सुनील निगम (मैलानी) १५ अक्टूबर २०१०, पीलीभीत की दियूरियाँ रेन्ज से निकलकर आदमखोर बने बाघ को अन्ततः फरूखाबाद जिले की रेंज में बेहोश करके पकड़ लिया गया है। आपको याद होगा कि कई मानव शिकार करने वाले इस बाघ को पिछले तीन माह से ट्रैंकुलाइज करने के लिये वन-विभाग व वाइल्ड लाइफ़ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया द्वारा अभियान चलाया जा रहा था। लेकिन यह बाघ शाहजहाँपुर के अलावा खीरी, हरदोई होते हुए फरूखाबाद जिले में दो दिन पूर्व प्रवेश कर गया था।
इससे पूर्व आदमखोर घोषित इस बाघ ने एक माह पूर्व शाहजहाँपुर की खुटार रेन्ज में प्रवास के दौरान अपने मूल हैबिटेट में वापस जाने की तमाम कोशिशे तो की लेकिन मानवीय हस्तक्षेप और बारिश के कारण अपना मार्ग भूल जाने के कारण वापस नही जा पाया था।
पकड़े जाने के बाद इस बाघ को हमेशा-हमेशा के लिए लखनऊ स्थित चिड़ियाघर में बतौर नुमाइश डाल दिया गया है।
इस आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए तीन माह से अभियान चला रहे शाहजहाँपुर के प्रभागीय वनाधिकारी पी.पी. सिंह समेत वाइल्ड ट्रस्ट आफ इंडिया के सदस्यों ने राहत की साँस ली है, वहीं एक तीन वर्षीय बाघ को कैदी बनाने की मजबूरी की कसक उनके दिल में हमेशा- हमेशा के लिए रहेगी।
इससे पूर्व आदमखोर घोषित इस बाघ ने एक माह पूर्व शाहजहाँपुर की खुटार रेन्ज में प्रवास के दौरान अपने मूल हैबिटेट में वापस जाने की तमाम कोशिशे तो की लेकिन मानवीय हस्तक्षेप और बारिश के कारण अपना मार्ग भूल जाने के कारण वापस नही जा पाया था।
पकड़े जाने के बाद इस बाघ को हमेशा-हमेशा के लिए लखनऊ स्थित चिड़ियाघर में बतौर नुमाइश डाल दिया गया है।
इस आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए तीन माह से अभियान चला रहे शाहजहाँपुर के प्रभागीय वनाधिकारी पी.पी. सिंह समेत वाइल्ड ट्रस्ट आफ इंडिया के सदस्यों ने राहत की साँस ली है, वहीं एक तीन वर्षीय बाघ को कैदी बनाने की मजबूरी की कसक उनके दिल में हमेशा- हमेशा के लिए रहेगी।
very sad
ReplyDeletecould be worst..
ReplyDeletebut the tiger is alive!!!!
very baid.
ReplyDeletekab tak kaid hote rahege BAGH.
Jangal fe na nikale BAGH ah hone chahiye vyawastha.
सुनील निगम जी,
ReplyDeleteआपने इस घटना को एक समाचार कि दृष्टि से लिखा है किन्तु मैं इसे एक अन्य नज़र से देखता कर टिपण्णी कर रहा हूँ.
क्या हम और आप बता सकते है कि इस पूरी घटनाक्रम में उस निरीह बाघ का क्या दोष था. हम इन्सान पहले उनके प्राकृतिक आवास को नष्ट कर देते है और उस स्थान पर विकास के नाम पर अपना कब्ज़ा जमा लेते है. अपने प्राणों को बचाने के लिए जब वे हमारे इलाके में आते है तो फिर उन्हें ही दोष दे देते है कि ये आदमखोर हो गए है तथा हुक्म सुना देते हैं " उम्र कैद या फासी" की.
ज़रा सोचिये! दोष किसका है.
हूँ .... ये खबर सुखद भी...... दुखद भी / सुखद इसलिए कि बाघ ज़िंदा है , दुखद इसलिए कि उसे उम्र-कैद के लिए चिड़ियाघर में डाल दिया गया / इंसान इतना beraham kyon hai ?
ReplyDeleteIt is easy on government part but same time disgusting to cage an wild tiger forever. This tiger should have been released deep inside Corbett, Kanha or Simlipal, far from human settlements and where he can get enough prey, so that he can't move towards man.
ReplyDeleteA tiger is deleted from list of wild tigers in India, which is everdecreasing (only 1400 left).
Very sad.
RAVINDRA YADAV