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International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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Mar 1, 2011

मेरी शाख पर बने बया के उस घोंसले को तो जरूर बचा लेना...


आदमी हो, कर दोगे एक साथ, कई-कई हत्याएं...
 - योगेन्द्र कृष्णा
**********************
काटने से पहले
लकड़हारे ने पूछा
उसकी अंतिम इच्छा क्या है

वृद्ध पेड़ ने कहा

जीवन भर मैंने
किसी से कुछ मांगा है क्या
कि आज
बर्बर होते इस समय में
मरने के पहले
अपने लिए कुछ मांगूं

लेकिन

अगर संभव हो
तो मुझे गिरने से बचा लेना
आसपास बनी झोपिड़यों पर

श्मशान में

किसी की चिता सजा देना
पर मेरी लकड़ियों को
हवनकुंड की आग से बचा लेना

बचा लेना मुझे

आतंकवादियों के हाथ से
किसी अनर्गल कर्मकांड से

मेरी शाख पर बने

बया के उस घोंसले को
तो जरूर बचा लेना

युगल प्रेमियों ने

खींच दी हैं मेरे खुरदरे तन पर
कुछ आड़ी तिरछी रेखाएं

बड़ी उम्मीद से

मेरी बाहों में लिपटी हैं
कुछ कोमल लताएं भी

हो सके तो बचा लेना

इस उम्मीद को
प्रेम की अनगढ़ इस भाषा
इस शिल्प को

मैंने अबतक

बचाए रखा है इन्हें
प्रचंड हवाओं
बारिश और तपिश से
नैसर्गिक मेरा नाता है इनसे
लेकिन डरता हूं तुमसे

आदमी हो

कर दोगे एक साथ
कई-कई हत्याएं
कई-कई हिंसाएं
कई-कई आतंक

और पता भी नहीं होगा तुम्हें


तुम तो

किसी के इशारे पर
काट रहे होगे
सिर्फ एक पेड़... 



***********************************************************


योगेन्द्र कृष्णा (लेखक साहित्यकार है, कवि, कहानीकार व समालोचक, अंग्रेजी में शिक्षा प्राप्ति के बावजूद हिन्दी में बेहतरीन लेखन, "खोई दुनिया का सुरंग", "बीत चुके शहर में" इनके प्रमुख काव्य संग्रह, "स्मृतियों में टाल्स्टाय" (Tr. of Reminiscences of Tolstoy by his son Ilya Tolstoy), "गैस चैम्बर के लिए कृपया इस तरफ़" (Translation of Nazi Concentration Camp stories ' This Way for the Gas Ladies and Gentlemen ' by the Polish writer Tadeusz Borowski) जैसी महत्वपूर्ण कृतियों का अनुवाद, पटना बिहार में निवास, इनसे  yogendrakrishna@yahoo.com पर सम्पर्क कर सकते हैं  )


2 comments:

  1. और पता भी नहीं होगा तुम्हें
    तुम तो
    किसी के इशारे पर
    काट रहे होगे
    सिर्फ एक पेड़...
    अतिसुन्दर भावाव्यक्ति सार्थक पोस्ट , हमारी आँखें खोलने में सक्षम , बधाई

    ReplyDelete

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