वन्य जीवन एवं पर्यावरण

International Journal of Environment & Agriculture ISSN 2395 5791

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ये जंगल तो हमारे मायका हैं

Aug 3, 2010

दुधवा लाइव ने पार किया एक सौ का आंकड़ा!

दुधवा लाइव ई-पत्रिका में जुड़े 100 से अधिक लेख:
जनवरी 2010 को दुधवा लाइव की शुरूवात दुनिया की पहली हिन्दी ई-पत्रिका के तौर पर हुई जो वन्य जीवन
व पर्यावरण के मुद्दों पर आधारित है। अगस्त 2010  आते आते इस ई-पत्रिका ने 100 से अधिक लेखों का आकंड़ा पार कर लिया, यह लिखते वक्त दुधवा लाइव के संकलन में 107 लेख है। इन लेखों की विविधता पर बात करूं तो जंगल के सुन्दर व खतरे में पड़ी प्रजातियों से लेकर नदियों और तालाबों के प्रदूषण व अतिक्रमण से संबधित तमाम लेख ई-पत्रिका में गुंथे हुए हैं। जंगल व जंगलवासियों की पीड़ा, उनके अधिकारों की बात भी दुधवा लाइव ने पारदर्शिता के साथ अपने पाठकों तक पहुंचाई। चूंकि हम आभासी अन्तर्जाल के द्वारा लोगों तक अपनी बात पहुंचाने में ज्यादा सक्षंम है बजाए किसी अन्य सूचना-प्रसार के स्रोत के, और इस लिए  मैं यह बात दावे से कह सकता हूं कि आने वाले समय में इस अन्तर्जाल से हमें हमारे गांव, कस्बे और जंगलों में रहने वाली आदिम जातियों की बात पूरी दुनिया को बताने का यही एक बेहतर माध्यम होगा! और इसी विचार के साथ हमने यह सफ़र तय किया! अपने लोगों की बात अपने लोगों के द्वारा! दुधवा लाइव माध्यम बना उनके मुद्दे और उनके ज्ञान को प्रसारित करने का जिसे भारत ही नही दुनिया के अन्य सूचना प्रसार के माध्यमों ने जगह दी, फ़िर वह चाहे रेडियों हो, या अखबार, या फ़िर न्यूज चैनल्स सभी ने हमारी बात को आगें बढ़ाने में मदद की। जिसके लिए हम उनके आभारी हैं।
दुधवा लाइव ई-पत्रिका की जानकारियों को तमाम विदेशी संस्थानों ने अनुवादित कर प्रकाशित किया। साथ ही विदेशी लेखकों द्वारा भी दुधवा लाइव को लेख प्राप्त हुए, जिन्हे हिन्दी में अनुवादित कर प्रकाशित किया गया।

अभी तक दुधवा लाइव कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही है, जिनमें, हिन्दुस्तान दैनिक, अमर उजाला, डेली न्यूज एक्टीविस्ट, प्रभात खबर, जनसत्ता, अमृत वर्षा, दैनिक जागरण, राष्ट्रीय सहारा, डिग्निटी डॉयलाग, उदन्ती,  जैसे अखबारों ने प्रमुखता से दुधवा लाइव द्वारा उठाये गये मुद्दों को जगह दी।
आकाशवाणी, दूरदर्शन, सहारा समय व ई टी वी न्यूज चैनल्स ने ने दुधवा लाइव द्वारा चलाये गये गौरैया बचाओं जनभियान को गाँव-गाँव तक पहुंचाने में हमारी मदद की। आकाशवाणी के सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम विविध भारती में दुधवा लाइव के एक लेख का जिक्र प्रमुखता से किया गया।

इन्टरनेट पर मौजूद प्रभावी वेबसाइट्स में जनतन्त्र, हिन्दी मीडिया डॉट इन, ब्लाग ऑन प्रिन्ट, इडिया वॉटर पोर्टल, प्रभात खबर अखबार की वेबसाइट ने दुधवा लाइव की मौंजूं बातों को स्थान दिया।
लेखों का सैकड़ा पार करने में और दुधवालाइव को आभासी दुनिया के पटल पर खासा स्थान दिलाने में तमाम लोगों का सहयोग व प्रोत्साहन मिला, जिनमें एन डी टीवी के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार, आई आई एम सी से पत्रिकारिता की डिग्री हासिल कर विभिन्न संस्थानों में पत्रकारिता कर चुके सुशान्त झा, ब्लॉग जगत की हस्तियों में से एक बी एस पाबला का योगदान अविस्मरणीय है।

