टूरिज्म की भेंट चढ़ रहे है, ये खूबसूरत जीव-
सरचू में हो रहा है, मरमोट (Marmot) का शिकार-
(लाहोल-स्पिति-हिमाचल प्रदेश) मनाली से तकरीबन 222 कि०मी० दूर स्थित पहाड़ों से घिरे मैदानी भाग जिसे सरचु के नाम से जानते है, वहाँ मनाली आदि स्थानों से टूर-ट्रेवल का काम करने वाले लोग टेन्टिंग कैम्प का आयोजन करते है, जिसमें मनाली के स्थानीय कर्मचारी बहुतायात में कार्य करते है, इन वादियों में मरमोट जैसा खूबसूरत जानवर रहता है जो खरगोश से आकार में बड़ा होता है, इसे जमीन पर रहने वाली गिलहरी भी कहते है, वन्य जीव सरंक्षण के मानकों में इसे सेड्यूल प्रथम श्रेणी का सरंक्षण प्राप्त है, बावजूद इसके टेन्टिंग की व्यवस्था करने वाले लोग जो पूरे सीजन यहां प्रवास करते है, इनके द्वारा इसका धड़ल्ले से शिकार किया जाता है, चौकाने वाली बात यह है, कि स्थानीय लोग इसका बिल्कुल शिकार नही करते है, और हिमाचल-लद्दाख के बार्डर पर स्थिति इस जगह पर मानव जनसख्या घनत्व भी बहुत कम है, मरमोट बिलों मे रहते हैं, और टेन्टिंग का काम करने वाले लोग सुबह के बाद जब शैलानी यहां से चले जाते है, तब बिलों के पास बड़े पत्थर लेकर बैठते है, मरमोट प्रकृति से सुस्त प्राणी है, और जब वह बिल से बाहर निकलता है, तो पत्थर की चोट से उसे मार देते है, ये लोग उसके मांस का स्वयं इस्तेमाल करते है, साथ ही शैलानियों को भी इसके मांस की तमाम खूबियां बताकर उन्हे भी इसका मांस खाने के लिए आकर्षित करते हैं।
टेन्टिंग कैम्प-सरचु |
इस इलाके का वन-विभाग एवं सरंक्षण में कार्य कर रही संस्थायें भी मरमोट के हो रहे इस क्रूर शिकार को अनदेखा कर रही है, सूत्रों से ज्ञात हुआ है, कि सरचु में टेन्टिंग कैम्प का आयोजन करने वाली ट्रेवल कम्पनियां वन-विभाग को मोटी रकम मुहैया कराती है, टेन्टिंग कैम्प के आयोजन की अनुमति प्राप्त करने के लिए।
प्रदीप सक्सेना
pdpsaxena@gmail.com
चिंतनीय
ReplyDeleteजो इतने खूबसूरत जानवर को मार रहा है उसको कड़ी सजा होनी चाहिए
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