्होनें व्यापारियों के आग्रह पर तुरंत ही इलाज करने की ठान ली। रात को ही उसका पेट की आंते साफकर कटी हुईं आंते सिल दी गई, और पेट पर भी टांके लगा दिए गए। रात भर उस बेजुबान को अपने पास रखकर सुबह दोबारा इंजेक्शन व दवाईयां दी गईं। अब उसकी हालत में तेजी से सुधार हुआ है। 


अब्दुल सलीम खान (संवेदनशील मसायल पर पैनी नजर, लेखन में अपने आस-पास के मानवीय मुद्दों को अपनी कलम से जाहिर करने की तमाम सफल कोशिशे, पत्रकारिता में एक दशक से अधिक समय से सक्रिय, खीरी जनपद के गुलरिया में निवास, इनसे salimreporter.lmp@gmail.com  संपर्क कर सकते हैं। )


4 comments:

  1. कहते हैं मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. दया, करूणा, सेवा जैसे गुण ही उसे मानवीय बनाते हैं, पर इस अमानवीय कृत्य को देखें तो खुद को मानव कहलाने में शर्म महसूस करेंगे!.....पर चिकित्सक डा. सतेंद्र कुमार यादव जी एवं सहयोगी व्यापारी गण जैसे लोग ही उपर्युक्त कथन की बुनियाद है जिसपर मानवता रूपी इमारत आज भी बुलंद है....मैं इनके ज़ज्बे को तहे दिल से सलाम करता हूँ !!!

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  2. बहुत ही प्रशंसनीय कार्य और इस कार्य को अंजाम देने वाले डॉक्टर साहब को हमारा भी सलाम ...
    आज जहाँ इन्सान, इन्सान का दर्द नहीं बाँट पा रहा वहाँ इस तरह के कार्य को अन्जाम तक पहुँचाना एक मिसाल है ...
    उन सभी व्यापारियों का भी आभार जो इस कार्य के भागी बने..
    श्री अब्दुल सलीम खान जी और दुधवा लाईव भी बधाई के पात्र हैं जो जनजागरण का संदेश लोगों तक पहुँचाया...

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  3. bhut hi acha kam kiya mitro aap sabhe ko is kamm ki leye saduwad

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