वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Nov 5, 2010

तमसो मा ज्योतिर्गमय

दीपावाली: दीपों की पंक्ति की तरह आप सभी की जीवन की कड़ियां सदैव दैदीप्तिमान होती रहें।
- दुधवा लाइव  

दीपावली के इस पर्व पर "दुधवा लाइव" की ओर से सभी को "अन्धकार से प्रकाश की ओर" उन्मुख होने की शुभकामनायें। इस पर्व के मूल में राम का आदर्श  जीवन है। राम जब १४ वर्षों के वनवास के पश्चात जब असत्य पर सत्य की विजयोपरान्त अयोध्या आये, तो कार्तिक मास की अमावस्या की वह काली रात घी के दियों से जगमगा उठी। दीप पूजा के ईसा से ५०० वर्ष पूर्व सिन्धु घाटी सभ्यता में भी प्रचलित होने के प्रमाण मिलते है।
मानव सभ्यता के प्रादुर्भाव में अग्नि-प्रकाश का जो महत्व है, वह अद्वितीय हैं। और भरत-वंशियों में पावक और प्रकाश का वर्णन अति-मनोहारी हैं, जहाँ पावक को साक्षी मान कर सभी दोषों से मुक्त मान लिया जाता है, और प्रकाश से मन की मलीनता का नाश हो जाने का अटल मनोभाव मौजूद हैं। प्रकाश कदाचित हमारे वाह्य वातावरण को ही प्रकाशमय नही करता बल्कि हमारे अन्तर्मन में प्रकाश  की ये बारीक किरणें चेतना, सत्य, विवेक, संवेदना एंव ज्ञान का प्रादुर्भाव करती हैं।
आप सभी को प्राचीन ऋग्वेद वेद की १८/३०/६ ऋचा में मानव कल्याण की जो कामना की गयी है, वह आप सभी के सम्मुख प्रस्तुत कर रहां हूँ, याद रहे शब्द मात्र शब्द नही जीवन का जीवन्त परिचय हैं !


आयने ते परायणे दुर्वा राहुन्त पुष्पिणी: ।
ह्र्दाश्च पुण्डरीकाणि समुद्र्स्य गृहा इमे ॥

"आप का मार्ग प्रशस्त हो उस पर पुष्प हो, नये कोमल दूब हो, आपके उद्यम व आप के प्रयास सफ़ल हो और आपके जीवन में मन को प्रफ़ुल्लित करने वाले कमल खिले हो।"
 
अन्त में पशुपति नाथ यानि महादेव से प्रार्थना है- कि दीपों के प्रकाश से मानव-जाति के वो सभी दुर्गणों का नाश हो, जो लोभ, मद, लिप्सा, अज्ञान, और अंहकार जैसे मनोभावों से युक्त मानव  द्वारा प्रकृति को छिन्न-भिन्न और वसुन्धरा को प्रदूषित करते आ रहे है।

राम के अयोध्या लौटने पर कैसे अयोध्या दीपों से उज्ज्वलित हुई थी, आप सभी तुलसी के मनोभावों में सुन सकते हैं जो शब्द  बन कर स्फ़ुटित हुए और राम चरित मानस का निर्माण हुआ।

रामचरितमानस के उत्तर काण्ड के उस अनुपम वर्णन को यहाँ सुने, जिसमें प्रेम, करूणा, सत्य, ज्ञान, नैतिकता, आर्दशता के सभी उच्च मापदण्ड मौजूद हैं।



दुधवा लाइव के पाठको एंव लेखकों को दीपों के पर्व पर मेरी तमाम शुभकामनायें।

मॉडरेटर-दुधवा लाइव
कृष्ण कुमार मिश्र




5 comments:

  1. हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई
    जब सब हैं हम भाई-भाई
    तो फिर काहे करते हैं लड़ाई
    दीवाली है सबके लिए खुशिया लाई
    आओ सब मिलकर खाए मिठाई
    और भेद-भाव की मिटाए खाई

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  2. ज्योति पर्व के अवसर पर आप सभी को लोकसंघर्ष परिवार की तरफ हार्दिक शुभकामनाएं।

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  3. दीपावली का ये पावन त्‍यौहार,
    जीवन में लाए खुशियां अपार।
    लक्ष्‍मी जी विराजें आपके द्वार,
    शुभकामनाएं हमारी करें स्‍वीकार।।

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  4. दीपमालिका के दीप-पर्व पर एक दीप हमारी मंगलकामनाओं का भी स्वीकार करें ....ईश्वर से प्रार्थना है कि खुशियों के दीपक
    हमेशा आपके और दुधवा लाइव के प्रत्येक सदस्य k जीवन में अपनी रोशनी बिखेरते रहें...!!

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  5. दीयों के इस पर्व दीपावली की आप को हार्दिक शुभकामनाएं
    ये दीप पर्व आपके और आपके परिजनों के जीवन को खुशियों के प्रकाश से भर कर दे

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