अन्तर्राष्ट्रीय गौरैया दिवस- 20 मार्च
दुधवा लाइव ई-पत्रिका ने पूरे वर्ष गौरैया सरंक्षण का जन-अभियान चलाकर मनाया गौरैया वर्ष- 2010
दुधवा लाइव की एक मुहिम जो उत्तर भारत के तराई क्षेत्र के जनपदों में एक जन-अभियान के रूप में अपना व्यापक प्रभाव छोड़ा, दुधवा लाइव के सहयोग से इस बार खीरी जनपद में मितौली, मोहम्मदी, पलिया, धौरहरा, कस्ता, बेहजम आदि स्थानों पर विभिन्न कार्यक्रम वन्य-जीव प्रेमियों व आम-जनमानस द्वारा संपन्न कराये जायेंगे। इसके अलावा, पीलीभीत, शाहजहांपुर, सीतापुर, फ़ैजाबाद आदि जनपदों में जागरूकता अभियान चलाकर पक्षी प्रेमी, जन-समुदाय को जागरूक करेंगे, ताकि वह अपने इस घर-आंगन के पक्षी को सरंक्षित कर सके जो अनियोजित विकास की भेट चढ़ रहा है, गौरैया की तादाद पिछले एक दशक में तीव्रता से घटी, नतीजतन पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों, पक्षी विशेषज्ञों का ध्यान नष्ट होती इस प्रजाति की ओर गया, खासतौर से इंग्लैंड के जन-मानस व पक्षी प्रेमियों ने इसकी संख्या का आंकलन करने की शुरूवात की और उन कारणों का पता लगाने का प्रयास किया जो इस चिड़िया की प्रजाति के लिए हानिकारक थे।
गौरैया को वापस लाने में ये बाते हो सकती हैं, मददगार है-
१-घर व आस-पास की जगहों पर विदेशी झाड़-झंखाड़ लगाने के बजाए स्वदेशी पुष्प व फ़लदार पौधे लगायें, क्योंकि खूबसूरती के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पौधे व वृक्ष अमूनन पक्षियों को भोजन उपलब्ध नही कराते। क्योंकि उनमें न तो फ़ल आते है और न ही उनके पुष्पों में पर्याप्त मकरंद व रस होता है। साथ ही अन्य कीट भी जो गौरैया का भोजन है, इन पौधों पर अपना जीवन यापन नही कर सकते।
२-कुकरबिटेशी प्रजाति का रोपड़ अत्यधिक किया जाए जिसमें लौकी कद्दू आदि।
३- घरों में ऐसा स्थान अवश्य छोड़े जहां गौरैया अपना घोसला बना सके, यदि ये स्थान पक्के व नव-निर्मित घरों में मौजूद नही है तो वहां लकड़ी आदि से निर्मित बाक्स बनवा कर लागाये जा सकते है, जो गौरैया को घोसला बनाने के लिए आकर्षित कर सकते हैं
५- पेस्टीसाइड का इस्तेमाल घरों व लॉन आदि में न करे, प्राकृतिक पेस्टीसाइड जैसे नीम का तेल आदि का इस्तेमाल करें।
६- याद रहे गौरैया के चूजे तभी जीवित रह सकते है, जब उन्हे मुलायम कीड़े खाने को मिल सके और यह तभी संभव है जब आप के घर देशी पौधे और बेलें हो जहां कीट अपना भोजन पा सके, और उन पौधों पर कीटनाशक का प्रयोग न किया जाए।
६- याद रहे गौरैया के चूजे तभी जीवित रह सकते है, जब उन्हे मुलायम कीड़े खाने को मिल सके और यह तभी संभव है जब आप के घर देशी पौधे और बेलें हो जहां कीट अपना भोजन पा सके, और उन पौधों पर कीटनाशक का प्रयोग न किया जाए।
७- घरों की छतों पर, आंगन व दरवाजे पर पानी-दाना रखें ताकि पटते तालाबों और जमीन पर बिछते पत्थरों पर जहां बरसात का एक बूँद पानी भी नही ठहर सकता वहां ये आप के द्वारा रखी हुई पानी की बूंदें गौरैया ही नही वरन तमाम तरह के परिन्दों की प्यास बुझाएंगी---आप को लगता है कि इससे भी बड़ा कोई पुण्य होगा...कोई पूजा...कोई हवन......।
दुधवा लाइव डेस्क
yea
ReplyDeletegood people taking care all days of the year
not only today
congrats!!
you are doing a wonderful work!!!