दुधवा-खीरी से देवेन्द्र प्रकाश मिश्र* की रिपोर्टः दुधवा नेशनल पार्क से शाहजहांपुर जिले की खुटार रेंज क्षेत्र में बाघ के आतंक से छुटकारा दिलाने के लिए काम्बिग हेतु गए दो हाथी घायल हुए हैं। इसमें एक हाथी बाघ के हमले से एवं दूसरा हाथी जलभराव क्षेत्रों में लगातार कांबिग करने से हुए घावों के कारण हुआ है। यह दोनों हाथी वापस दुधवा आ गए हैं। उनका उपचार शुरू कर दिया गया है। जबकि दुधवा नेशनल पार्क से पुनः दो हाथियों को शाहजहांपुर भेज दिया गया हैं।
उल्लेखनीय है कि यूपी के पीलीभीत के जंगल से निकला बाघ पिछले कई माह से शाहजहांपुर जिले की खुटार रेंज के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही लखीमपुर-खीरी जिले के साउथ खीरी फारेस्ट डिवीजन के मोहम्मदी क्षेत्र में आतंक का पर्याय बना हुआ है। इस बाघ को काबू करने हेतु क्षेत्र में कांम्बिग करने के लिए दुधवा नेशनल पार्क से रूपकली एवं पवनकली नामक दो प्रशिक्षित मादा हाथियों को प्रदेश के वनाधिकारियों के आदेश पर भेजा गया था। जानकारी के अनुसार खुटार रेंज क्षेत्र में घेराबंदी के दौरान बाघ द्वारा किये गये अप्रत्याशित हमले में पवनकली घायल हो गई थी। इसकी सूंड एवं कान जख्मी हुआ है। जबकि जलभराव वाले क्षेत्र में लगातार भ्रमण करने के कारण रूपकली की कोहनी एवं पेट में रस्सा बांधने वाली जगहों पर गहरे गंभीर घाव हो गये हैं। इसके कारण वापस हुई रूपकली एवं पवनकली दुधवा पहुंच गईं। जहां पर उसका उपचार शुरू कर दिया गया है। इसके बाद भी दुधवा नेशनल पार्क में किसी वन्यजीव विशेषज्ञ चिकित्सक की नियुक्ति का न होना फिर से खल रहा है। मालूम हो कि यूपी का एकमात्र दुधवा नेशनल पार्क होने के बावजूद यहां सरकार द्वारा वन्यजीव विशेषज्ञ चिकित्सक के पद को स्वीकृत नहीं किया गया है। जबकि यहां ’प्रोजेक्ट टाइगर’ तथा विश्व की अद्वितीय ’गैंडा पुनर्वास परियोजना’ भी चल रही है। उधर शाहजहांपुर के खुटार ग्रामीणांचल एवं साउथ-खीरी फारेस्ट डिवीजन मोहम्मदी तहसील क्षेत्र में बाघ का आतंक बरकरार रहने के कारण दुधवा से गंगाकली एवं सुंदर हाथी को भेज दिया गया है।
यह प्राणि मानवीय गलती से घायल हुए है । क्या और कोई उपाय नही है कि ये घायल न हो सके ?
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