दुधवा के राइनो क्षेत्र में मिला मादा गैंडा का शव
मानीटरिंग का दावा खोखला गैंडो का जीवन असुरक्षित
दुधवा से डी पी मिश्र की रिपोर्ट
दुधवा नेशनल पार्क इतिहास में पहली बार सोनारीपुर वनक्षेत्र में एक मादा गैंडा के शव का क्षत विक्षत कंकाल पाया गया है जिसका सींग गायब मिला है। अनुमान लगाया जा रहा है कि गैंडा का शिकार करके सींग गायब किया। गायब कर उसे शिकारियों ने नेपाली तस्करों को बेंच दिया जिसकी नेपाल में बरामदगी हो चुकी है। सूचना पर दुधवा प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। पशु चिकित्सकों द्वारा किए जाने वाले पोस्टमार्टम के बाद ही मौत के कारणों का पता लग पाएगा। दुधवा की टीम ने नेपाल वन विभाग द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर बसंतापुर कलां गांव से दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है।
दुधवा नेशनल पार्क इतिहास में पहली बार सोनारीपुर वनक्षेत्र में एक मादा गैंडा के शव का क्षत विक्षत कंकाल पाया गया है जिसका सींग गायब मिला है। अनुमान लगाया जा रहा है कि गैंडा का शिकार करके सींग गायब किया। गायब कर उसे शिकारियों ने नेपाली तस्करों को बेंच दिया जिसकी नेपाल में बरामदगी हो चुकी है। सूचना पर दुधवा प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। पशु चिकित्सकों द्वारा किए जाने वाले पोस्टमार्टम के बाद ही मौत के कारणों का पता लग पाएगा। दुधवा की टीम ने नेपाल वन विभाग द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर बसंतापुर कलां गांव से दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है।
सीमावर्ती नेपाल के कैलाली जिला वन विभाग ने सोमवार को धनगढ़ी शहर से
तीन तस्करों को पकड़ कर उनके पास से गैंडा का सींग बरामद किया था। तस्करों
ने पूछताछ में पलिया थाना के ग्राम बसंतापुर के दो व्यक्तियों से सींग
हासिल करना स्वीकार किया था। इसकी सूचना आते ही दुधवा नेशनल पार्क प्रशासन
में हड़कंप मच गया। नेपाल वन अधिकारियों से संपर्क कर उनके द्वारा दी गई
सूचना पर दुधवा की टीम ने ग्राम बसंतापुर कलां निवासी कुलदीप एवं सुरेश को
गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान उनके द्वारा सींग काटने की बात स्वीकार
की गई साथ ही उनकी निशानदेही पर लगभग बीस दिन पुराना मादा गैंडा के शव का
क्षत विक्षत कंकाल बरामद कर लिया गया। मादा गैंडा का शव दुधवा नेशनल पार्क
की दक्षिण सोनारीपुर वनरेंज के बेसकैंप के उत्तर पूर्व दिशा में लगभग एक
डेढ़ किमी दूर राइनो इलाका में बरामद हुआ है। यह वन क्षेत्र ऊर्जाबाड़ से
संरक्षित गैंडा पुर्नवास परियोजना के तहत शामिल है। लगभग पंद्रह वर्षीय
मादा गैंडा का शव करीब बीस दिनों तक जंगल में पड़ा रहा लेकिन इसकी भनक रेंज
अथवा बेस कैंप के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को नहीं लग सकी। इस स्थिति ने
यह पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है कि दुधवा प्रशासन द्वारा गैँडों की
प्रतिदिन मानीटरिंग किए जाने का दावा पूरी तरह से खोखला है एवं कार्य मात्र
खानापूर्ति के लिए कागजों पर ही चल रहे हैं। इससे दुधवा के गैंडों का जीवन
असुरक्षित है इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। गैंडा का शव मिलने की
सूचना पर दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड निदेशक शैलेष प्रसाद, उपनिदेशक गणेश
भट्ट, वार्डन ईश्वर दयाल, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के समन्वयक डा0 मुदित गुप्ता
आदि वनाधिकारी मौके पर पहुंच गए और घटनास्थल का निरीक्षण किया। शव का
पोस्टमार्टम पशु चिकित्साधिकारियों द्वारा किए जाने के बाद ही मौत के सही
कारणों का पता लग पाएगा।
What report says?Is there any informations available.
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