सड़क बिजली छोडि़ए, सरकारी नल भी नही है मयस्सर
टांगिया-बिजुआ। हर गांव तक सड़क और हर घर को बिजली। शासन के यह दावे यहां फेल हैं, टांगिया गांव में न तो सड़क पह़ुंची है, और न ही बिजली की रोशनी। शासन की योजनाएं इनके दरवाजे से पहले दम तोड़ देतीं है। टांगिया में ईंट सीमेंट के मकान बनाने की इजाजत महकमा नही देता, इसलिए भगवान को भी खुले आसमान के नीचे ठिकाना मिला है।
-टांगिया गांव तक नही पहुंचती योजनाएं
टांगिया-बिजुआ। हर गांव तक सड़क और हर घर को बिजली। शासन के यह दावे यहां फेल हैं, टांगिया गांव में न तो सड़क पह़ुंची है, और न ही बिजली की रोशनी। शासन की योजनाएं इनके दरवाजे से पहले दम तोड़ देतीं है। टांगिया में ईंट सीमेंट के मकान बनाने की इजाजत महकमा नही देता, इसलिए भगवान को भी खुले आसमान के नीचे ठिकाना मिला है।
खीरी के बेशकीमती जंगलो को आबाद करने वाले टांगिया समुदाय के लिए सरकारी योजनाएं किसी ख्वाब से कम नही, जिस समुदाय को अपने वुजूद के लिए अदालती लड़ाई लडऩी पड़े उसके हालात के अंदाजा लगाना सहज ही है। गांव की आबादी पल्हनापुर ग्रामसभा में महज वोटों की खातिर दर्ज है। जंगल के अन्दर बसे होने से इस गांव पर वन विभाग की पाबन्दियां लागू है। गांव तक पहुंचने के लिए खड़ंजा भी नही लगाया जा सकता। बिजली की लाइन तो गांव के लिए महज खवाब से ज्यादा कुछ नही। मोबाइल चार्ज करने के लिए भी ६ किमी रोज जाना होता है। सरकारी योजनाओं में सबसे सहज उपलब्ध होने वाला एक भी सरकारी हैण्ड पम्प तक पूरे गांव में नही हैं।
भगवान भी कर रहे ठिकाने का इन्तजार
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गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन के बावजूद पक्के आवास नही बन सकते। यहां इन्सान तो क्या भगवान को भी पक्की छत का ठिकाना नसीब नही होता । एक भारी भरकम बरगद के पेंड़ के नीचे खुले में रखी भगवान शंकर की मूरत भी इन वन टांगियों के साथ मौसम के तेवर बर्दाश्त करती है।
डनलप है चौपहिया वाहन, बाइक बनती है एम्बुलेन्स
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इस गांव में लगभग १२ डनलप है, वही इनके चौपहिया वाहन हैं, अगर गाहे-बगाहे रात को बाहर जाने की जरूरत पड़ जाये तो इस डनलप से ही जंगल से बाहर आते है।इ गांव में तीन बाइक हैं, वही इनके लिए एम्बुलेन्स का काम करती है, अगर कोई अचानक बीमार पड़ जाये तो अस्पताल तक पहुचानें के लिए बाइक का ही सहारा है, वजह है कि जंगल के भीतर गांव बसे होने से जीप-कार तो क्या ट्रैक्टर तक ले जाने पर पाबन्दी है।
अब्दुल सलीम खान (लेखक युवा पत्रकार है, वन्य-जीवन के सरंक्षण में विशेष अभिरूचि, जमीनी मसायल पर तीक्ष्ण लेखन, खीरी जनपद के गुलरिया (बिजुआ) गाँव में निवास, इनसे salimreporter.lmp@)gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं)
सरकार को अपने वोटरो की चिंता होती है बेकार के लोगों की नही और यह मेरी समझ से वोटर नही होंगेा
ReplyDeleteyeh votar bhai, aur insaan bhi, lekin education nahi hai, isliye inke ye halaat hai
ReplyDeleteI THINK U R RIGHT . YEH VOTER BHI HAI AUR INSAAN BHI, INKO INKA HAQ MILNA LAZMI HAI...... WITH BEST WISH KAMAL NAYAN
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