दुधवालाइव डेस्क* लखीमपुर-खीरी। आज की भागती-दौड़ती व्यस्त जिंदगी में जब लोगों के पास
अपने लिए समय नहीं कुछ लोग ऐसे भी है जो किसी दूसरे के दुःख दर्द पर अपना संग कुछ छोड़कर बस उसी की सेवा में जुट जाते है चाहे फिर वो इंसान हो या फिर बेजुबान पशु-पक्षी। ऐसे लोगों के जज्बे को देखकर ही शायद ये कहा जाता कि आज भी इन्सानियत जिंदा है। शहर के काशीनगर मोहल्ले में रहने वाली पूजा पाण्डे यूँ तो मेडिकल के पेशे से जुड़ी हैं परन्तु इनके दिल में पशु पक्षियों के प्रति अगाध प्रेम है दो दिन पहले रात में जब यह अपने घर पर बैठकर टीवी देख रही थी सभी अचानक एक चिड़िया ऊपर से कड़कड़ाती हुयी घायल अवस्था में आ गिरी। हुआ ये या कि ये चिड़िया सीलिंग फैन के ऊपर बैठी हुई थी और उस समय लाइट न होने के चलते पंखा बन्द था। सभी अचानक लाइट आ गई और पंखा चल पड़ा और पंखे के डैनों की चपेट में आकर चिड़िया के पंख तो कट ही गये। साथ ही एक पंख आंख व गर्दन के पास का हिस्सा भी बुरी तरह तहुलुहान हो गया। अपने पास में पड़ी इस बेहद घायल पक्षी को देखकर पूजा का हृदय द्रवित हो गया और से जुट गई इस बुजुबान पक्षी को बचाने में। चिड़िया की हालत से परेशान पूजा ने रात उपचार संबंधी सलाह लेने के लिये रात में ही कई परिचितों को फोन खड़-खड़ा डाले ऐसे लोग पहले तो हैरान भी हुये कि एक नन्ही सी चिड़िया को लेकर से लड़की इतनी रात में फोन कर रही है, परन्तु आखिर कार इन लोगों ने पूजा की भावनाओं को समझते हुये यथायोग्य परामर्श भी दे डाला। यहां पर पूजा का मेडिकल लाइन से जुड़ा अनुभव भी काफी काम आया। पूजा पूजा ने रात में करके उस पर दवाई डिटाल आदि लगाई, रूई से इसकी चोंच में पानी डाला पूरी रात जगकर पूजा इस चिड़िया की सेवा में लगी रहीं सुबह अस्पताल खुलने पर उसे पशु चिकित्सक के पास भी लेकर गयीं। पूजा की जी तोड़ सेवा से मरने की कगार पर पहुंच चुके बंजुबान नन्हे पक्षी की हालत में अब काफी सुधार है। पूजा बाकायदा इसे अपने आफिस लेकर आती हैं, आफिस में चुग्गा व पानी देंती हैं, ये चिड़िया भी पूजा की ओर ही निहारती रहती है, मानो बंद जुबान से शुक्रिया अदा कर रही हो। चिड़िया के कटे हुए पंख भी ठीक होने लगे हैं और अब ये थोड़ा बहुत उड़ने भी लगी। वन्य जीव विशेषज्ञ पूजा पाण्डेय की इस कोशिश को सराहते हुए कहते है; कि इस तरह की गतिविधियों से वन्य जीव संरक्षण के प्रति लोगों को काफी प्रेरणा मिलेगी। उनका कहना है कि आज के कामर्शियल युग में कोई इंसानों की मदद तक के लिए आगे नहीं आता ऐसे दौर में एक बुजुबान पक्षी की इस तरह से मदद करना वास्तव में प्रशंसनीय है। पूजा की इस पहल को जनपद के वन्य-जीव प्रेमी सलाम करते हैं। यदि पूजा की सेवा व दुवाओं में असर रहा तो, ये चिड़िया स्वस्थ्य होने के बाद जब खुले आसमान में अपने कुटुम्ब के साथ फ़र्राटे लगायेगी तो जरूर सबको यही बताएगी कि इंसानों में अभी भी जिंदा है, इंसानियत! पूजा के जज्बे को सलाम।
अपने लिए समय नहीं कुछ लोग ऐसे भी है जो किसी दूसरे के दुःख दर्द पर अपना संग कुछ छोड़कर बस उसी की सेवा में जुट जाते है चाहे फिर वो इंसान हो या फिर बेजुबान पशु-पक्षी। ऐसे लोगों के जज्बे को देखकर ही शायद ये कहा जाता कि आज भी इन्सानियत जिंदा है। शहर के काशीनगर मोहल्ले में रहने वाली पूजा पाण्डे यूँ तो मेडिकल के पेशे से जुड़ी हैं परन्तु इनके दिल में पशु पक्षियों के प्रति अगाध प्रेम है दो दिन पहले रात में जब यह अपने घर पर बैठकर टीवी देख रही थी सभी अचानक एक चिड़िया ऊपर से कड़कड़ाती हुयी घायल अवस्था में आ गिरी। हुआ ये या कि ये चिड़िया सीलिंग फैन के ऊपर बैठी हुई थी और उस समय लाइट न होने के चलते पंखा बन्द था। सभी अचानक लाइट आ गई और पंखा चल पड़ा और पंखे के डैनों की चपेट में आकर चिड़िया के पंख तो कट ही गये। साथ ही एक पंख आंख व गर्दन के पास का हिस्सा भी बुरी तरह तहुलुहान हो गया। अपने पास में पड़ी इस बेहद घायल पक्षी को देखकर पूजा का हृदय द्रवित हो गया और से जुट गई इस बुजुबान पक्षी को बचाने में। चिड़िया की हालत से परेशान पूजा ने रात उपचार संबंधी