दुधवा लाइव के लेखकों में वरिष्ठ पत्रकार डी पी मिश्र, अहमदाबाद के वन्य जीव प्रेमी व आनुवंशिकी के छात्र आदित्य रॉय, महाराष्ट पुणे के पक्षी वैज्ञानिक डॉ प्रमोद पाटिल,  मुम्बई के रहने वाले  थायरोकेयर लैबोरेटरी की जनरल मैनेजर व नेचुरलिस्ट डॉ सीजर सेनगुप्त, छत्तीसगढ़ रायपुर के व्यवसाई व प्रकृति प्रेमी अरूणेश सी दवे, जर्नलिस्ट व योग विशेषज्ञ धीरज वशिष्ठ, भारत सरकार में कार्यरत व पक्षी विशेषज्ञ कैप्टन सुरेश सी शर्मा द्वारा भेजे गये लेखों से दुधवा लाइव को प्रकृति के विविध रंगों से सजा पाना संभव हुआ।

हिन्दुस्तान दैनिक के लखीमपुर ब्यूरो प्रमुख विवेक सेंगर, पत्रकार मंयक बाजपेयी, गंगेश उपाध्याय, राष्ट्रीय सहारा लखीमपुर खीरी ब्यूरो प्रमुख रिषभ त्यागी, राहुल शुक्ला, पत्रकार/फ़ोटोग्राफ़र विजय मिश्रा, दैनिक जागरण लखीमपुर खीरी ब्यूरो मनोज मिश्र, पत्रकार पूर्णेश वर्मा का योगदान दधवा लाइव द्वारा चलाये गये जनभियानों में अतुलनीय व अविस्मरणीय रहेगा। 
खीरी जनपद के सामाजिक कार्यकर्ता व लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व महामंत्री रामेन्द्र जनवार,  युवराज दत्त  महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रवक्ता व प्रख्यात कथाकार डॉ देवेन्द्र, हिन्दी प्रवक्ता डॉ सतेन्द्र दुबे, ने दुधवा लाइव को अपने लेखों व पर्यावरणीय मुद्दों पर अपना सहयोग दिया। 

खीरी जनपद के मितौली विकास खण्ड के लोगों ने दुधवा लाइव द्वारा चलाई गई मुहिम गौरैया सरंक्षण में प्रमुख हिस्सेदारी की। जिसमें ब्लाक प्रमुख डॉ नरेन्द्र सिंह, कांग्रेस नेता अमित गुप्ता, पत्रकार सर्वेश कटियार,  अमित बाजपेयी, एस पी सिंह, रमेश चन्द्र मिश्र, राजन शुक्ला, का प्रमुख योगदान रहा।

हम उन सब के प्रति आभार प्रकट करते है जिन्होंने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दुधवा लाइव की प्रगति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। खासतौर से उन तमाम पाठकों के हम आभारी हैं, जिन्होंने दुधवा लाइव पत्रिका के लेखों को पढ़ा और अपनी कीमती प्रतिक्रिया जाहिर की, और हम इन्ही प्रतिक्रियाओं को अपनी राह की रोशनी मानकर आगे बढ़ते जा रहे हैं!

मॉडरेटर/संपादक
दुधवालाइव डॉट कॉम
ई-पत्रिका


3 comments:

  1. badhaaee !!

    स्वच्छ सन्देश: विज्ञान की आवाज़
    किसान-पुत्र सलीम ख़ान का विज्ञान आधारित मंच
    http://svachchhsandesh.blogspot.com/

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  2. दुधवालाईव को हमारी शुभकामनाएं...आप तरक्की करते रहें और हिंदी जगत में वन्यजीवों के प्रति संवेदना फैलाते रहे-यहीं हमारी कामना है। इतने कम समय में जो आपकी साईट ने एक अलग पहचान बानाई है, उसके लिए आपकी लगन और आपका मेहनत वाकई धन्यवाद का पात्र है। आपको वधाई।

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  3. i wish long life to dudhwalive

    and im very honoured to had the chance to be here!!!

    ReplyDelete

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