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शाहजहाँपुर (२८ जनवरी २०११) फ़करगंज जहाँ रिहाईश है सैकड़ों क्रौंच की, यह गाँव पड़रा-सिकन्दरपुर का मौजा है, जहाँ एक विशाल झाबर (वेटलैंड) में तकरीबन १५० से अधिक सारस पक्षी मौजूद है। और ग्रामीण इनका सरंक्षण करते हैं। फ़करगंज के निवासी हरीराम जिनका घर इसी विशाल तालाब के नज़दीक है, बताते है कि सुबह सुबह सारस की तादाद और बढ़ जाती है, मार्च के महीने में अत्यधिक संख्या में इस पक्षी का इस गाँव में इकट्ठा होने की बात भी हरीराम ने बताई।
चारो तरफ़, गेहूं, मटर, सरसों की फ़सलो से आच्छादित खेतों के मध्य यह विशाल तालाब जिसके छिछले पानी में सैकड़ों सारस की एक साथ मौजूदगी एक सुन्दर दृष्य प्रस्तुत करती है।
यह स्थल एक पर्यटन स्थल का दर्जा ले सकता है, और हरीराम जैसे उत्साही व्यक्ति गाइड के पेशे से अपना गुजारा भी कर सकते है, यदि सरकार इस स्थान को कुछ सरंक्षण का दर्जा दे दे।
वन्य-जीव फ़ोटोग्राफ़र सतपाल सिंह बताते हैं कि वह इस स्थान पर कई बार आ चुके है, यहां के ग्राम प्रधान नरेन्द्र सिंह व अन्य ग्रामीण इन पक्षियों की सुरक्षा के प्रति सजग हैं।
उत्तर प्रदेश में स्टेट बर्ड का दर्जा हासिल कर चुका यह पक्षी अत्यधिक कीटनाशकों के प्रयोग के कारण, व फ़सलों में गन्ने की बहुलता की वजह से प्रभावित हुआ है, पटते तालाब, भी एक मुख्य कारण है, ऐसे हालातों में फ़करगंज के लोग और वहां का यह तालाब दोनों इस खूबसूरत पक्षी के लिए मुफ़ीद साबित हो रहे है। उनके जज्बे को सलाम।
दुधवालाइव डेस्क
BEATIFUL SYMBOL !
ReplyDeleteBIRDS OF UTTAR PRADESH!
hats of to these villagers
ReplyDeleteफकर्गंज के लोग काबिले तारीफ़ हैं, कि वे पर्यावरण के प्रति जागरूक हैं और सारसों के प्रति गंभीर . जब मैं छोटा था तब हमारे गाँव के पास के झाबर में भी सारसों के जोड़े आया करते थे, इतने बड़े पक्षी हम बच्चों के लिए कौतुक का विषय huaa करते थे ......गाँव के एक श्रीवास्तव जी को यह पता लगते ही कि सारसों के जोड़े आये हुए हैं .....वे उनके शिकार को चल पड़ते थे ...तब इतनी अक्ल नहीं थी कि इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठायी जा सकती है ....गाँव का कोई व्यक्ति उनका विरोध नहीं करता था .....कुछ सालों बाद सारसों का आना बंद हो गया ....मुझे उस शिकारी परिवार के प्रति आज भी नाराज़गी है ....और गाँव के लोगों के प्रति भी ...कि उन्होंने कभी इसका विरोध नहीं किया ....यह किस्सा उत्तरप्रदेश के कन्नौज जिले के पास स्थित एक गाँव उदेतापुर का है.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत। हमें इन पक्षियों की सैरगाह को बचाना होगा और इसके लिए हरीराम जैसे व्यिक्त जो निःस्वार्थ होकर इनकी सेवा में लगे हैं, के इस प्रयास को जन- जन तक पंहुचाना होगा, खासकर सरकार तक ताकि वे इस खूबसूरत पंछी के संरक्षण की दिशा में कुछ सोंचे।
ReplyDelete-डॉ रत्ना वर्मा, रायपुर छत्तीसगढ़