सलाह लेने के लिये रात में ही कई परिचितों को फोन खड़-खड़ा डाले ऐसे लोग पहले तो हैरान भी हुये कि एक नन्ही सी चिड़िया को लेकर से लड़की इतनी रात में फोन कर रही है, परन्तु आखिर कार इन लोगों ने पूजा की भावनाओं को समझते हुये यथायोग्य परामर्श भी दे डाला। यहां पर पूजा का मेडिकल लाइन से जुड़ा अनुभव भी काफी काम आया। पूजा पूजा ने रात में करके उस पर दवाई डिटाल आदि लगाई, रूई से इसकी चोंच में पानी डाला पूरी रात जगकर पूजा इस चिड़िया की सेवा में लगी रहीं सुबह अस्पताल खुलने पर उसे पशु चिकित्सक के पास भी लेकर गयीं। पूजा की जी तोड़ सेवा से मरने की कगार पर पहुंच चुके बंजुबान नन्हे पक्षी की हालत में अब काफी सुधार है। पूजा बाकायदा इसे अपने आफिस लेकर आती हैं, आफिस में चुग्गा व पानी देंती हैं, ये चिड़िया भी पूजा की ओर ही निहारती रहती है, मानो बंद जुबान से शुक्रिया अदा कर रही हो। चिड़िया के कटे हुए पंख भी ठीक होने लगे हैं और अब ये थोड़ा बहुत उड़ने भी लगी। वन्य जीव विशेषज्ञ पूजा पाण्डेय की इस कोशिश को सराहते हुए कहते है; कि इस तरह की गतिविधियों से वन्य जीव संरक्षण के प्रति लोगों को काफी प्रेरणा मिलेगी। उनका कहना है कि आज के कामर्शियल युग में कोई इंसानों की मदद तक के लिए आगे नहीं आता ऐसे दौर में एक बुजुबान पक्षी की इस तरह से मदद करना वास्तव में प्रशंसनीय है। पूजा की इस पहल को जनपद के वन्य-जीव प्रेमी सलाम करते हैं। यदि पूजा की सेवा व दुवाओं में असर रहा तो, ये चिड़िया स्वस्थ्य होने के बाद जब खुले आसमान में अपने कुटुम्ब के साथ फ़र्राटे लगायेगी तो जरूर सबको यही बताएगी कि इंसानों में अभी भी जिंदा है, इंसानियत! पूजा के जज्बे को सलाम।
(मुझे इस वाकये से एक बहुत पुरानी बात याद आ गयी, अमेरिका के जंगलों में कुछ वकील मित्रों की टोली भ्रमण के लिए गयी थी, अभी सब अपने-अपने घोड़ों पर सवार हरियाली को निहारते हुए आगे बड़े जा रहे थे, तभी एक वृक्ष के ऊपर से चिड़िया के फ़ड़फ़ड़ाने की आवाज सुनाई दी, वे रूक गये, तभी एक मित्र ने देखा सामनी घास में चिड़िया का बच्चा पड़ा हुआ है, माजरा सभी की समझ में आ गया, कि ये चिड़िया माँ अपने बच्चे के लिए तड़प रही है, जो हवा के झोकों के कारण घोसले से नीचे आ गिरा है, लेकिन किसी ने इस करूण दृष्य पर ध्यान नही दिया और आगे बढ़ चले, लेकिन उनमे से एक वकील वही पर रूक गया, उसने उस नवजात बच्चे को अपने हाथों से उठाकर उसके घोसले में रख दिया, अब वह चिड़िया माँ खुश थी उसकी व्याकुलता खुशी में तब्दील हो चुकी थी, किन्तु इस बेहतरीन कृत्य को अंजाम देनें में वकील साहब के जूते कीचड़ में सन चुके थे और पेड़ पर चढने के कारण उनका कीमती लिबास भी टहनियों में फ़सं कर फ़ट गया था।.....आगे चले गये दोस्तों की टोली ने जब ध्यान दिया कि उनका एक मित्र गायब है, तो वह ठहर गये, और पीछे मुड़ कर देखने लगे, तभी कुछ दूर पर उनका वह मित्र अपने गन्दे व फ़ट चुके लिबास के साथ चला आ रहा था, सभी यह जान गये यह जरूर उस चिड़िया के बच्चे को घोसलें तक पहुंचाने में अपना यह हाल कर लाये हैं! मित्रों ने हंस कर कहा कि भाई क्या जरूरत थी उस चिड़िया के बच्चे को उसके घोसलें में पहुंचाने की......!! जबाव था यदि मैं ऐसा नही करता तो मैं पूरी रात सो नही पाता, मुझे उस जीव की मदद तो करनी ही थी, और ये मेरा कर्तव्य भी था!--आप को पता है, ऐसा महान कार्य करने वाला और महान शब्द बोलने वाला व्यक्ति कौन था?....................एक दिन यही व्यक्ति एक महान मुल्क का सरबरा बना, इन्हे हम सब..अब्राहम लिंकन (अमेरिका के महान राष्ट्रपति) ...के नाम से जानते हैं।...... माडरेटर)
prashanshneeya..
ReplyDeleteपूजा का प्रयास...साधुवाद...बेहद प्रेरणादायी!
ReplyDeletetouching article...good one.
ReplyDeletepuja tumhare jajbe ko mera salam
ReplyDeleteVERY GOOD POOJA JI,
ReplyDeletePOOJA JI AAPKO BAHUT BAHUT DHANYWAD KI AAPNE EK NANHI CHIDIYA KI JAAN BACHYI.
ReplyDeletekk bhai ko sadhuwad khaber nikalne ke liye
ReplyDeletepooja ka praya sarahnee hai